Ayurvedic medicines Selling will not be easy in Uttarakhand action be taken if sold without license उत्तराखंड में आयुर्वेदिक दवाओं की बिक्री नहीं होगी आसान, लाइसेंस के बिना बेची तो होगा ऐक्शन, Uttarakhand Hindi News - Hindustan
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उत्तराखंड में आयुर्वेदिक दवाओं की बिक्री नहीं होगी आसान, लाइसेंस के बिना बेची तो होगा ऐक्शन

आयुर्वेद के फार्मेसी बेरोजगार लंबे समय से इस व्यवस्था में बदलाव की मांग कर रहे हैं। इसी के आधार पर भारतीय चिकित्सा परिषद ने पूर्व में आयुर्वेदिक दवाओं की बिक्री के लिए लाइसेंस की व्यवस्था बनाने की मांग कर रहे थे।

Himanshu Kumar Lall हिन्दुस्तान, देहरादून, हिन्दुस्तानWed, 28 May 2025 09:50 AM
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उत्तराखंड में आयुर्वेदिक दवाओं की बिक्री नहीं होगी आसान, लाइसेंस के बिना बेची तो होगा ऐक्शन

उत्तराखंड में आयुर्वेद की दवाओं की बिक्री के लिए भी लाइसेंस अनिवार्य होगा। भारतीय चिकित्सा परिषद उत्तराखंड की ओर से इस संदर्भ में प्रस्ताव तैयार किया गया है जिस पर शासन स्तर पर जल्द निर्णय होने की उम्मीद है। दरअसल, एलोपैथी और होम्योपैथी दवाओं की बिक्री लाइसेंस के आधार पर होती है, लेकिन आयुर्वेद में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है। इस वजह से कोई भी दुकानदार आयुर्वेद की दवा बेच सकता है।

आयुर्वेद के फार्मेसी बेरोजगार लंबे समय से इस व्यवस्था में बदलाव की मांग कर रहे हैं। इसी के आधार पर भारतीय चिकित्सा परिषद ने पूर्व में आयुर्वेदिक दवाओं की बिक्री के लिए लाइसेंस की व्यवस्था बनाने और प्रशिक्षित आयुर्वेदिक फार्मासिस्टों को ही यह जिम्मा दिए जाने के संदर्भ में प्रस्ताव पारित किया था। परिषद के इस प्रस्ताव पर अब शासन स्तर पर कवायद शुरू होने जा रही है।

शासन के सूत्रों ने बताया कि जल्द ही इस निर्णय पर मुहर लग सकती है। इससे राज्य में आयुर्वेदिक दवाओं की बिक्री लाइसेंस के तहत आने के साथ ही उसकी निगरानी भी संभव हो पाएगी। भारतीय चिकित्सा परिषद उत्तराखंड के अध्यक्ष डॉ. जेएन नौटियाल कहते हैं कि आयुर्वेदिक दवाओं की बिक्री लाइसेंस के तहत आनी चाहिए। चिकित्सा परिषद की ओर से इस संदर्भ में प्रस्ताव पारित किया गया है। इस पर अंतिम निर्णय शासन स्तर से होना है।

हजारों बेरोजगार युवाओं को मिलेगा लाभ

उत्तराखंड में तीन हजार से अधिक छोटी-बड़ी दुकानों पर आयुर्वेद की दवा बेची जाती है। जबकि राज्य में आयुर्वेदिक फार्मेसी प्रशिक्षतों की संख्या सात हजार से अधिक है। ऐसे में यदि नई व्यवस्था बनती है तो फार्मेसी प्रशिक्षित बेरोजगारों को बड़ा लाभ मिलेगा और उनका दवा लाइसेंस उनके काम आ सकेगा।

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