बोले गढ़वाल : कर्णप्रयाग संगम स्थल पर पुण्य की डुबकी के लिए दांव पर जिंदगी
कर्णप्रयाग, जो पंच प्रयागों में तीसरे स्थान पर है, तीर्थयात्रियों के लिए महत्वपूर्ण है। यहां अलकनंदा और पिंडर नदियों का संगम है, लेकिन असुरक्षित घाटों और सुविधाओं की कमी के कारण श्रद्धालु परेशान हैं।...
चारधाम यात्रा के प्रमुख पड़ाव और सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण कर्णप्रयाग को पंच प्रयागों में तीसरे प्रयाग का दर्जा हासिल है। यहां अलकनंदा और पिंडर नदियों के संगम के दर्शनों को बड़ी संख्या में हर रोज तीर्थयात्रियों के साथ आम जनता भी पहुंचती है लेकिन असुरक्षित घाटों और आवश्यक सुविधाएं नहीं होने से श्रद्धालुओं के साथ आम जनता भी काफी परेशान है। कई वर्षों पूर्व क्षतिग्रस्त हुए घाटों का निर्माण नहीं होने की वजह से संगम स्थल पर हमेशा दुर्घटनाओं की आशंका बनी रहती है। कर्णप्रयाग से सतीश गैरोला की रिपोर्ट...
महाभारत काल के प्रसिद्ध योद्धा, सूर्यपुत्र और दानवीर कर्ण के नाम से चर्चित नगरी कर्णप्रयाग अपनी सांस्कृतिक व धार्मिक महत्व के लिए विश्व में प्रसिद्ध है। पंच प्रयागों में तीसरे प्रयाग कर्णप्रयाग में अलकनन्दा और पिंडर नदी का संगम भी है। तकरीबन 20,000 की आबादी वाले कर्णप्रयाग के बारे में पौराणिक कथाओं के अनुसार कर्ण के यहीं पर अपने पिता सूर्यदेव की पूजा व तपस्या का उल्लेख मिलता है। कहा जाता है कि बाद में भगवान कृष्ण द्वारा कर्ण का अंतिम संस्कार यहीं पर किया था। यहां मां उमादेवी, मां गंगा और कर्ण के मंदिर भी हैं। चारधाम यात्रा पर आने वाले तीर्थयात्री, पर्यटक और आम जनता भी इन मंदिरों के साथ संगमस्थल पर भी दर्शनों को पहुंचते हैं। मंदिरों में दर्शन कर जहां हर कोई आध्यात्मिक अनुभूति करता है वहीं अलकनंदा और पिंडर नदियों के संगम पर पहुंचकर श्रद्धालुओं और पर्यटकों को निराशा होती है। दरअसल 7 वर्ष पूर्व नमामि गंगे योजना के तहत निर्मित घाट के नदी में बह जाने के बाद न उसे फिर बनाया गया और न इस दिशा में कदम उठाया गया। बिना सुरक्षा इंतजामों के घाटों पर स्नान के दौरान हादसों की आशंका रहती है। कई बार लोग दुर्घटनाओं का शिकार भी हो चुके हैं। इसके बावजूद इस मुद्दे की सुध नहीं ली गई। इससे यहां पहुंचने वाले लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
संगम स्थल पर स्नानागार, शौचालय, पेयजल और स्ट्रीटलाइट जैसी मूलभूत सुविधाएं नहीं होने के कारण सबसे ज्यादा महिलाओं को दिक्कतें उठानी पड़ती हैं। नगर में सीवर और गंदे नालों के ट्रीटमेंट की कारगर व्यवस्था नहीं होने से नालों का गंदा पानी और सीवर के साथ कूड़ा करकट भी संगमस्थल के आसपास नदियों में बहता हुआ दिख जाता है जिससे श्रद्धालुओं, पर्यटकों के साथ आम जनता की भावनाएं भी आहत होती हैं। खास बात यह है कि वर्षों से बदहाल हालत में मौजूद संगमस्थल पर विभिन्न त्योहारों के मौकों के साथ धार्मिक अनुष्ठानों के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं लेकिन बावजूद इसके भी कोई इंतजाम न तो नगरपालिका की ओर से किये जा रहे हैं और न जनप्रतिनिधियों या फिर प्रशासन की ओर से। ऐसे में परेशान लोगों के अंदर गुस्सा भी है।
नालों का गंदा पानी नदी में समा रहा
पंच प्रयागों का धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्व होने के कारण लोग दर्शनों के साथ संगम स्थल पर स्नान व पवित्र जल भी लेने आते हैं तो उनकी आस्था को चोट पहुंचती है। जब वे नालों के गंदे पानी, कचरे और सीवर को वो नदियों में समाते देखते हैं। बताते चलें कि कर्णप्रयाग में 10 वर्ष पूर्व सीवर लाइन तो बिछाई गई थी लेकिन सीवर ट्रीटमेंट प्लांट के लिये स्थान चिह्नित न होने से सीवरलाइन जनता के लिये शोपीस बनी हुई है। खुले में बहता सीवर नालों से होता हुआ नदियों में बहकर उसे प्रदूषित कर रहा है। इस कारण जैव विविधता, मानव स्वास्थ्य के साथ पूरे पर्यावरण को भी नुकसान पहुंच रहा है। बताते चलें कि त्योहारों व अन्य मौकों पर श्रद्धालु स्नान व धार्मिक अनुष्ठानों के लिये संगमस्थल पर पहुंचते हैं लेकिन उन्हें मजबूरन दूषित पानी में ही विभिन्न प्रक्रियाओं को सम्पादित करना पड़ता है। स्थानीय जनता के साथ श्रद्धालुओं का भी कहना है कि नगरपालिका को प्रशासन व जनप्रतिनिधियों के साथ मिलकर नदियों की शुद्धता के मद्देनजर गंदे नालों और सीवर को नदियों में जाने से रोकने के लिए व्यवस्थाएं करनी चाहिए जिससे धार्मिक भावनाएं आहत न हों।
सुझाव
1. शहर में सीवरलाइन व्यवस्था हो जिससे सीवर और गंदे नालों का पानी नदियों को प्रदूषित न करे।
2. क्षतिग्रस्त घाटों और रास्ते का पुनर्निर्माण किया जाय जिससे श्रद्धालुओं को सुविधा मिले।
3. संगमस्थल और आसपास स्ट्रीटलाइटों के साथ सार्वजनिक शौचालय व स्नानागार की सुविधा मिले जिससे दिक्कतें न हों।
4. संगमस्थल और आसपास पर्याप्त कूड़ेदानों की व्यवस्था के साथ नियमित सफाई की व्यवस्था हो।
5. संगमस्थल पर आवश्यक सुरक्षा इंतजाम हों और संगमस्थल व संगम मार्ग पर पेयजल सुविधा का इंतजाम हो।
शिकायतें
1. क्षेत्र में सीवरलाइन ट्रीटमेंट प्लांट नहीं होने से कई स्थानों पर गंदे नाले और सीवर नदियों में बहकर उसे प्रदूषित कर रहा है।
2. वर्षों पूर्व क्षतिग्रस्त घाटों और रास्तों को ठीक नहीं किये जाने से दुर्घटनाओं की आशंका।
3. संगमस्थल और आसपास स्ट्रीट लाइट, सार्वजनिक शौचालय व स्नानगार नहीं होने से होती हैं दिक्कतें।
4. संगमस्थल और आसपास कूड़ेदान और सफाई की व्यवस्था नहीं होने से बिखरी रहती है गदंगी और कचरा।
5. संगमस्थल पर सुरक्षा इंतजाम नहीं हैं और संगम मार्ग व संगमस्थल पर पेयजल की सुविधा नहीं होने से हो रही परेशानियां।
घाट नहीं बनने से श्रद्धालुओं को होती है दिक्कत
धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत के अहम प्रतीक कर्णप्रयाग में अलकनंदा और पिंडर नदियों के संगम पर वर्ष 2017-18 में नमामि गंगे योजना के तहत एक करोड़ से अधिक की लागत से घाट का निर्माण किया गया था। सौंदर्यीकरण के तहत िकए गए घाट निर्माण के दौरान शौचालय, स्नानगार, रास्ते समेत सुरक्षा इंतजाम किए गए थे जिसका लोकार्पण भी किया गया था। अगली बरसात में घाट जमींदोज हो गया। निर्माण के 1 वर्ष बाद ही बरसात में नदियों के उफान पर आते ही घाट भी बह गया। 7 वर्षों बाद भी बहे घाट और उसमें मौजूद विभिन्न सुविधाओं के क्षतिग्रस्त हो जाने के बाद फिर उसे बनाने की सुध नहीं ली गई। अब संगमस्थल पर असुरक्षित घाटों पर ही श्रद्धालुओं को स्नान और अन्य धार्मिक कार्य सम्पादित करने पड़ते हैं। इससे दुर्घटनाओं की आशंका है। संगमस्थल पर कई हादसे हो जाने के बाद भी घाट निर्माण या आवश्यक सुरक्षा इंतजाम के प्रति सरकारी मशीनरी, जनप्रतिनिधि और नगरपालिका पूरी तरह से लापरवाह रूख अपनाये हुए हैं।
चारधाम यात्रा में बढ़ जाती है श्रद्धालुओं की संख्या
संगमस्थल को देखने बड़ी संख्या में रोज लोग यहां पहुंचते हैं। सामान्यकाल में ही 200 से 300 लोग प्रतिदिन तो पहुंचते ही हैं लेकिन चारधाम यात्रा के दौरान तो ये संख्या बेहद बढ़ जाती है। पर्यटकों के साथ तीर्थयात्री तो संगमस्थल देखने और स्नान आदि के लिए पहुंचते ही हैं साथ ही आम जनता भी विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों के लिये यहां पहुंचती है। इसके बावजूद संगमस्थल पर स्वच्छता के इंतजाम नहीं हैं। इसका उदाहरण संगमस्थल और उसके आसपास बिखरी गंदगी और कचरे को देखकर पता चलता है। महत्वपूर्ण स्थान होने के दृष्टिगत भी नगरपालिका को कूड़ेदान के साथ नियमित सफाई की व्यवस्था करनी चाहिए थी लेकिन इसके प्रति पालिका प्रशासन उदासीन नजर आ रहा है। बिखरी गदंगी के कारण तीर्थयात्री व पर्यटकों को निराशा होती है। संगमस्थल से सटे 1000 की आबादी वाले शक्तिनगर मोहल्ले में कूड़ा निस्तारण व्यवस्था न होने से स्थानीय निवासी पहाड़ी से कचरे को नदी की ओर उड़ेल देते हैं जिससे वो नदी में बहकर संगमस्थल पर पहुंच जाता है जिस कारण भी धार्मिक भावनाएं आहत हो रही हैं।
संगम स्थल पर पेयजल सुविधा के इंतजाम नहीं
धार्मिक, सांस्कृतिक व पर्यटन के लिहाज से भी बेहद महत्वपूर्ण होने और तीर्थयात्रियों, पर्यटकों व आम श्रद्धालुओं के संगमस्थल पर पहुंचने के बावजूद पेयजल सुविधा का इंतजाम न होने से लोगों को प्यासा रहना पड़ता है। संगमस्थल पर पेयजल सुविधा नहीं है लेकिन उस तक पहुंचने वाले मार्ग के किनारों पर भी इसका इंतजाम नहीं होने से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। संगमस्थल से सटे रास्ते की स्थिति भी ठीक नहीं है। फिसलनभरे रास्ते पर दुर्घटनाओं की आशंका है। कई बार लोग फिसल चुके हैं। संगमस्थल व आसपास के क्षेत्र और वहां तक पहुंचने वाले सम्पर् कमार्ग पर भी स्ट्रीटलाइट का इंतजाम नहीं है। गंगा आरती और मां गंगा मंदिर पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। संगम मार्ग पर अपराधिक छवि के व्यक्तियों के साथ नशेड़ियों का जमघट रहता है। नशेड़ियों के कारण संगममार्ग और संगमस्थल के आसपास शराब की बोतले और अन्य मादक पदार्थों के अवशेष पड़े रहते हैं। हालांकि शिकायत के बाद पुलिस के पहुंचने पर नशेड़ी और आपराधिक छवि के लोग भाग जाते हैं लेकिन पुलिस के जाते ही उनका जमघट फिर वहां लग जाता है।
बोले जिम्मेदार
नगर पालिका अध्यक्ष गणेश शाह का कहना है कि हमारा प्रयास है कि संगमस्थल तक जाने वाले मार्ग या फिर संगमस्थल के आसपास स्ट्रीटलाइट की व्यवस्था हो और कूड़ेदानों के साथ पर्याप्त सफाई की भी व्यवस्था हो। अभी कुछ समय पहले ही नये पालिका बोर्ड का गठन हुआ है इसलिए थोड़ा समय जरूर लगेगा नई व्यवस्थाएं बनाने में। हमारी कोशिश है कि श्रद्धालुओं और पर्यटकों को कोई दिक्कत न हो और उन्हें उचित माहौल मिले। अन्य जो भी आवश्यक इंतजाम पालिकास्तर पर हो सकते हैं उन्हें उपलब्ध संसाधनों में जरूर किया जाएगा।
कर्णप्रयाग में अलकनंदा और पिंडर के संगमस्थल पर चारधाम यात्री संगम दर्शन करने के लिए जाते हैं। वहां नदी किनारे सुरक्षा के उपाय नहीं है। पालिका प्रशासन को रेलिंग लगानी चाहिए। -राजेंद्र नेगी, स्थानीय निवासी।
संगमस्थल और आसपास के क्षेत्रों में प्रकाश व्यवस्था की जाए। वहां कांच, कूड़ा, पॉलीथिन आदि फैले रहते हैं। संगम पर सफाई व्यवस्था भी बेहतर होनी चाहिए। -नवीन पुजारी, स्थानीय निवासी।
शक्तिनगर जाने वाले रास्ते में लोग कूड़ा फेंक देते हैं। वह कूड़ा सीधे नदी में जाता है। इससे नदी का पानी दूषित हो रहा है और नदी में रहने वाले जीव जंतुओं पर बुरा असर पड़ता है। -देवराज रावत, स्थानीय निवासी।
संगम पर नालियों का पानी नमांमि गंगे के प्लांट में न जाकर सीधे नदी में जा रहा है। इससे नदी दूषित हो रही है। प्लांट को दुरुस्त कर पानी की ठीक से सफाई के बाद निकासी की जाए। -पंकज कुमेड़ी, स्थानीय निवासी।
संगम किनारे रंग बिरंगी लाइटें लगाई जाएं। यहां विभिन्न राज्यों से पर्यटक आते हैं, सौंदर्यीकरण होने से वहां व्यवस्थाएं बेहतर होंगी। जहां पर रास्ता क्षतिग्रस्त है उसे ठीक किया जाए। -बीपी सती, स्थानीय निवासी।
पालिका को संगमस्थल पर रेलिंग लगानी चाहिए ताकि स्नान या पवित्र जल लेते वक्त हादसे की आशंका न रहे। कूड़ेदानों की व्यवस्था की जाए ताकि वहां कचरा न बिखरे। -दुर्गेश चन्द्र भट्ट, स्थानीय निवासी।
संगम पर स्नानागार निर्माण के साथ रेलिंग लगाई गई थी यह बाढ़ में बह गई। करोड़ों खर्च के बावजूद भी यह कार्य एक बरसात नहीं झेल पाया था। काम गुणवत्ता से किया जाए। -बीरेंद्र मिंगवाल, स्थानीय निवासी।
संगम पर आपराधिक छवि और नशेड़यों का अड्डा बना रहता है। असामाजिक तत्व शराब, सुल्फा आदि पीते रहते हैं। पुलिस प्रशासन को सुरक्षा के इंतजाम करने चाहिए। -राजेंद्र सगोई, स्थानीय निवासी।
कर्णप्रयाग संगम पर लोग गंगाजल भरने आते हैं। वहां व्यवस्थाएं बदहाल हैं। न तो सुरक्षा जंजीरें लगी है और न लोहे के गार्डर हैं। संगम पर दिक्कत का सामना करना पड़ता है। -गोपी डिमरी, स्थानीय निवासी।
संगम पर जाने वाले रास्ते पर सफाई की जानी चाहिए। लोग बड़ी आस्था के साथ अलकनंदा व पिंडर के संगम पर जाते हैं। रास्ते में कीटनाशकों का छिड़काव होना चाहिए। -राम दयाल, स्थानीय निवासी।
नगर में पैदल रास्तों के किनारे झाड़ियां उगी हैं। इससे आवाजाही में दिक्कत होती है। संगम के रास्ते में बरसात में फिसलन रहती है। इन सभी व्यवस्थाओं को ठीक करना होगा। -राजेश नेगी, स्थानीय निवासी।
संगमस्थल या उसके आसपास पेयजल सुविधा जरूरी है जबकि संगम मार्ग पर स्ट्रीटलाइट्स की व्यवस्थाएं हों ताकि श्रद्धालुओं और पर्यटकों को परेशानी का सामना न करना पड़े। -सत्यप्रसाद नौटियाल, स्थानीय निवासी।
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