पूर्णागिरि मेले में मुंडन संस्कार को माना जाता है शुभ
टनकपुर के मां पूर्णागिरि शक्तिपीठ में मुंडन संस्कार का विशेष महत्व है। हर साल मेले के दौरान 40 हजार से अधिक बच्चे इस संस्कार में भाग लेते हैं। इस परंपरा का मानना है कि मुंडन से कुसंस्कार मिटते हैं और...

टनकपुर। उत्तर भारत के प्रमुख मां पूर्णागिरि शक्तिपीठ में मुंडन संस्कार का अपने आप में विशेष महत्व है। देवी के दर्शन को आने वाले श्रद्धालु बच्चों का मुंडन संस्कार कराते हैं। हर साल सिर्फ मेला अवधि में करीब 40 हजार से अधिक बच्चों का मुंडन संस्कार होता है। मान्यता है कि धार्मिक स्थलों पर बच्चों के मुंडन से कुसंस्कार मिटते हैं। हिंदू धर्म में पवित्र धार्मिक स्थलों पर मुंडन संस्कार की परंपरा है। जन्म के बाद पहली बार बच्चों के सिर के बाल उतारने को लोग पूरी श्रद्धा से धार्मिक स्थलों की ओर रुख करते हैं। इन धार्मिक स्थलों में एक पूर्णागिरि शक्तिपीठ में भी मुंडन संस्कार की परंपरा है।
मान्यता है कि बच्चों के मुंडन संस्कार से कुसंस्कार मिटते हैं। पूर्णागिरि के पुजारी पंडित भुवन चंद्र पांडेय के मुताबिक मानसिक विकारों को मिटा बच्चों में सुसंस्कार, सद्बुद्धि, बल बुद्धि एवं आदर्शों की उत्पत्ति के लिए विधि विधान से मुंडन संस्कार कराया जाना जरूरी है। धार्मिक स्थलों पर मुंडन संस्कार से बच्चों को वहां के दिव्य वातावरण का लाभ मिलता है। यही वजह है कि मां पूर्णागिरि के दर्शन को आने वाले ज्यादातर श्रद्धालु यहां अपने बच्चों का मुंडन संस्कार भी कराते हैं। इसके लिए बकायदा निर्धारित शुल्क पर मुंडन की व्यवस्था मुहैया कराई जाती है।
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