वायु गुणवत्ता पर हुआ मंथन
डीआईटी यूनिवर्सिटी में पीसीबी और यूसीओएसटी द्वारा वायु गुणवत्ता, अपशिष्ट प्रबंधन और स्वास्थ्य पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में विशेषज्ञों ने वायु प्रदूषण और अपशिष्ट प्रबंधन की चुनौतियों...

डीआईटी यूनिवर्सिटी में पीसीबी और यूसीओएसटी की ओर से गुरुवार को वायु गुणवत्ता, अपशिष्ट प्रबंधन और स्वास्थ्य पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें पर्यावरण को लेकर दुनियाभर के विशेषज्ञों ने अपने विचार रखे। कार्यक्रम का शुभारंभ कुलपति प्रो. जी रघुराम, यूएनडीपी के राज्य प्रमुख डॉ. प्रदीप मेहता और पीसीबी के पर्यावरण अधिकारी चंदन रावत ने दीप प्रज्जवलित कर किया। मुख्य संयोजक डॉ. नवीन सिंघल ने सम्मेलन के उद्देश्यों का एक व्यावहारिक अवलोकन के बारे में बताया।जिसमें वायु प्रदूषण और अपशिष्ट प्रबंधन जैसी पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटने के लिए तकनीकी प्रगति और सहयोगी प्रयासों की आवश्यकता पर बल दिया। प्रो. जी रघुराम ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के चौंकाने वाले आंकड़ों के बारे में बात करते हुए कहा कि खराब वायु गुणवत्ता के कारण हर साल लगभग सात मिलियन मौतें होती हैं। उन्होंने बताया कि भारत के दिल्ली और मुंबई जैसे प्रमुख शहर वायु प्रदूषण से निपटने के लिए प्रभावी समाधानों के साथ संघर्ष कर रहे हैं। डॉ. प्रदीप मेहता ने जोर देकर कहा कि वायु प्रदूषण सभी को समान रूप से प्रभावित करता है, चाहे उनकी पृष्ठभूमि या पेशा कुछ भी हो। चंदन सिंह रावत ने पर्यावरण स्वास्थ्य के प्रति सामूहिक जिम्मेदारी पर चर्चा की, जल प्रदूषण नियंत्रण में सुधार पर ध्यान दिया और नई प्रौद्योगिकी-संचालित समाधानों की वकालत की। यूपीईएस देहरादून की डॉ. शैली सिंघल ने सतत विकास और एक समावेशी हरित अर्थव्यवस्था (आईजीई) को बढ़ावा देने में अपशिष्ट प्रबंधन के महत्व पर जोर दिया।
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