Supreme Court impose Rs 5 lakh costs on lawyer for filing petition spoiled atmosphere सुप्रीम कोर्ट ने वकील पर लगा दिया 5 लाख का जुर्माना, चार हफ्ते में भरना होगा; किस बात पर भड़का, India Hindi News - Hindustan
Hindi Newsदेश न्यूज़Supreme Court impose Rs 5 lakh costs on lawyer for filing petition spoiled atmosphere

सुप्रीम कोर्ट ने वकील पर लगा दिया 5 लाख का जुर्माना, चार हफ्ते में भरना होगा; किस बात पर भड़का

  • जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने वकील संदीप टोडी को चार सप्ताह का समय दिया है। इस समयसीमा के भीतर राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) के खातों में राशि जमा करने को कहा गया है।

Niteesh Kumar भाषाTue, 22 April 2025 03:25 PM
share Share
Follow Us on
सुप्रीम कोर्ट ने वकील पर लगा दिया 5 लाख का जुर्माना, चार हफ्ते में भरना होगा; किस बात पर भड़का

सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका के जरिए मांगी गई राहत को लेकर कड़ी नाराजगी जताई। अदालत ने मंगलवार को वकील पर याचिकाकर्ता के रूप में याचिका दायर करने के लिए 5 लाख रुपये का जुर्माना लगा दया और कहा कि उसने कोर्ट का माहौल खराब किया है। जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने वकील संदीप टोडी को चार सप्ताह का समय दिया है। इस समयसीमा के भीतर राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) के खातों में राशि जमा करने को कहा है। साथ ही, यह पता लगाने के लिए 6 सप्ताह बाद याचिका को सूचीबद्ध करने का आदेश दिया कि क्या पैसा जमा किया गया था।

ये भी पढ़ें:न्यायपालिका के प्रति सम्मान सबसे ऊपर; विवादों के बीच सरकार के शीर्ष सूत्र
ये भी पढ़ें:जमीन पर पड़े 15 मिनट तड़पते रहे पूर्व DGP ओम प्रकाश, जान की भीख मांगते तोड़ा दम

जस्टिस नाथ ने कहा, ‘आपने इस अदालत का माहौल खराब कर दिया है। कोई भी विवेकशील वकील संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत ऐसी तुच्छ याचिका दायर नहीं करेगा।’ संविधान का अनुच्छेद 32 संवैधानिक उपचारात्मक तरीकों के अधिकार की गारंटी देता है। साथ ही, यह सुनिश्चित करता है कि व्यक्ति अपने मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होने पर उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकता है। पीठ ने कहा, ‘अगर हम याचिका को साधारण तरीके से वापस लेने की अनुमति देते हैं तो इससे गलत संदेश जाएगा।’

याचिका में क्या रखी गई थी मांग

पीठ ने वकील पर जुर्माना लगाते हुए उन्हें याचिका वापस लेने की अनुमति दी। वकील की याचिका में पारिवारिक विवाद में एक व्यक्ति को दी गई राहत पर रोक लगाने की मांग की गई थी। बीते 25 मार्च को दायर याचिका में कुटुंब न्यायालय, मुंबई के 25 सितंबर 2019 के आदेश को चुनौती दी गई। इसके मद्देनजर वर्तमान प्रतिवादी संख्या 4 (नेहा टोडी जिन्हें नेहा सीताराम अग्रवाल के नाम से भी जाना जाता है) के पक्ष में दी गई सभी राहतों पर एकपक्षीय रोक लगाने का आदेश देने की मांग रखी गई। याचिका में केंद्र, मुंबई की एक कुटुंब अदालत और बंबई उच्च न्यायालय को प्रतिवादी बनाया गया है।