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उत्तराखंड के अतिथि शिक्षक फिर आंदोलन की तैयारी में

उत्तराखंड के अतिथि शिक्षक फिर आंदोलन की तैयारी में 4 जून को दून में प्रांतीय

Newswrap हिन्दुस्तान, देहरादूनMon, 26 May 2025 04:49 PM
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उत्तराखंड के अतिथि शिक्षक फिर आंदोलन की तैयारी में

देहरादून। मानदेय बढोत्तरी, पद सुरक्षित करने समेत विभिन्न मांगों को लेकर राज्य के सरकारी माध्यमिक स्कूलों में तैनात चार हजार से ज्यादा अतिथि शिक्षकों ने आंदोलन के लिए बांहे चढ़ाना शुरू कर दिया। आगामी चार जून को माध्यमिक अतिथि शिक्षक संघ का प्रांतीय अधिवेशन बुला लिया गया है। सोमवार को संघ के प्रांतीय कार्यकारी अध्यक्ष आशीष जोशी ने हिन्दुस्तान से कहा कि प्रांतीय अधिवेशन में आंदोलन की रणनीति को तय किया जाएगा। उन्होंने आरोप लगाया कि अतिथि शिक्षक वर्ष 2015 से दुर्गम क्षेत्र के स्कूलों में प्रतिकूल हालात और अल्प मानदेय में काम कर रहे हैं। सरकार कई बार समस्याओं का समाधान करने का वादा कर चुकी है, लेकिन कार्यवाही नहीं हो रही है।

अब अतिथि शिक्षक कोरे आश्वासनों को नहीं मानेंगे। चार जून के अधिवेशन में संघ अपनी आगे की रणनीति की घोषणा करेगा। वर्तमान में प्रदेश के माध्यमिक स्कूलों में प्रवक्ता और एलटी कैडर के पदों पर चार हजार से ज्यादा अतिथि शिक्षक काम कर रहे हैं। अधिकांश अतिथि शिक्षक दुर्गम और अतिदुर्गम क्षेत्रों में कार्यरत है। पिछले कई साल से अतिथि शिक्षक लगातार सरकार से उनके नियमितीकरण, पद सुरक्षित रखने के लिए नीति बनाने की मांग कर रहे हैं। इसके साथ ही वो अपने 25 हजार रुपये के मानदेय को बढ़ाने की मांग भी करते आ रहे हैं। वर्ष 2023 और वर्ष 2024 आंदोलन के बाद शिक्षा मंत्री, शिक्षा सचिव, महानिदेशक और निदेशक स्तर हुई वार्ताओं में उनकी मांगों पर कार्यवाही का आश्वासन दिया गया था। लेकिन अब तक एक भी मांग पर अमल नहीं हुआ। मानसिक तनाव से गुजर रहे अतिथि शिक्षक माध्यमिक अतिथि शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अभिषेक भट्ट का कहना है कि प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था में गुणवत्ता वृद्धि में प्रत्येक अतिथि शिक्षक का भी योगदान है। अतिथि शिक्षक जहां भी तैनात हैँ पूरी निष्ठा के साथ अध्यापन करा रहे हैं। 10 साल से ज्यादा की सेवा के बाद भी हर वक्त नौकरी पर खतरा महसूस होता रहा है। नई नियुक्ति, प्रमोशन और तबादला प्रक्रिया के दौरान स्थायी शिक्षक की नियुक्ति होने पर अतिथि शिक्षकों को हटना पड़ता है। अतिथि शिक्षक मानसिक तनाव से गुजर रहे हैं। सरकार को चाहिए कि जल्द से जल्द अतिथि शिक्षकों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए ठोस नीति बनाएं।

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