Uttarakhand Government Approves Monthly Pension for Senior Artists and Writers असर : लोक कलाकारों की मासिक पेंशन की मंजूरी के लिए कमेटी का गठन, Dehradun Hindi News - Hindustan
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असर : लोक कलाकारों की मासिक पेंशन की मंजूरी के लिए कमेटी का गठन

उत्तराखंड सरकार ने वृद्ध और जरूरतमंद लेखकों और कलाकारों के लिए मासिक पेंशन की मंजूरी दी है। इसके लिए संस्कृति विभाग में एक कमेटी का गठन किया गया है। सांस्कृतिक दलों का अनुबंध अब जिलास्तर पर किया...

Newswrap हिन्दुस्तान, देहरादूनThu, 10 April 2025 08:50 PM
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असर : लोक कलाकारों की मासिक पेंशन की मंजूरी के लिए कमेटी का गठन

धामी सरकार ने वृद्ध-जरूरतमंद लेखक-कलाकारों की मासिक पेंशन की मंजूरी को लेकर संस्कृति विभाग के सचिव की अध्यक्षता में कमेटी का गठन कर दिया है। इसके साथ ही सरकार ने सांस्कृतिक दलों का अनुबंध जिलास्तर पर ही करने का निर्णय लिया है। इसके अलावा लोक संस्कृति में रुचि रखने वाले अधिकारी को ही नोडल बनाया जाएगा। इन फैसलों के बाद कलाकारों के मामले में कार्यक्रमों की बंदरबांट नहीं होगी।

तीन अप्रैल के आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान ने ‘बोले देहरादून अभियान के तहत उत्तराखंड के लोक कलाकारों की पीड़ा को प्रमुखता से उठाया था। सांस्कृतिक कार्यक्रमों की बंदरबांट से कलाकार आक्रोशित थे और उन्होंने लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी की अगुवाई में संस्कृति निदेशालय में प्रदर्शन किया था। इसके बाद सरकार ने कलाकारों की सुध ली। उत्तराखंड संस्कृति विभाग के सचिव युगल किशोर पंत की तरफ से कलाकारों के बाबत दो अलग-अलग आदेश किए हैं। पहले आदेश में राज्य के वृद्ध, गरीब कलाकारों के साथ ही लेखकों की मासिक पेंशन मंजूरी को तीन वर्ष के लिए कमेटी का गठन किया है। इस कमेटी के अध्यक्ष विभागीय सचिव रहेंगे। कमेटी में चार सदस्य शामिल किए हैं। इनमें लोकगायक नेगी के अलावा नाटककार जहूर आलम, ललित कला विशेषज्ञ और कुमाऊं विश्वविद्यालय अल्मोड़ा के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर शेखर जोशी और साहित्य कला क्षेत्र से पद्म श्री लीलाधर जगूड़ी को शामिल किया गया है। विदित है कि वृद्ध कलाकारों और लेखकों को मासिक रूप से तीन हजार रुपये पेंशन मिलती है। सरकार ने दूसरे आदेश में सांस्कृति दलों को अनुबंध के लिए जिलाधिकारियों के लिए विस्तृत गाइड लाइन जारी की है। लोक कलाकारों की सहूलियत के लिए अब सांस्कृतिक दलों का अनुबंध जिलास्तर पर होगा। जिलाधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि सांस्कृतिक दलों के अनुबंध के लिए इसमें अभिरूचि रखने वाले अफसरों को नोडल अफसर बनाया जाए।

सबको काम देने के लिए रोस्टर के अनुरूप ही आवंटित होंगे कार्यक्रम

जिलाधिकारी की ओर से नामित नोडल अफसर सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति विभाग में सूचीबद्ध सांस्कृतिक दलों/ लोक गायकों की सूची के अनुसार ही अनुबंधित करेंगे। नोडल अफसर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आवंटन रोस्टर के अनुसार ही करेंगे,ताकि सूचीबद्ध सभी सांस्कृतिक दलों और लोकगायकों को कार्य मिल सके। नोडल अफसर सांस्कृतिक दलों और लोक गायकों के प्रस्तुत कार्यक्रमों के बिल सत्यापित कर विभागीय मंडलीय अफसरों को भेजेंगे। गढ़वाल के आवेदन क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी पौड़ी, कुमाऊं मंडल के आवेदन क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी अल्मोड़ा को भुगतान के लिए भेजे जाएंगे। सांस्कृतिक दलों के मानदेय, मार्ग व्यय और यात्रा व्यय 2020 के जीओ के आधार पर जारी किए जाएंगे।

लोक कलाकारों की आवाज बनकर साथ खड़े हुए थे नेगी

उत्तराखंड के प्रसिद्ध लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी ‘नेगीदा भी लोक कलाकारों की हक की आवाज उठाने के लिए आगे आए थे। वे इन कालाकारों संग न सिर्फ धरने पर बैठे, बल्कि उन्होंने उत्तराखंड आंदोलन के समय जन गीत बने ‘उठा जागा उत्तराखंड्यू सौं उठाणो बखत ऐगे गाकर हुंकार भरी थी। तब नेगीदा ने कहा था कि लोक कलाकारों को उनका हक मिलना ही चाहिए। लोक कलाकार स्वाभिमानी होता है। लेकिन, अफसरों का रवैया इन कलाकारों का मनोबल और स्वाभिमान को तोड़ने वाला नहीं होना चाहिए।

सुझाव

1. सांस्कृतिक दलों का भुगतान एक महीने में किया जाए।

2. भुगतान होने पर उसका विवरण दल नायक को दिया जाए।

3. सभी सांस्कृतिक दल-लोक कलाकार जीएसटी से मुक्त हों।

4. सभी सांस्कृतिक दलों को पूर्व की भांति यात्रा भत्ता मिले।

5. रोस्टर के हिसाब से कार्यक्रम दिए जाएं, न कि डिमांड के हिसाब से।

6. कुमाऊं के सांस्कृतिक दलों के बिल का भुगतान अल्मोड़ा और गढ़वाल के पौड़ी से किया जाए।

7. संस्कृति विभाग के कलाकार अभी तक कम मानदेय में कार्य कर रहे हैं। इसलिए मानदेय वृद्धि की जानी चाहिए।

8. संस्कृति विभाग में कलाकारों का ऑडिशन ना करवाकर उन्हें चिन्हित करके पंजीकृत किया जाना चाहिए।

9. सांस्कृतिक दलों को वेशभूषा आभूषण और रखरखाव के लिए वार्षिक अनुदान राशि दी जाए।

10. लोक कलाकारों की विभाग से मिलने वाली पेंशन वृद्धि के साथ पेंशन की उम्र 55 वर्ष की जाए।

समाधान

1. लोक कलाकारों के लिए भुगतान की प्रक्रिया को सरलीकरण किया गया है। ताकि कलाकारों को आसानी हो सके।

2. भुगतान का विवरण दलनायक को देने की व्यवस्था की जा रही है।

3. जीएसटी कटौती खत्म करने पर कोई फैसला नहीं हुआ है।

4. 2020 के शासनादेश के अनुसार लोक कलाकारों को यात्रा भत्ता और मानदेय दिया जाएगा।

5. कुमाऊं के अल्मोड़ा और गढ़वाल के कलाकारों के बिलों का भुगतान पौड़ी से किया जाएगा।

6. मानदेय बढ़ोतरी पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है।

7. जिला स्तर पर रोस्टर बनाकर कार्यक्रमों का आवंटर किया जाएगा। इससे सभी कलाकारों को काम मिल सकेगा।

8. सांस्कृतिक दलों का अनुबंध जिला स्तर पर होगा, जिसकी निगरानी खुद जिलाधिकारी करेंगे।

9. सांस्कृतिक दलों के अनुदान राशि पर कोई निर्णय नहीं हुआ है।

10. पेंशन निर्धारण के लिए चार सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है।

हिन्दुस्तान ने कलाकारों की पीड़ा समझी और मुद्दा उठाया

जिला स्तर पर कलाकारों के ऑडिशन होने ही चाहिए, इससे ग्राम स्तर तक कलाकारों को प्रतिभा दिखाने का मौका मिलेगा। सिर्फ दून में ऑडिशन का मतलब था कि संस्कृति विभाग औपचारिकता निभाता रहा। यही वजह है कि पूरे राज्य से अब भी सिर्फ ढाई सौ दल और डेढ़ सौ एकल कलाकार ही पंजीकृत हैं। अशक्त कलाकारों की पेंशन के लिए मानक शिथिल किए जाने की जरूरत है। हमने यह मांग भी प्रमुखता से उठाई कि कलाकारों के पास रजिस्ट्रेशन पहचान पत्र होना जरूरी है। जिला-ब्लॉक स्तर से कलाकार जुड़ेंगे और नियमित रूप से काम मिलेगा, इससे पलायन की समस्या भी दूर होगी। इसके लिए सरकार के साथ-साथ ‘हिन्दुस्तान अखबार का धन्यवाद कि उन्होंने कलाकारों की पीड़ा समझी। -नरेंद्र रौथाण, लोक गायक / निर्माता निर्देशक

कलाकारों की समस्या को ‘हिन्दुस्तान ने महत्व दिया

जब जागे तब ही सवेरा, उत्तराखंड सरकार और विशेष तौर पर सचिव की ओर से लोक कलाकारों के हित में लिए गए सभी फैसले प्रशंसनीय हैं। मैं उत्तराखंड के सभी कलाकारों की तरफ से व्यक्तिगत रूप से भी सरकार का आभार व्यक्त करता हूं। साथ ही उन सभी लोक कलाकारों और ‘हिन्दुस्तान अखबार का भी विशेष आभार, जिन्होंने इस बात को पुरजोर तरीके से उठाया। सरकार तक कलाकारों की बात पहुंची और उस पर फैसले भी हुए। कलाकारों ने जिस बात को उठाया, ‘हिन्दुस्तान अखबार ने उसे महत्व दिया और सरकार ने उतनी ही गंभीरता से समझा। इसका परिणाम भी बहुत अच्छा रहा। उम्मीद है सभी कलाकारों को इससे राहत मिली होगी। -नंदलाल भारती, लोक कलाकार-जौनसार

सरकार तक बात पहुंचाने में ‘हिन्दुस्तान ने की मदद

‘हिन्दुस्तान ने लोक कलाकारों की समस्या को समझा और सरकार तक हमारी आवाज पहुंचाने में मदद की। क्योंकि, लोक कलाकारों के लिए अपनी समस्याओं के लिए सड़क पर उतरकर लड़ना अक्सर मुश्किल होता है। सरकार तक बात पहुंची तो इन समस्याओं के समाधान की दिशा में भी सरकार ने भी उचित फैसले लेने में देरी नहीं की। यह बहुत अच्छी पहल है। हमें यकीन है कि आने वाले समय में सभी कलाकारों को नियमित रूप से काम मिलेगा। कलाकारों को उचित मंच, मान-सम्मान और मौकों की जरूरत होती है। मुख्यमंत्री और सचिव का भी बहुत-बहुत धन्यवाद। ‘हिन्दुस्तान अखबार का भी आभार। -वीरेंद्र नेगी राही, संगीतकार और पुत्र स्वर्गीय चंद्र सिंह राही

अब लोक कलाकारों को दिख रही उम्मीद की किरण

जब हम सब लोक कलाकार अपनी समस्याओं को लेकर आवाज उठा रहे थे तो ‘हिन्दुस्तान ने हमारी मांगों को आवाज दी। उसे प्रमुखता से उठाया। आज लोक कलाकारों को उम्मीद दिख रही है। आज भी लोक कलाकारों को विभाग से मिलने वाली पेंशन अभी बहुत कम है, इसे बढ़ाया जाना चाहिए। इसके साथ ही पेंशन मिलने की उम्र को 60 से घटाकर 55 वर्ष किया जाना चाहिए। सरकार को बीमार और दुर्घटना का शिकार होने वाले कलाकारों की भी सुध लेनी चाहिए। प्रतिभाओं को तराशने के लिए सरकारी स्तर पर कार्यशालाएं होनी चाहिए। कुछ कलाकार लोक में छुपी परम्पराओं और गायन क्षेत्र में काम कर रहे हैं उन्हें भी प्रोत्साहन मिले। -सौरभ मैठाणी, युवा लोकगायक

बोले कलाकार

अभी तक सिर्फ प्रदेश स्तर का एक ही ऑडिशन दून में होता आया है। जिला स्तर पर ऑडिशन से अधिक संख्या में कलाकारों को प्रतिभा दिखाने का अवसर मिलेगा और गुणवत्ता भी सुधरेगी। -विशाल सावंत

जिला स्तर पर कलाकारों का ऑडिशन और पंजीकरण का निर्णय सराहनीय है। कलाकारों को समय रहते इसकी सूचना भी दी जानी चाहिए। -सुषमा नेगी, गायिका, मां धारी देवी संस्था

कलाकारों के प्रदर्शन के बाद सरकार जागी है, ये सकारात्मकता है। हिन्दुस्तान ने कलाकारों की पीड़ा को प्रमुखता से उजागर किया है। इसके लिए हिन्दुस्तान समाचार पत्र का धन्यवाद। -महेश चंद

सांस्कृतिक दलों का अनुबंध अब जिलास्तर पर ही होगा। उत्तराखंड प्रदेश में लोक रुचि और संस्कृति की समझ रखने वाले अफसरों को ही ये दायित्व दिया जाना कलाकारों के हित में है। -शैलेन्द्र शैलू संगीतकार

सांस्कृतिक दलों और लोक कलाकारों के लिए संस्कृति विभाग में कलाकारों के प्रदर्शन के बाद हलचल हुई है। हिन्दुस्तान समाचार पत्र ने हमारी आवाज को पूरी गंभीरता से उठाया है। -रवि पंवार

जिला स्तर पर कलाकारों का चयन एक अच्छा कदम है। सुदूर ग्रामीण क्षेत्र के कलाकारों को उचित मंच मिलेगा और आगे बढ़ने का अवसर मिलेगा। कार्यक्रमों के आंवटन को रोस्टर जरुरी है। -शिवानी नेगी

उत्तराखंड के अधिक से अधिक सुदूर क्षेत्र के लोक कलाकारों को संस्कृति विभाग द्वारा चिन्हित किया जाना चाहिए। साथ ही प्रदेश में कलाकारों के लिए रोस्टर प्रणाली अपनाई जाए। -जितेंद्र राणा

पहले और वर्तमान में कलाकारों की प्रस्तुति में बहुत अंतर आ गया है। पहले कार्यक्रम में अलग-अलग कलाकार होते थे। विभाग की उपेक्षा से कार्यक्रमों की गुणवत्ता गिरती जा रही है। -संजय नेगी

प्रदेश के कोने-कोने में कलाकारों की प्रतिभा को पहचानकर उन्हें पंजीकृत किया जाए। इससे ठेकेदारी प्रथा पर रोक लगेगी और युवा कलाकारों को मौका मिलेगा। - राजेंद्र मेहता

कलाकारों की पेंशन और मानदेय में भी बढोत्तरी की मांग कर रहे हैं। केंद्र में मानदेय बढ़े हुए एक साल हो गया है। राज्य में अभी तक मानदेय में वृद्धि नहीं हो सकी है। -जितेंद्र शाह

कलाकारों और सांस्कृतिक दलों को रोस्टर के हिसाब से कार्यक्रम मिलने चाहिए। इससे कुछ ही दल और चुनिंदा कलाकारों का दबदबा नहीं रहेगा। -जितेंद्र बलूनी

कलाकारों का समय पर भुगतान न होने से दल नायकों को अपनी जेब से कलाकारों को खर्चा देना पड़ता है। इससे कई दल नायकों पर हजारों का कर्ज चढ़ चुका है। - भुवन जोशी

कार्यक्रमों में लोक कलाकारों को निरंतर प्रस्तुति का मौका मिलेगा तो उनका आत्मविश्वास बढ़ेगा। युवा पीढ़ी भी लोक विद्या को अपनाने में संकोच नहीं करेगी। -गोकुल बिष्ट

डिमांड पर काम करने से नए दलों और कलाकारों को कभी कार्यक्रम में प्रस्तुति देना का मौका नहीं मिलता है। इससे उन्हें बहुत पेरशानी होती है। - आशीष नौटियाल

भुगतान में देरी होने से कलाकारों को बहुत परेशानी होती है। किसी कार्यक्रम में जाना है तो उनके खाने-पीने, रहने का खर्चा दल नायक को देना पड़ता है। - अनूप नेगी

यह बहुत ही सराहनीय प्रयास है। इससे जमीनी स्तर की वास्तविक कलाकारों को भी प्रदेश में अपनी कला का प्रदर्शन का मौका मिलेगा। -शकुंतला ईस्टवाल

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