बोले हल्द्वानी: महिला कॉलेज की छात्राओं को नहीं चाहिए क्लस्टर मोड
हल्द्वानी के इंदिरा प्रियदर्शिनी राजकीय महाविद्यालय की छात्राएं क्लस्टर मोड पर कॉलेज संचालित करने के खिलाफ हैं। उनका कहना है कि इससे उनकी सुरक्षा, निजता और पढ़ाई का माहौल प्रभावित होगा। छात्राओं ने...
हल्द्वानी। हल्द्वानी स्थित इंदिरा प्रियदर्शिनी राजकीय महाविद्यालय को क्लस्टर मोड पर संचालित करने का विरोध किया जा रहा है। यहां की छात्राओं का कहना है कि सुरक्षा और सहजता के लिए उनके कॉलेज का संचालन हमेशा वर्तमान की तरह ही किया जाए, इससे वह पढ़ाई करने में सहज महसूस करेंगीं। छात्राओं को कहना है कि नए मोड से अच्छा यह होगा कि उनके कॉलेज के संरचनात्मक ढांचे में बदलाव करते हुए बेहतरी के प्रयास किए जाएं। कॉलेज में कॉमर्स, कला और विज्ञान संकाय की सभी कक्षाओं में पढ़ने वाली छात्राओं को पर्याप्त व्यवस्थाएं उपलब्ध कराई जाएं। छात्राओं का कहना है कि क्लस्टर मोड उनकी सुरक्षा और निजता के खिलाफ है। कॉलेज में पुस्तकालय और परीक्षा हॉल आदि की कमी से जूझ रही छात्राओं का कहना है कि क्लस्टर बनेगा तो एक तो कॉलेज के अस्तित्व पर बात आएगी और दूसरा छात्राओं को अतिरिक्त परेशानियों से जूझना पड़ेगा। बोले हल्द्वानी की टीम जब छात्राओं के बीच पहुंची तो उन्होंने खुलकर अपनी समस्याएं बताईं और उनके समाधान के लिए सुझाव भी दिए।
राज्य के एकमात्र महिला कॉलेज इंदिरा प्रियदर्शिनी राजकीय महाविद्यालय में लगभग 2500 से अधिक छात्राएं अध्ययनरत हैं। यहां की छात्राओं का कहना है कि उत्तराखंड का इकलौता महिला महाविद्यालय होने और पढ़ाई का अच्छा माहौल होने के कारण उनके परिजन उन्हें पढ़ाई के लिए भेजते हैं। छात्राओं के अनुसार यदि कॉलेज क्लस्टर मोड पर संचालित होगा तो उनकी पढ़ाई प्रभावित होगी। छात्राएं, कॉलेज में बालकों के प्रवेश और क्लस्टर मोड में संचालन का विरोध कर रही हैं। उनका कहना है कि इससे उनकी सुरक्षा और निजता खतरे में पड़ जाएगी। छात्राएं मांग कर रही हैं कि कॉलेज का संचालन पहले की तरह ही किया जाए, इससे उन्हें पढ़ाई में सहूलियत होगी। वे कॉलेज के संरचनात्मक ढांचे में सुधार और बीकॉम कक्षाओं के लिए बेहतर सुविधाओं की मांग कर रही हैं। छात्राओं का कहना है कि पहले ही उनके कॉलेज में पुस्तकालय में बैठने की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है क्लस्टर होने पर छात्र संख्या बढ़ने पर यह परेशानियां दोगुनी हो जाएगी।
लड़कों के प्रवेश से प्रभावित होगी पढ़ाई: छात्राओं का कहना है कि क्लस्टर मोड का निर्णय उनकी सुरक्षा, निजता और पढ़ाई के अनुकूल माहौल के खिलाफ है। छात्राओं ने कहा कि यदि कॉलेज में बालकों को प्रवेश दिया गया और क्लस्टर मोड लागू किया गया, तो उनकी सुरक्षा सीधे तौर पर प्रभावित होगी। साथ ही, उनका यह भी कहना है कि इससे कॉलेज का महिला संस्थान के रूप में अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा और पढ़ाई के माहौल पर भी असर पड़ेगा। छात्राओं ने मांग की है कि कॉलेज का संचालन पूर्ववत रखा जाए और संस्थान के संरचनात्मक ढांचे में सुधार कर सुविधाएं बढ़ाई जाएं। विशेष रूप से बीकॉम कक्षाओं, पुस्तकालय और परीक्षा हॉल की व्यवस्था को दुरुस्त किया जाए ताकि वे सहजता से अपनी पढ़ाई जारी रख सकें।
पुस्तकालय में जगह और किताबों की कमी: छात्राओं ने पुस्तकालय संबंधी समस्याएं भी गिनाई हैं। उनका कहना है कि कॉलेज के पुस्तकालय में न तो बैठने के लिए पर्याप्त जगह है और न ही पढ़ने के लिए किताबें हैं। इस वजह से छात्राओं को काफी दिक्कत हो रही है। कभी उन्हें बैठने की जगह नहीं मिलती, तो कभी अपनी ज़रूरत की किताब नहीं मिल पाती। मजबूरन उन्हें बाहर से महंगी किताबें खरीदनी पड़ती हैं। छात्राओं ने चिंता जताई है कि अगर कॉलेज में छात्र आते हैं (कलस्टर होने पर) तो पुस्तकालय में किताबों की और भी ज़्यादा कमी हो जाएगी। छात्राओं ने कॉलेज प्रशासन से गुजारिश की है कि पुस्तकालय में जगह और किताबों की संख्या बढ़ाने पर ध्यान दें ताकि सभी छात्राओं को आसानी से पढ़ने और सीखने का मौका मिल सके।
क्लस्टर से पढ़ाई होने पर माहौल बदलेगा: महाविद्यालय की छात्राओं ने कहा कि लड़कों के आने के बाद उनके कॉलेज में पढ़ाई के माहौल में बदलाव आ जाएगा। अभी तक यह कॉलेज राज्यभर की बालिकाओं के लिए सुरक्षित और अनुशासित माहौल का प्रतीक रहा है, लेकिन क्लस्टर मोड लागू होने से कॉलेज में लड़कों के पढ़ाई के तरीके अलग होने और विवाद आदि की स्थिति बन सकती है। ऐसे में कई छात्राओं की पढ़ाई प्रभावित हो सकती है।
छात्राओं की पांच समस्याएं
1. क्लस्टर मोड में कॉलेज संचालित होने से उनकी सुरक्षा प्रभावित होगी।
2. सभागार और पुस्तकालय की सीमित है व्यवस्था।
3. खेल और योग के लिए नहीं है बड़ा मैदान।
4. क्लस्टर मोड से समय और धन की बर्बादी होगी।
5. कॉलेज में पर्याप्त विषयों की सुविधा नहीं।
छात्राओं के पांच सुझाव
1. क्लस्टर मोड का विकल्प हटाकर सुविधाएं बेहतर की जाएं।
2. परास्नातक में विषयों की सुविधा बढ़ाई जाए।
3. समय और यात्रा के बोझ को न बढ़ाया जाए।
4. कॉलेज मैदान और खेल सुविधाएं बढ़ाई जाएं।
5. सभागार और पुस्तकालय की व्यवस्था बढ़े।
छात्राओं की समस्याएं
क्लस्टर मोड से हमारी सुरक्षा पर असर पड़ेगा। लड़कों के कॉलेज से जुड़ने से माहौल बदल जाएगा। हम पहले जहां आराम से पढ़ते थे अब असहज महसूस करेंगे। इससे हमारी पढ़ाई पर सीधा असर पड़ेगा। हम इस निर्णय से बिल्कुल सहमत नहीं है।
पिंकी बिनवाल
हम पहाड़ों से आती हैं, जहां घरवाले बहुत सोच-समझकर बेटियों को बाहर पढ़ने भेजते हैं। अगर कॉलेज में लड़कों का आना शुरू हुआ तो परिवारों को आपत्ति होगी। हमें फिर से समझाना मुश्किल होगा। ऐसे में कई लड़कियां पढ़ाई छोड़ सकती हैं।
हेमा पांडे
कॉलेज का माहौल अगर बदलता है तो हम खुलकर पढ़ नहीं पाएंगीं। क्लास में सवाल-जवाब करने में भी हिचकिचाहट होगी। माहौल ऐसा होना चाहिए कि लड़कियां बेझिझक पढ़ सकें, नहीं तो हमारा आत्मविश्वास भी टूटेगा।
दीपांजलि चिनयाल
हममें से कई लड़कियां रोजाना गांवों से लंबी दूरी तय करके आती हैं। अगर क्लस्टर बनता है तो आने-जाने का खर्च बढ़ेगा जिससे हमें काफी मुश्किल होगी। इससे कई लड़कियां रेगुलर आना बंद कर देंगी। पढ़ाई पर असर पड़ेगा।
भावना अधिकारी
अगर कोर्स बढ़ाए जा रहे हैं तो हमें सुविधाएं भी मिलनी चाहिए। कॉलेज में कोई सुविधा तो है नहीं। कोर्स बढ़ाने के साथ-साथ लाइब्रेरी, लैब और क्लासरूम को बेहतर बनाया जाए। सिर्फ नाम के बदलाव से पढ़ाई पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
हेमा मेहरा
कॉमर्स कोर्स में सुधार की जरूरत है। इसके लिए संसाधन बढ़ाए जाएं। क्लस्टर मोड को लागू किया जाना है तो इसमें छात्राओं के हितों को ध्यान में रखा जाना चाहिए। हमारी सभी कक्षाएं हमारे कॉलेज में ही लगनी चाहिए।
दिव्यांशा भट्ट
लड़कों के साथ पढ़ाई करने में दिक्कत आती है। लड़के पढ़ाई कम शरारत ज्यादा करते हैं। उनकी ऐसी हरकतों की वजह से ध्यान भटक सकता है और माहौल भी तनावपूर्ण हो सकता है। हमें शांत और सुरक्षित माहौल चाहिए ताकि पढ़ाई में मन लगे।
कंचन पांडे
हमारे लिए सबसे जरूरी है कि कॉलेज का माहौल सुरक्षित और सुकूनभरा रहे। लड़कियां तभी आगे बढ़ती हैं जब माहौल अनुकूल होता है। अगर यह बदला तो कई लड़कियां पीछे हटेंगी। विभाग द्वारा लिया गया ये निर्णय हमें स्वीकार नहीं है।
फ़िजा शेख
हमने इस कॉलेज को इसलिए चुना था क्योंकि यहां केवल लड़कियां पढ़ती हैं। केवल लड़कियों के होने से माहौल सुरक्षित लगता है। क्लस्टर बनने से अगर माहौल बिगड़ा तो पढ़ाई भी प्रभावित होगी। हमें यह मंजूर नहीं है।
पूजा मेहरा
अगर कॉलेज में सह-शिक्षा होने लगी तो काफी दिक्कतें हो सकती हैं। सुरक्षा का सवाल हमारे लिए सबसे अहम है। अगर यह प्रभावित होता है तो हम कॉलेज आना भी छोड़ सकती हैं। हमारे घरवाले पहले ही इस बात को लेकर सख्त हैं।
शाजिया
लड़कों के आने से पढ़ाई में भी रुकावट आएगी। टीचर भी खुलकर नहीं पढ़ा पाएंगे और लड़कियां भी सवाल पूछने में हिचकेंगी। माहौल बिगड़ जाएगा। कॉलेज का माहौल काफी बदल जाएगा। जिससे छात्रों के साथ-साथ शिक्षकों को भी परेशानी होगी।
मुस्कान
हम दूर से आती हैं और पहले ही यात्रा में काफी वक्त निकल जाता है। अगर क्लस्टर की वजह से दूरी और बढ़ी तो पढ़ाई छोड़नी पड़ेगी। यह हमारे लिए बड़ा नुकसान होगा। क्लस्टर की वजह से अगर छात्राओं को पढ़ाई छोड़नी पड़े तो क्या फायदा।
सरिता जोशी
मेरे घरवालों ने तो कह दिया है कि अगर कॉलेज में लड़कों का दाखिला शुरू हुआ तो पढ़ाई बंद कर देंगे। इसलिए हम नहीं चाहते कि हमारे कॉलेज में लड़के भी पढ़ें। यह सिर्फ मेरी नहीं, कॉलेज के अधिकांश लड़कियों की समस्या है।
मीनाक्षी
हम चाहते हैं कि कॉलेज में माहौल पहले जैसा सुरक्षित बना रहे। पढ़ाई के साथ-साथ हमारी सहूलियत और इज्जत भी बनी रहनी चाहिए। तभी हम आगे पढ़ पाएंगीं। लड़कों के आने से सारा माहौल खराब हो जाएगा, इसलिए कलस्टर नहीं होना चाहिए।
पूजा बिष्ट
हमारे परिवार हमें बड़ी उम्मीदों के साथ यहां पढ़ने भेजते हैं। अगर माहौल बदला तो घरवाले हमें रोक लेंगे। जिससे पढ़ाई पर गहरा असर पड़ेगा। इसलिए हमें ही नहीं, कॉलेज को भी सोच-समझकर फैसला लेना चाहिए।
पूजा जोशी
बदलाव अच्छा है लेकिन ऐसा बदलाव होना चाहिए जो हमारे हक में हो। बिना हमारी राय लिए, फैसले करना ठीक नहीं। हमारी सुरक्षा और पढ़ाई दोनों को प्राथमिकता मिलनी चाहिए। कॉलेज प्रबंधन को इस विषय पर हमारी राय लेनी चाहिए थी।
ईशा मेहरा
हमें कोर्स और सुविधाएं दोनों चाहिए, लेकिन हमारी सुरक्षा से समझौता नहीं होना चाहिए। लड़कियों की आवाज़ को भी महत्व दिया जाना चाहिए। कोर्स हमारे कॉलेज में भी शुरू किए जा सकते है, इसमें कॉलेज को कोएड करने की क्या जरूरत।
ज्योति मेहरा
हम चाहते हैं कि पढ़ाई का स्तर ऊंचा हो, लेकिन माहौल भी सुरक्षित रहे। अगर माहौल बिगड़ा तो लड़कियां खुद पढ़ाई छोड़ देंगी। हम सभी छात्राओं के भविष्य के साथ-साथ खिलवाड़ हो रहा है, जो कि सरासर अन्याय है।
भावना थापा
हमारे माता-पिता हमें पहले ही सोच-समझकर कॉलेज भेजते हैं। अगर ऐसी दिक्कतें बढ़ेंगी तो वे हमें पढ़ाई से हटा लेंगे। यह हमारे भविष्य के लिए नुकसानदायक होगा। कॉलेज प्रबंधन को हमारी समस्या समझनी चाहिए और इसका समान करना चाहिए।
ममता रुवाली
हम चाहते हैं कि फैसले हमारी सहूलियत के हिसाब से हों। माहौल सुरक्षित रहे ताकि हम बिना डर के पढ़ाई कर सकें और अपने सपने पूरे कर सकें। कॉलेज प्रबंधन अपना निर्णय हम पर नहीं थोप सकता। हम प्रदर्शन करेंगीं।
पलक जोशी
बोले जिम्मेदार
हमारी ओर से अभी तक क्लस्टर मोड को लेकर कोई प्रस्ताव नहीं भेजा गया है। छात्राओं की ओर से विरोध किया जा रहा है। इस पर शासन के विचार के बाद ही कार्रवाई की जाएगी।
प्रो. आभा शर्मा, प्राचार्य, महिला महाविद्यालय, हल्द्वानी।
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