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बोले गढ़वाल : कोटद्वार के रतनपुर सनेह बस्ती के निवासियों को खोह नदी से खतरा

कोटद्वार के रतनपुर सनेह बस्ती क्षेत्र में सरकारी लापरवाही से जनसुरक्षा का खतरा बढ़ गया है। खोह नदी के किनारे सुरक्षा दीवार का निर्माण नहीं होने से लोग डर में हैं। पिछले बरसात में हुए नुकसान के बाद भी...

Newswrap हिन्दुस्तान, कोटद्वारFri, 16 May 2025 10:46 PM
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बोले गढ़वाल : कोटद्वार के रतनपुर सनेह बस्ती के निवासियों को खोह नदी से खतरा

नगर निगम कोटद्वार के अंतर्गत आने वाले रतनपुर सनेह बस्ती क्षेत्र में जनसुरक्षा के प्रति सरकारी मशीनरी की गंभीर लापरवाही आने वाले समय में लोगों के लिए खतरा बन सकती है। दरअसल इसका कारण है खोह नदी से सटे इस तटवर्ती क्षेत्र में सुरक्षा दीवार का निर्माण नहीं होना। पिछली बरसात में उफनाई नदी के तेज बहाव में बहुत नुकसान झेल चुके क्षेत्रवासियों को तब जिम्मेदार तंत्र ने भविष्य में होने वाले नुकसान से बचाव के लिए सुरक्षा दीवार बनाने का आश्वासन तो दिया था लेकिन उसपर क्रियान्वयन नहीं होने से लोगों में काफी डर है। ऐसे में बरसात नजदीक है तो लोग अभी से खौफजदा हैं। कोटद्वार से आशीष बलोधी की रिपोर्ट...

आमतौर पर बहने वाली नदियां नाले सामान्यकाल में जिस तरह शांत नजर आते हैं, तो बरसात में उनका रौद्र रूप आम जनता की रूह कंपा देता है। अब ऐसे में जिन्होंने नुकसान उठाकर इसका दंश झेला हो वही इसका दर्द भी जानते हैं। हमेशा की तरह पिछली बरसात में भी इसी दर्द के भुक्तभोगी रहे हैं नगरनिगम कोटद्वार के वार्ड संख्या एक के रतनपुर सनेह बस्तीवासी। लगभग 6000 की आबादी वाली ये बस्ती खोह नदी के किनारे स्थित है और हर बरसात में सरकारी मशीनरी की लापरवाही का खामियाजा भुगतती है। पिछली बरसात में नदी के ऊफान पर आने के कारण बस्ती में घुसे पानी से हुए नुकसान के दौरान प्रभावित लोगों को जनप्रतिनिधियों और सरकारी तंत्र ने भविष्य में ऐसी किसी घटना से बचाव के लिये सुरक्षा दीवार निर्माण का आश्वासन दिया था लेकिन आज तक न वो आश्वासन और घोषणा जमीन पर उतरी और न उस दिशा में कोई काम ही हो पाया। यही कारण है कि एक बार फिर जब बरसाती सीजन नजदीक आने को है तो लोगों के अंदर पिछली बरसात में हुए नुकसान की यादें ताजा होकर डर बढ़ने लगा है। परेशानी केवल खोह नदी ही नहीं है बल्कि जंगल से सटा इलाका होने के कारण बरसात में जंगल से बड़ी मात्रा में निकलता पानी भी बस्ती के लिये दोगुनी मुसीबत बन जाता है।

लोगों की समस्या केवल बाढ़ का पानी ही नहीं है बल्कि क्षेत्र में पीने के पानी का भी संकट बना हुआ है। पेयजल लाइनों से होता लीकेज और कम फोर्स के साथ पर्याप्त पेयजल आपूर्ति नहीं होने की वजह से लोग दिक्कतें झेलने को मजबूर हो रखे हैं। इतना ही नहीं, बल्कि नगर निगम की साफ-सफाई के प्रति बरती जा रही लापरवाही के कारण नालियां चोक हैं और उनमें बहने वाला पानी रास्तों पर फैलकर उनकी सूरत बिगाड़ रहा है। कूड़ा निस्तारण व्यवस्था के काम नहीं करने के कारण जगह जगह बिखरे कचरे के ढेर भी आवाजाही के दौरान लोगों की परेशानियों को बढ़ाने का ही काम कर रहे हैं। बस्तीक्षेत्र में अधिकांश स्ट्रीट लाइटें काफी समय से खराब पड़ी हैं जिन्हें दुरुस्त करने के प्रति निगम प्रशासन की लापरवाही आम जनता के लिये मुश्किलें बढ़ा रही है। खेती के लिये बनाई गई नहर भी कई स्थानों पर टूटी-फूटी तो हैं ही जिनकी मरम्मत और सफाई नहीं होने से उनपर कभीकभार बहने वाला पानी भी बर्बाद हो रहा है तो इस वजह से किसानों की खेती भी प्रभावित हो रही है। क्षेत्रवासी जंगली जानवरों के आतंक से भी बुरी तरह परेशान हैं और जंगली जानवरों का भी खतरा है।

सुझाव

1. शहर के मुख्य भाग की तरह रतनपुर सनेह क्षेत्र को भी सीवरलाइन व्यवस्था से जोड़ा जाय।

2. चोक नालियों को खोलकर गंदे पानी की निकासी की व्यवस्था की जाए।

3. पेयजल लाइनों के लीकेज को ठीक कर पर्याप्त पेयजल आपूर्ति की जाय। सार्वजनिक जगह भी पानकी व्यवस्था की जाए।

4. पर्याप्त कूड़ेदानों की व्यवस्था के साथ नियमित सफाईकर्मी की व्यवस्था हो।

5. बरसात में नुकसान से बचाव के लिए खोह नदी किनारे सुरक्षा दीवार का हो निर्माण

शिकायतें

1. क्षेत्र में सीवरलाइन नहीं होने से कई जगह खुले में बहता है सीवर जिस वजह से बदबू से लोग परेशान हैं।

2. चोक नालियों की वजह से गंदा पानी सड़कों पर बहकर उन्हें खराब कर रहा है।

3. पेयजल लाइनों के लीकेज और पर्याप्त पेयजल आपूर्ति नहीं होने से हो रही दिक्कतें।

4. न तो पर्याप्त कूड़ेदान हैं और ना ही नियमित तौर पर सफाईकर्मी की कोई व्यवस्था है। नालियां चोक होने से परेशानियां।

5. खोह नदी किनारे आश्वासन के बावजूद सुरक्षा दीवार नहीं बनने से बना है खतरा।

बोले जिम्मेदार

प्रत्येक वार्ड की समस्याओं की मुझे जानकारी है। अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि जनहित के किसी भी कार्यों में कोताही न बरती जाये। स्वयं भी क्षेत्र का निरीक्षण कर रहा हूं। पूरे निगमक्षेत्र में मौजूद सभी समस्याओं का चरणबद्ध और समयबद्ध रूप से उनकी प्रकृति के अनुरूप उपलब्ध संसाधनों में समाधान किया जायेगा। अन्य विभागों से सम्बन्धित जो समस्याएं हैं उनपर भी सम्बन्धित विभागों से बात की जायेगी। -शैलेन्द्र रावत, मेयर, नगर निगम, कोटद्वार

क्षेत्र में काफी समस्याएं हैं। इनके निराकरण के लिए लगातार प्रयास कर रहा हूं। पिछले दिनों बोर्ड की बैठक में भी सभी समस्याओं को विस्तार से रखा था। धीरे-धीरे सभी समस्याओं का समाधान किया जायेगा। मेरी कोशिश है कि जनसहयोग के साथ उपरोक्त समस्याओं का हल निकले।-जयप्रकाश ध्यानी, पार्षद, नगर निगम

पर्याप्त मात्रा में स्ट्रीट लाइट नहीं होने से होती है दिक्कत

जंगल से सटे रतनपुर सनेह बस्ती क्षेत्र में नगरनिगम किस तरह मूलभूत सुविधाओं को देने में भी फेल साबित हो रहा है, उसे क्षेत्र में पथ प्रकाश व्यवस्था को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है। दरअसल क्षेत्र में पर्याप्त संख्या में स्ट्रीटलाइट की तो कमी बनी ही है लेकिन जो स्ट्रीटलाइट मौजूद भी हैं, उनमें भी अधिकांश शोपीस बनी हुई हैं। लम्बे समय से खराब पड़ी स्ट्रीटलाइट को ठीक करने या उन्हें बदलने के प्रति निगम प्रशासन की लापरवाही आम जनता के जीवन पर भारी पड़ रही है। जंगल से सटा इलाका होने के कारण जंगली जानवरों की आमद आवासीय क्षेत्र में भी होती रहती है। ऐसे में स्ट्रीटलाइट की गैरमौजूदगी में छाया घना अंधेरा लोगों को परेशान करता है। लोगों ने पर्याप्त मात्रा में स्ट्रीट लाइट लगाने की मांग उठाई है।

कचरा निस्तारण की सही व्यवस्था नहीं होने से लोग परेशान

क्षेत्र में कचरा निस्तारण व्यवस्था के भी बुरेहाल हैं। जगह-जगह पसरी गदंगी और कूड़े के ढेर निगम प्रशासन की सफाई के प्रति सजगता की पोल खोलते हुए नजर आते हैं। बड़े आबादी क्षेत्र होने के बावजूद पूरे इलाके में ना के बराबर ही कूड़ेदान हैं, जिस कारण कचरा इधर उधर बिखरा रहता है। जरा सी तेज हवा के साथ यही कचरा सड़कों के साथ घरों तक पहुंचकर लोगों की परेशानियों की वजह बन जाता है। क्षेत्र में निगम का कचरा वाहन भी कभी कभार ही पहुंचता है, वो भी केवल मुख्य मार्गों तक ही सीमित होने और अंदर गलियों में नहीं पहुंचने की वजह से लोगों को उसका लाभ ही नहीं मिल पाता है। कहने के लिए कागजों पर चलने वाली निगम की डोर टू डोर कूड़ा उठान योजना है लेकिन लोगों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। हालांकि निगम इस योजना के नाम पर 30 रुपये प्रति घर शुल्क वसूलता है। इससे लोगों में रोष है।

सार्वजनिक स्थानों पर पानी की सुविधा नहीं मिलने से नाराजगी

क्षेत्र में पेयजल किल्लत का भी संकट बना हुआ है। इलाके में सार्वजनिक स्थानों पर पेयजल सुविधा नहीं होने से आम जनता को दिक्कतें उठानी पड़ती हैं तो घरों तक भी पानी की उपलब्धता आवश्यक मात्रा में नहीं पहुंच पाने के कारण लोगों को मुश्किलें उठानी पड़ रही हैं। सामान्य दिनों में ही पर्याप्त पेयजल आपूर्ति नहीं होने के कारण परेशान लोगों की दिक्कतें तब बहुत ज्यादा बढ़ जाती हैं जब गर्मियों का सीजन शुरू होता है। गर्मियों में तो कई बार एक वक्त भी लोगों को पानी नसीब नहीं हो पाता तो कभी कभी पूरे दिनभर नहीं मिल पाता। हालांकि इलाके में दो ट्यूबवेल जरूर हैं लेकिन बावजूद इसके भी लोगों को पेयजल संकट से जूझना पड़ रहा है। कई स्थानों पर तो पेयजल लाइनों से होते लीकेज के कारण बड़ी मात्रा में पानी यूंही सार्वजनिक स्थानों पर बहकर बर्बाद हो रहा है। जबकि लोग पानी के लिए परेशान हो रहे हैं।

नालियों का गंदा पानी सड़क पर बहने से लोगों को होती है दिक्कत

इलाके में जल निकासी व्यवस्था भी बुरी तरह चरमराई हुई है। इसका हाल मुख्य सड़कों के साथ विभिन्न सम्पर्क मार्गों के किनारे बनी नालियों में देखा जा सकता है। सफाई के अभाव में गदंगी व कचरे से चोक नालियों के हाल बुरे हैं। गदंगी से बजबजाती नालियों से उठती दुर्गंध के कारण उनके पास से आवाजाही में लोगों को दिक्कतें उठानी पड़ती हैं। आवश्यक संख्या में सफाईकर्मियों की तैनाती नहीं होने व मौजूद सफाईकर्मियों के नियमित तौर पर सफाई के लिये नहीं पहुंचने के कारण स्थितियां बिगड़ी हुई हैं। चोक नालियों के कारण उनमें रूका हुआ पानी ओवरफ्लो होकर रास्तों में फैल रहा है जिस कारण आवागमन के दौरान लोगों को परेशानियां झेलनी पड़ रही हैं। बरसात में तो इस कारण स्थितियां तब बहुत बिगड़ जाती हैं जब गंदा पानी सड़कों पर बहकर उन्हें खराब करने लगता है।

कब होगा समाधान

दो ट्यूबवेल होने के बाद भी लगातार पानी की समस्या बनी हुई है। आये दिन ट्यूबवेल फूंक जाता है। गर्मियों में तो स्थिति ज्यादा विकट हो जाती है। सब लोग बहुत परेशान हैं। -विजयानंद पोखरियाल

बरसात के दौरान बाढ़ का खतरा बना रहता है। जल्द से जल्द सुरक्षा दीवार का निर्माण कराया जाना जरूरी है जिससे लोग आराम से घरों में चैन की नींद सो सकें। -अर्जुन सिंह

लो-प्रेशर के कारण पानी की लगातार समस्या बनी हुई है। गर्मियों तो तो हालत बिगड़ ही जाती है। पानी के लिए यहां-वहां भटकना पड़ता है। इसका समाधान करना चाहिए। -अजय सिंह

पेयजल समस्या का समाधान जरूरी है। जर्जर हो चुकी लाइनों का लीकेज ठीक करने के साथ उन्हें बदला भी जाना चाहिए। लोगों से जुड़े कार्यों को जल्द पूरा कराना चाहिये। -सुधीर बलूनी

जंगली जानवरों ने लोगों का जीना मुश्किल कर दिया है। इनसे निजात दिलाने की कई बार गुहार लगा चुके लेकिन कोई सुनवाई नहीं है। सुरक्षा दीवार का निर्माण किया जाना चाहिए। -सक्षम देवरानी

नालियों की साफ-सफाई पर विशेष फोकस रखना चाहिये। गर्मियों में कीड़े-मकोड़ों से निजात दिलाने के लिए नियमित रूप से फागिंग होने के साथ ही कूड़ा भी उठना चाहिए। -पुष्कर सिंह

बरसात के दिनों में पूरे क्षेत्र में जंगल का पानी आ जाता है जिस कारण जलभराव हो जाता है तब स्थिति विकट हो जाती है। इस दौरान आवाजाही में भी दिक्कतें होती हैं। -अंकित ध्यानी

पेयजल समस्या का स्थायी समाधान किया जाना बेहद जरूरी है। गर्मियों में लोगों को पानी के लिए इधर उधर भटकना पड़ता है। जल संस्थान को कुछ करना चाहिए। -रोहित नेगी

सुरक्षा दीवार बन जाये तो जंगल का पानी आना बंद हो जायेगा। बरसात में लोग भय के साये में जीने को मजबूर होते हैं। इस मामले में सरकारी मशीनरी लापरवाही कर रही है। -नीरज चमोली

खराब स्ट्रीट लाइटों को जल्द से जल्द ठीक कराया जाया चाहिये। अंधेरे में लोगों को आवाजाही में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। निगम को इस मामले पर ध्यान देना चाहिए। -शुभम

पेयजल व्यवस्था सुचारु बनी रहे इस पर ध्यान देने की जरूरत है। गर्मियों में लोगों को काफी दिक्कतें उठानी पडती हैं। इस कारण लोगों की आम दिनचर्या बुरी तरह प्रभावित हो रही है। -जितेन्द्र सिंह

बंदरों और कुत्तों के आतंक से लोग परेशान हैं। इनका स्थायी समाधान बेहद जरूरी है। आये दिन लोगों को काट लेते हैं। घरों से बाहर निकलना भी मुश्किल हो गया है। -सितार आलम

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