High Court Halts Demolition of Buildings Near Kalagarh Dam Summons District Magistrate कालागढ़ डैम मामले में डीएम पौड़ी हाईकोर्ट में तलब, Nainital Hindi News - Hindustan
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कालागढ़ डैम मामले में डीएम पौड़ी हाईकोर्ट में तलब

नैनीताल में हाईकोर्ट ने कालागढ़ डैम के आसपास बने भवनों के ध्वस्तीकरण पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने जिलाधिकारी पौड़ी को 11 फरवरी को पेश होने का आदेश दिया है। 1961 में वन विभाग ने भूमि दी थी, लेकिन...

Newswrap हिन्दुस्तान, नैनीतालFri, 10 Jan 2025 08:59 PM
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कालागढ़ डैम मामले में डीएम पौड़ी हाईकोर्ट में तलब

नैनीताल, संवाददाता। हाईकोर्ट ने कालागढ़ डैम के आसपास बने भवनों को ध्वस्त किए जाने के जिलाधिकारी पौड़ी के आदेश पर रोक बरकरार रखी है। साथ ही कोर्ट ने डीएम पौड़ी को 11 फरवरी को कोर्ट में तलब किया है। उन्हें आज भी कोर्ट में पेश होने को कहा था, लेकिन पेश नहीं हुए थे। इस पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई।

मामले के अनुसार 1961 कालागढ़ डैम बनाने के लिए वन विभाग ने सिंचाई विभाग को करीब 22 हजार एकड़ भूमि दी थी। तब शर्त रखी गई थी कि जितनी भूमि की डैम के लिये जरूरत होगी, उतनी ही प्रयोग में ली जाएगी। शेष भूमि वन विभाग को वापस होगी। पर शेष भूमि वन विभाग को वापस नहीं हुई और उसमें टाउनशिप बन गई। जिसके खिलाफ 1999 में इलाहाबाद हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर हुई थी। तब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से अतिक्रमण हटाने को कहा था, मगर आदेश का पालन नहीं हुआ। इसके बाद दिसंबर 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने केएन गोदावरन मामले में पुनर्वास व विस्थापन की व्यवस्था के साथ अतिक्रमण हटाने को कहा था। 2017 में यह मामला एनजीटी के समक्ष पहुंचा। तब स्थानीय प्रशासन ने एक साल के भीतर अतिक्रमण हटाने का अंडरटेकिंग एनजीटी को दिया था। इधर, डीएम पौड़ी ने 18 दिसंबर को नोटिस जारी कर 15 दिन के भीतर अतिक्रमणकारियों से वहां से हटने को कहा था और 4 जनवरी को अतिक्रमण हटाने के लिये पुलिस तैनात कर भवन ध्वस्त कर दिए। जिसके खिलाफ कालागढ़ विकास एवं उत्थान समिति ने याचिका दायर की। कहा कि प्रभावितों के पुनर्वास की व्यवस्था किए बिना ही उन्हें हटाया जा रहा है। सात जनवरी को हाईकोर्ट ने डीएम के आदेश पर रोक लगा दी थी और उन्हें कोर्ट में तलब किया था। लेकिन वे शुक्रवार को कोर्ट में पेश नहीं हुए। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी. नरेंदर व वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ में हुई।

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