स्पेशल काउंसिल नियुक्त करने के मामले की याचिका खारिज
नैनीताल, संवाददाता। हाईकोर्ट ने बगैर न्याय विभाग की अनुमति, राज्य सरकार द्वारा शासनादेश के विरुद्ध जाकर हाईकोर्ट में कुछ विशेष मामलों में सरकार की त

नैनीताल, संवाददाता। हाईकोर्ट ने बगैर न्याय विभाग की अनुमति, राज्य सरकार द्वारा शासनादेश के विरुद्ध जाकर हाईकोर्ट में कुछ विशेष मामलों में सरकार की तरफ से प्रभावी पैरवी करने को सुप्रीम कोर्ट से स्पेशल काउंसिल बुलाने और उन्हें प्रति सुनवाई 8.5 लाख रुपये देने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर गुरुवार को सुनवाई की। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी नरेंदर और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने जनहित याचिका को आधारहीन पाते हुए खारिज कर दिया है। याचिकाकर्ता भुवन चंद्र पोखरिया ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि स्पेशल काउंसिल नियुक्त करने के लिए न तो राज्य के मुख्य सचिव और न ही न्याय अनुभाग से अनुमति ली गई। एक केस में स्पेशल काउंसिल नियुक्त करने के बाद लाखों रुपये का भुगतान कर दिया। जबकि जिस दिन हाईकोर्ट में केस लगा हुआ था, उस दिन के कोर्ट के आदेश में संबंधित काउंसिल का नाम नहीं छपा था। जिसकी अनुमति शासनादेश नहीं देता है। बिल उसी दिन का बनता है, जिस दिन अधिवक्ता कोर्ट में पेश होता है। यहां तो बिना कोर्ट में पेश हुए लाखों रुपये का भुगतान कर दिया गया। ऐसे में इसकी जांच कराई जाए। उनके द्वारा जो आरोप लगाए गए हैं वे सब जांच योग्य हैं। स्पेशल काउंसिल नियुक्ति करने के लिए सरकार को मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव व न्याय विभाग की अनुमति लेनी आवश्यक होती है। उनकी स्वीकृति के बाद ही स्पेशल काउंसिल नियुक्त किया जा सकता है।
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