Inspiring Visit of Former President Ram Nath Kovind to Parmarth Niketan Discussion on Gandhi s Ideals परमार्थ निकेतन आश्रम पहुंचे पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, Rishikesh Hindi News - Hindustan
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परमार्थ निकेतन आश्रम पहुंचे पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद

परमार्थ निकेतन में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का आगमन प्रेरणादायक था। स्वामी चिदानन्द सरस्वती के साथ गांधीजी के आदर्शों और भारतीय संस्कृति पर चर्चा हुई। कोविंद ने रामराज्य की सामाजिक व्यवस्था के...

Newswrap हिन्दुस्तान, रिषिकेषTue, 27 May 2025 04:47 PM
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परमार्थ निकेतन आश्रम पहुंचे पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद

परमार्थ निकेतन में मंगलवार का दिन प्रेरणादायक और भावनाओं से ओतप्रोत रहा। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, पत्नी सविता कोविंद और बेटी स्वाति कोविंद समेत परमार्थ निकेतन पहुंचे। यहां ऋषिकुमारों ने पुष्पवर्षा, शंखध्वनि और वेदमंत्रों के साथ उनका स्वागत किया। मंगलवार को स्वामी चिदानन्द सरस्वती और पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के बीच महात्मा गांधी के आदर्शों, भारतीय संस्कृति, मूल्यों व संस्कारों पर गहन चर्चा हुई। रामनाथ कोविंद ने कहा कि गांधीजी के लिए ‘रामराज्य केवल धार्मिक अवधारणा नहीं, बल्कि एक ऐसी सामाजिक व्यवस्था थी, जिसमें कोई भूखा न हो, कोई शोषित न हो और हर व्यक्ति को सम्मान, न्याय व अधिकार मिले।

यह संकल्पना आज के युग में भी उतनी ही आवश्यक है, जितनी स्वतंत्रता संग्राम के समय थी। कहा कि परमार्थ निकेतन जैसे स्थलों पर आकर मन को शांति और संतोष मिलता है। यह स्थान आध्यात्मिकता के साथ भारतीयता, मानवता और सेवा भावना का जीवंत उदाहरण है। यहां की दिव्य गंगा आरती, आध्यात्मिक साधना, और सेवा के संकल्प वैश्विक स्तर पर भारत की संस्कृति को प्रकट करते हैं। स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि रामनाथ कोविंद का जीवन स्वयं एक प्रेरणा है। एक साधारण ग्रामीण परिवेश से निकलकर भारत के सर्वोच्च संवैधानिक पद तक की यात्रा अत्यंत सादगी, समर्पण और मूल्यों से युक्त है। उन्होंने कहा कि भारतीयता, केवल एक भूगोल नहीं, बल्कि एक भाव है, जिसमें विविधता में एकता, संस्कृति में श्रद्धा और जीवन में सह-अस्तित्व की भावना रची-बसी है। यह वह भूमि है जहां वेदों से लेकर स्वामी विवेकानन्द तक, श्रीराम से लेकर गांधी तक हर विचार में मानवता का कल्याण समाहित है और सेवा तो भारतीय संस्कृति का मूल तत्व है। समरसता, वह चेतना है जो समाज के हर वर्ग, हर व्यक्ति को समान दृष्टि से देखने की प्रेरणा देती है। समरसता का अर्थ केवल समानता नहीं, बल्कि सम्मान के साथ सह-अस्तित्व है। महात्मा गांधी ने अपने रामराज्य के विचार में इसी समरसता की कल्पना की थी, जहां अंतिम पंक्ति में खड़ा व्यक्ति भी आत्मसम्मान के साथ जीवन जी सके। स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को रुद्राक्ष का पौधा भेंट किया।

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