शिक्षकों के बच्चे जब प्राइवेट में तो सरकारी स्कूलों में कौन पढ़ाएगा? उत्तराखंड में छात्रों की संख्या में गिरावट
- सोशल मीडिया यूजर दिग्पाल गरिया ने लिखा कि जब तक बेसिक में तीन शिक्षक नहीं देंगे, बायोमीट्रिक हाजिरी अनिवार्य न होगी तब तक छात्र संख्या बढ़ना मुश्किल है।

उत्तराखंड में आरटीई के तहत प्राइवेट स्कूल में एडमिशन की सुविधा भी सरकारी स्कूलों में छात्र संख्या में कमी की एक बड़ी वजह है। अभिभावकों का यह भी कहना है कि जब शिक्षक ही अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में पढ़ा रहे हैं तो फिर सरकारी में कोई भला क्यों पढ़ाएगा?
सरकारी स्कूलों में छात्र संख्या में गिरावट की जांच कर रही समिति के साथ शिक्षक खुलकर अपनी राय साझा कर रहे हैं। जांच समिति के अध्यक्ष एपीडी-समग्र शिक्षा कुलदीप गैरोला ने अपने सोशल मीडिया पेज पर शिक्षकों से सुझाव आमंत्रित किए थे।
सोशल मीडिया यूजर दिग्पाल गरिया ने लिखा कि जब तक बेसिक में तीन शिक्षक नहीं देंगे, बायोमीट्रिक हाजिरी अनिवार्य न होगी तब तक छात्र संख्या बढ़ना मुश्किल है। विक्रम सिंह झिंक्वाण ने लिखा कि सरकारी स्कूलों के आसपास ही प्राइवेट स्कूलों को मानकों की अनदेखी कर मान्यता दी जा रही है।
पीएन पेटवाल ने लिखा कि सर कुछ नहीं हो सकता। अभिभावक विमुख हो गया है। खुद सरकारी शिक्षक को भी अपने पर भरोसा नहीं है। वो भी अपने बच्चों को प्राइवेट में पढ़ा रहे हैं। उमाशंकर थपलियाल ने लिखा कि जिन भी कार्मिकों को कोषागार से वेतन मिलता है, उनके बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ाया जाना अनिवार्य किया जाए।
शिक्षकों से शिक्षा से इतर कोई दूसरा काम न कराया जाए। महानिदेशक-शिक्षा झरना कमठान कहतीं हैं कि जांच समिति सभी पहलुओं का अध्ययन कर रही है। सुझावों के साथ समिति सदस्य स्वयं भी बारीकी से छात्र संख्या में गिरावट की वजह तलाशेंगे और समाधान के सुझाव देंगे। समिति की रिपोर्ट को उचित निर्णय के लिए शासन को भेजा जाएगा।
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