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इस चूहे ने बना दिया वर्ल्ड रिकॉर्ड! पूरे किए 100 से ज्यादा ‘मिशन’, देश के लिए कैसे लड़ रहा जंग?

  • कंबोडिया में इस खास तरह की चूहों की प्रजाति को हीरो रैट का दर्जा दिया जाता है। हाल ही में इस प्रजाति के एक चूहे का नाम गिनीज बुक ऑफ द वर्ल्ड में शामिल किया है। इसने कई बड़े कारनामें किए हैं।

Jagriti Kumari लाइव हिन्दुस्तानFri, 4 April 2025 07:52 PM
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इस चूहे ने बना दिया वर्ल्ड रिकॉर्ड! पूरे किए 100 से ज्यादा ‘मिशन’, देश के लिए कैसे लड़ रहा जंग?

इंसान चूहों को अक्सर अपने शोध के लिए इस्तेमाल करता रहा है। कई बार इन चूहों की मदद से जीववैज्ञानिक मानव जीवन को बचाने के लिए अहम जानकारियां भी जुटाते रहे हैं। चूहे फूड चेन को संतुलित रखने में भी अहम भूमिका निभाते हैं। ऐसे में इस छोटी सी इस प्रजाति को इंसानों के लिए हीरो कहे तो गलत नहीं होगा। दक्षिण पूर्व एशिया में स्थित देश कंबोडिया का एक चूहा ऐसी ही एक वजह से चर्चा में आ गया है। इस चूहे ने अपनी उपलब्धियों से ना सिर्फ वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया है, बल्कि यह पिछले कुछ सालों से अपने देश के लिए एक अहम जंग भी लड़ रहा है। जानते हैं आखिर क्या है इस चूहे की कहानी।

दरअसल इस चूहे ने अपने देश कंबोडिया में बारूदी सुरंगों का पता लगाने में अहम योगदान दिया है। इस प्रशिक्षित चूहे ने 100 से अधिक विस्फोटक उपकरणों और हथियारों की खोज करके नया वैश्विक रिकॉर्ड स्थापित किया है। शुक्रवार को एक चैरिटी संगठन ने इसकी घोषणा की है। बेल्जियम के APOPO संगठन के मुताबिक अगस्त 2021 में काम शुरू करने के बाद से रोनिन नाम के इस अफ्रीकी चूहे ने 109 बारूदी सुरंगों और 15 खतरनाक युद्ध अवशेषों का पता लगाया है।

‘हीरो रैट’ की खासियतें

रोनिन अफ्रीकी प्रजाति 'हीरोरैट' का हिस्सा है और उसकी उम्र पांच साल है। अब इसे बारूदी सुरंगों का पता लगाने वाले सबसे प्रभावी चूहे की मान्यता मिली है। APOPO ने इसकी सूचना देते हुए कहा, "उसकी असाधारण उपलब्धियों को देखते हुए उसका नाम गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज कर लिया गया है। ये इंसानों के लिए हीरोरैट्स की महत्वपूर्ण भूमिका पर रोशनी भी डालता है।" बता दें कि अफ्रीकी विशाल थैलीदार चूहों की इस प्रजाति को अक्सर ‘हीरो रैट’ का नाम दिया जाता है। इस प्रजाति को बारूदी सुरंगों का पता लगाने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है और इन्हें इस काम में निपुण भी माना जाता है। APOPO के मुताबिक रोनिन अभी दो साल या उससे ज्यादा वक्त तक भी काम कर सकता है।

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आखिर कंबोडिया में इनकी जरूरत क्यों है?

गौरतलब है कि कंबोडिया 1960 के दशक से एक युद्धग्रसित देश रहा है। यहां आज भी युद्ध के दौरान इस्तेमाल की गईं बारूदी सुरंगें, गोला-बारूद और अन्य हथियार बिखरे पड़े हैं। 1998 में खत्म हुए तीन दशकों से ज्यादा समय तक चले गृहयुद्ध के बाद कंबोडिया दुनिया के सबसे ज्यादा बारूदी सुरंगों वाले देशों में से एक बन कर उभरा। यहां 1979 से अब तक इन सुरंगों और बिना विस्फोट वाले बमों से 20,000 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। ऐसे में इन बारूदी सुरंगों और हथियारों का पता लगाने में ये चूहे बड़ी भूमिका निभा रहे हैं।

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