मोदीजी आपने भरोसा तोड़ दिया; भारत-पाक सीजफायर को लेकर नाराजगी, इंटरनेट पर छिड़ी बहस
कुछ लोगों ने संघर्षविराम को एक जरूरी कदम बताया है। उनके अनुसार, युद्ध से किसी का भला नहीं होता और अगर बातचीत से समाधान निकल सकता है तो वह सर्वोत्तम है।

22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते सैन्य तनाव ने अचानक उस समय विराम ले लिया जब दोनों देशों ने संघर्षविराम पर सहमति जताई। शनिवार को डीजीएमओ स्तर की बातचीत के बाद इस सीजफायर की घोषणा की गई, जिसे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने सकारात्मक कदम करार दिया। हालांकि भारत में यह निर्णय सोशल मीडिया पर तीखी बहस का विषय बन गया है। एक ओर कुछ लोगों ने युद्ध टालने को बुद्धिमानी भरा कदम बताया और शांति के प्रयासों का स्वागत किया, वहीं बड़ी संख्या में सोशल मीडिया यूज़र्स ने इस निर्णय पर असंतोष जताया है। इसे अधूरी जीत बताकर भारत सरकार की आलोचना की।
'झुकना नहीं था, सबक सिखाना था'
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक यूजर रुद्र राजू ने लिखा, "हम भारतीयों को आपसे यह उम्मीद नहीं थी। अमेरिका के दबाव में झुकना नहीं था। हमें पाकिस्तान को सबक सिखाना था।"
एक अन्य यूजर विनोद कौल ने सीधे शब्दों में कहा, "यह एक गलती हुई है। उन पर भरोसा मत करो। उन्हें नेस्तनाबूद कर दो।"
ऐसे दर्जनों ट्वीट और पोस्ट में आमजन की भावनाएं साफ नजर आ रही हैं। जनता चाहती थी कि भारत पूरी ताकत से जवाब देता और तब तक कार्रवाई जारी रखता जब तक निर्णायक जीत न मिल जाती।
कल्पेश सुरती नामक फेसबुक यूज़र ने अपनी पोस्ट में प्रधानमंत्री मोदी के प्रति नाराजगी जाहिर करते हुए लिखा, "मोदीजी ने आज बहुत बड़ी गलती की है। अब मैं वोट तभी दूंगा जब योगीजी पीएम उम्मीदवार होंगे। मोदीजी आपने भरोसा तोड़ दिया।"
कई अन्य लोगों ने भी प्रधानमंत्री की रणनीति पर सवाल उठाए और 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक जैसी कड़ी कार्रवाई की मांग की। कुछ यूजर्स ने संघर्षविराम की उपयोगिता पर गंभीर सवाल खड़े किए। संजीव रंजन नामक यूजर ने लिखा, "क्या इस सीजफायर से पाकिस्तान की ओर से घुसपैठ रुक जाएगी? क्या निर्दोषों की जान नहीं जाएगी? क्या पहलगाम दोबारा नहीं होगा? अगर इसका जवाब हां है, तो शांति का स्वागत है।" कई यूजर्स ने यह भी कहा कि भारत में न्याय अब संभव नहीं। मोदी भी फेल हो गए।
कुछ लोगों ने संघर्षविराम को एक जरूरी कदम बताया है। उनके अनुसार, युद्ध से किसी का भला नहीं होता और अगर बातचीत से समाधान निकल सकता है तो वह सर्वोत्तम है।
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