Buddha Purnima: बुद्ध पूर्णिमा कल, जानें स्नान-दान का समय, विधि, उपाय व पूजन मुहूर्त
Buddha Purnima 2025 Time: पंचांग अनुसार, वैशाख मास शुक्ल पक्ष की बुद्ध पूर्णिमा तिथि 11 मई को सायं 08:01 बजे से शुरू हो रही है। इस दिन गंगा, यमुना और अन्य पवित्र नदियों में स्नान-दान व पूजन करने से कई यज्ञों के समान पुण्य प्राप्त होता है।

Buddha Purnima 2025 Time, बुद्ध पूर्णिमा कल: बुद्ध पूर्णिमा का स्नान-दान व व्रत वैशाख शुक्ल पक्ष, दिन सोमवार को रखा जाएगा। पंचांग अनुसार, वैशाख मास शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 11 मई को सायं 08:01 बजे से शुरू होकर 12 मई, 2025 को रात्रि 10:25 बजे तक रहेगी। उदयातिथि के अनुसार, 12 मई को बुद्ध पूर्णिमा है। बुद्ध पूर्णिमा को स्नान-दान का विशेष अवसर माना जाता है। इस दिन गंगा, यमुना और अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने से कई यज्ञों के समान पुण्य प्राप्त होता है। बुद्ध पूर्णिमा तिथि पर मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा-आराधना से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। आइए जानते हैं पूजा व स्नान-दान मुहूर्त, उपाय, मंत्र व पूजाविधि-
शुभ योग: पंचांग अनुसार, रवि योग 05:32 से 06:17 (सुबह), वरीयान् योग पूर्ण रात्रि तक, स्वाती नक्षत्र सुबह 06:17 बजे तक, जिसके बाद विशाखा नक्षत्र का निर्माण होगा।
जानें स्नान-दान का समय: पंचांग अनुसार, ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04:08 से 04:50 बजे तक व रवि योग 05:32 ए एम से 06:17 ए एम तक है। शुभ - उत्तम चौघड़िया मुहूर्त सुबह 08:55 से 10:36 बजे तक रहेगा।
पूजन मुहूर्त
- ब्रह्म मुहूर्त 04:08 से 04:50
- अभिजित मुहूर्त 11:51 से 12:45
- विजय मुहूर्त 14:33 से 15:27
- गोधूलि मुहूर्त 19:02 से 19:23
- अमृत काल 23:18 से 01:05, मई 13
- रवि योग 05:32 से 06:17
- अमृत - सर्वोत्तम 05:32 से 07:14
- शुभ - उत्तम 08:55 से 10:36
- चर - सामान्य 13:59 से 15:40
- लाभ - उन्नति 15:40 से 17:22
- अमृत - सर्वोत्तम 17:22 से 19:03
- चर - सामान्य 19:03 से 20:22
मंत्र: ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नम:
उपाय- माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए बुद्ध पूर्णिमा के दिन श्री लक्ष्मी चालीसा का पाठ करें। वैवाहिक दिक्कतें दूर करने के लिए लक्ष्मी नारायण की जोड़े में पूजा करें और माता को शृंगार का सामान भी चढ़ाएं। धन से जुड़ी दिक्कतें दूर करने के लिए विष्णु सहस्रनाम और कूर्म गायत्री मंत्र का जाप करें।
बुद्ध पूर्णिमा पूजा-विधि
- पवित्र नदी में स्नान करें या पानी में गंगाजल मिलकर स्नान करें
- भगवान श्री हरि विष्णु और मां लक्ष्मी का जलाभिषेक करें
- माता का पंचामृत सहित गंगाजल से अभिषेक करें
- अब मां लक्ष्मी को लाल चंदन, लाल रंग के फूल और श्रृंगार का सामान अर्पित करें
- मंदिर में घी का दीपक प्रज्वलित करें
- संभव हो तो व्रत रखें और व्रत लेने का संकल्प करें
- बुद्ध पूर्णिमा व्रत कथा का पाठ करें
- श्री लक्ष्मी सूक्तम का पाठ करें
- भगवान श्री हरि विष्णु और लक्ष्मी जी की आरती करें
- माता को खीर का भोग लगाएं
- चंद्रोदय के समय चंद्रमा को अर्घ्य दें
- अंत में क्षमा प्रार्थना करें
डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।