Holaashtak: होलाष्टक से बनती हैं होली की गुलरियां, जानें होलिका दहन में किन चीजों का होता है इस्तेमाल
- होलाष्टक से होलिका दहन की तैयारियां शुरू हो जाती है। आपको बता दें कि होलिका दहन के लिए गोबर की गुलरियां बनती हैं, जिनका इस्तेमाल होलिका दहन की पूजा में होता है, होलाष्टक से बननी शुरू हो जाती हैं।

होली से आठ दिन पहले लगते हैं , होलाष्टक। फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होलिका दहन का त्योहार मनाया जाता है। होलिका दहन के अगले दिन रंगों की होली खेली जाती है। इस बार होलिका दहन 13 मार्त को रात 11 बजे के बाद किया जाएगा, वहीं होलाष्टक इस साल 7 मार्च से शुरू होंगे और 13 मार्च 8 दिन तक रहेंगे। होलाष्टक से होलिका दहन की तैयारियां शुरू हो जाती है। आपको बता दें कि होलिका दहन के लिए गोबर की गुलरियां बनती हैं, जिनका इस्तेमाल होलिका दहन की पूजा में होता है, होलाष्टक से बननी शुरू हो जाती हैं।
आपको बता दें कि होलाष्टक में भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस दौरान वातावरण में नेगेटिव चीजें ज्यादा होती हैं। इस दौरान शादी, विवाह आदि सब बंद हो जाते हैं। होलिका दहन के बाद होलाष्टक खत्म होता है। आपको बता दें कि होलिका दहन में भद्रा का साया देखा जाता है। आपको बता दें कि होलिका दहन से पहले महिलाएं होलिका का पूजन करने जाती है। दोपहर के समय पकवान और गुलरिया, फूलमाला आदि से होलिका दहन का पूजन कर परिक्रमा की जाती है।
होलिका दहन पूजा सामग्री
गाय के गोबर से होलिकादहन के लिए लेकर जाने वाली गुलरियां। कई जगह गोबर से सूरज चांद, होलिका और कई आकृतियां बनाई जाती है। इन्हें घूप में सुखाकर एक घागे में पिरोया जाता है। इसके अलावा पूजा में मूंग, नारियल, अक्षत, साबुत हल्दी, बताशे, कच्चा सूत, फल, और कलश में पानी का इंतजाम एक दिन पहले ही कर लें। शाम को होलिका माता का आशीर्वाद पाने के लिए उसमें कच्चे आम, सप्तधान्य, नारियल, मुट्टे, मूंग, चना, चावल आदि चीजें अर्पित कर दें इसके बाद किसी गलती के माफी मांगे।
इस आलेख में दी गईजानकारियों का हम दावा नहीं करते कि वो सत्य और सटीक है। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ की राय जरूर लें।