Papmochani ekadashi 2025 vrat katha in hindi rishi medhavi and manjughosha ekadashi vrat ki kahani Papmochani ekadashi vrat katha: आज पढ़ें मंजूघोषा और ऋषि मेधावी से जुड़ी पापमोचिनी एकादशी व्रत की कथा, एस्ट्रोलॉजी न्यूज़ - Hindustan
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Papmochani ekadashi vrat katha: आज पढ़ें मंजूघोषा और ऋषि मेधावी से जुड़ी पापमोचिनी एकादशी व्रत की कथा

  • पापमोचिनी एकादशी इस साल 25 मार्च और 26 मार्च को मनाई जाएगी। इस एकादशी पर व्रत की कथा जरूर पढ़ी जाती है। यहां आप इस व्रत की कथा पढ़ सकते हैं।

Anuradha Pandey लाइव हिन्दुस्तानTue, 25 March 2025 06:07 AM
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Papmochani ekadashi vrat katha: आज पढ़ें मंजूघोषा और ऋषि मेधावी से जुड़ी पापमोचिनी एकादशी व्रत की कथा

पापमोचिनी एकादशी इस साल 25 मार्च और 26 मार्च को मनाई जाएगी। इस एकादशी पर व्रत की कथा जरूर पढ़ी जाती है। यहां आप इस व्रत की कथा पढ़ सकते हैं।

प्राचीन समय में चैत्ररथ नाम का अति सुंदर वन थाष इस वन में देवराज इंद्र गंधर्व कन्याओं, अप्सराओं और देवताओं के साथ विहार करते थे। इस वन में एत च्यवन ऋषि के बेटे मेधाव नाम के ऋषि भी तपस्या करते थे। ऋषि शिव भक्त थे और अप्सराएं शिवद्रोही कामदेव की अनुचरी थीं।

एक समय की बात है कामदेव ने बदले और द्वेष की भावना के तहत ऋषि मेधावी की तपस्या को भंग करना चाहा। इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए कामदेव ने मंजुघोषा नामक अप्सरा को भेजा। उसने अपने नृत्य गान और हावभाव से ऋषि का ध्यान भंग कर दिया। ऋषि अप्सरा पर मोहित हो गए। ऋषि मंजुघोषा के साथ रमण करने लगे और उन्हें दिनरात कोई विचार नहीं रहा। दोनों ने कई साल एक साथ गुजारे। एक दिन जब मंजूघोषा ने जाने की आज्ञा मांगी तो ऋषि ने उसे रोकना चाहा। तब मंजूघोषा ने ऋषि को समय का अहसास दिलाया। उन्होंने समय की गणना की तो उन्हें एक साथ रहते हुए कई साल हो गए। तब ऋषि को अप्सरा काल की तरह लगने लगी। उन्होंने अपने को रसाताल में होने का कारण मंजूघोषा को बताया। गुस्सा होकर उन्होंने उसे पिशाचनी होने का श्राप दिया। श्राप सुनकर मंजूघोषा भयभीत हो गई और उनके चरणों में गिरकर उनसे प्रार्थना करने लगी। बहुत अनुनय विनय के बाद ऋषि का दिल पसीज गया और उन्होंने कहा कि अगर तुम चैत्र मास की पापमोचनी एकादशी पर व्रत करोगी तो तुम्हारे सभी पाप दूर हो जाएंगे। इसके बाद ऋषि अपने पिता च्यवन के पास पहुंचे तो उन्होंने बोला कि पुत्र तुमने अनर्थ कर दिया और अपने सारा पुण्य खत्म कर दिया। इसलिए तुम्हें भी पापमोचिनी एकादशी का व्रत करना चाहिए। इस प्रकार ऋषि और मंजूघोषा दोनों ने यह व्रत कर पाप से मुक्ति पाई। इस दिन व्रत करने वाले के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।

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