कब बनेगा और कब होगी शीतला सप्तमी और अष्टमी की पूजा?
Sheetala Saptami and Sheetala ashtami date : जिन लोगों के अष्टमी पूजी जाती है, वहां महाअष्टमी के एक दिन पहले सप्तमी तिथि यानी 21 मार्च की रात को पकवान, पुआ, खीर-पुड़ी, कढ़ी-चावल, भीगी चने की दाल आदि भोग की साम्रगी बनाई जाएगी।

चैत्र मास की अष्टमी तिथि को बसौड़ा पूजा की जाती है। कई जगह इसे शीतला सप्तमी, अष्टमी और बसिऔरा भी कहते हैं। इस साल सप्तमी तिथि की पूजा 21 मार्च को और अष्टमी तिथि की पूजा 22 मार्च को होगी। 30 मार्च को वासंतिक नवरात्रि शुरू होंगे और घर-घर में कलश स्थापना होगी।
कब बनेगा और कब होगी शीतला सप्तमी और अष्टमी की पूजा
जिन लोगों के अष्टमी पूजी जाती है, वहां महाअष्टमी के एक दिन पहले सप्तमी तिथि यानी 21 मार्च की रात को पकवान, पुआ, खीर-पुड़ी, कढ़ी-चावल, भीगी चने की दाल आदि भोग की साम्रगी बनाई जाएगी। इसके बाद अगले दिन 22 मार्च को बासी भोजन महाअष्टमी के दिन माता शीतला को भोग लगाकर प्रसाद के रूप में लोगों के द्वारा ग्रहण किया जाएगा। जिन लोगों के सप्तमी की पूजा की जाती है, उन लोगों के यहां 20 मार्च को पकवान बनेंगे और 21 मार्च को सुबह बासी भोजन का भोग शीतला माता को लगाया जाता है।शीतला माता के उपासक महाअष्टमी के दिन सुबह आर शाम दोनों समय चूल्हा नहीं जलाते हैं और बासी भोजन ही ग्रहण करते हैं। बासी भोजन का भोग लगाने के कारण ही इसे बसिऔरा पूजा कहा जाता है।
अगर इस दिन पूजा करना भूल जाएं तो क्या करें
जो लोग किसी कारणवश महाअष्टमी के दिन माता शीतला की बसिऔरा पूजा नहीं कर पाते हैं, वे पूरे चैत्र महीने के किसी भी मंगलवार या शनिवार को माता शीतला को जल अर्पित कर बसिऔरा पूजा पूर्ण कर सकते हैं। माता शीतल को चेचक, खसरा, हैजा, पिलेख व बोदरी जैसी बीमारी से निजात की देवी भी माना गया है।
पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि की शुरुआत 21 मार्च को देर रात 02:45 मिनट पर शुरू होगी और 22 मार्च को सुबह 04:23 मिनट पर समाप्त होगी। शीतला सप्तमी पर पूजा के लिए शुभ समय 21 मार्च को सुबह 06:24 मिनट से लेकर शाम 06:33 मिनट तक है