यह निर्णय पूरी तरह नेपाल सरकार का, भारतीय पक्ष का इससे लेना-देना नहीं: डीआईजी
नेपाल सरकार ने आर्थिक बजट सत्र को देखते हुए जोगबनी बॉर्डर पर भारतीय वाहनों की आवाजाही पर रोक लगा दी है। इस निर्णय का सबसे अधिक असर उन भारतीय मरीजों पर पड़ा है जो इलाज के लिए नेपाल जाते थे। सीमा पर...

बजट सत्र को देखते हुए सभी भंसार सीमाओं पर यह रोक लागू : नेपाल भसार प्रमुख फारबिसगंज, निज संवाददाता। भारत-नेपाल खुली जोगबनी बॉर्डर पर नेपाल सरकार की ओर से अचानक भारतीय वाहनों की आवाजाही पर रोक लगाए जाने से लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बताया जा रहा है कि यह प्रतिबंध नेपाल सरकार द्वारा आर्थिक बजट सत्र के चलते लगाया गया है। नेपाल प्रशासन की ओर से यह कार्रवाई सीमा पर स्थित भंसार और सुविधा कार्यालय के निर्देश पर की गई है। इस निर्णय से सबसे ज्यादा असर उन भारतीय मरीजों पर पड़ा है जो इलाज के लिए नेपाल के बिराटनगर जैसे शहरों में नियमित रूप से जाते हैं।
केवल अररिया ही नहीं, बल्कि पूर्णिया, कटिहार सहित अन्य जिलों के लोग भी मेडिकल सेवाओं और अन्य जरूरतों के लिए नेपाल की ओर रुख करते हैं। गुरुवार को अचानक कई भारतीय वाहनों को नेपाल में प्रवेश से रोक दिया गया। इस दौरान कई यात्रियों को, जिनमें बीमार व्यक्ति और उनके परिजन शामिल थे, वापस लौटना पड़ा। अररिया के मो जहांगीर ने बताया कि वे अपने बीमार पिता को इलाज के लिए ले जा रहे थे, लेकिन वाहन को रोक दिए जाने के कारण वे घर लौटने को मजबूर हो गए। कहा पिता जी चल नहीं सकते, पैदल जाना संभव नहीं है। उन्होंने दुख जताया। इस अप्रत्याशित निर्णय को लेकर भारतीय प्रशासन पूरी तरह अनभिज्ञ रहा। बाद में जब स्थिति स्पष्ट हुई तो स्थानीय अधिकारियों ने जानकारी जुटानी शुरू की। नेपाल भंसार प्रमुख उमेश श्रेष्ठ ने बताया कि बजट सत्र को देखते हुए सभी भंडार सीमाओं पर यह रोक लागू की गई है। वहीं एसएसबी की 56वीं बटालियन के सेना नायक सुरेंद्र विक्रम ने बताया कि भारत की ओर से किसी वाहन को नहीं रोका जा रहा है, केवल जांच प्रक्रिया चल रही है। वहीं पूर्णिया रेंज के डीआईजी प्रमोद कुमार मंडल ने कहा कि यह निर्णय पूरी तरह नेपाल सरकार का है और भारतीय पक्ष का इससे कोई लेना-देना नहीं है। वहीं फारबिसगंज एसडीओ रंजीत कुमार रंजन ने कहा कि भारतीय सीमा क्षेत्र में वाहनों पर कोई प्रतिबंध नहीं है, लेकिन नेपाल की ओर से एंट्री पर रोक लगाई गई है। प्रशासन स्थिति पर नजर बनाए हुए है। बताया जाता है कि इस प्रतिबंध के चलते बॉर्डर पर पैदल यात्रियों की संख्या में भारी इजाफा देखा जा रहा है, जिससे एसएसबी जवानों को भी अतिरिक्त दबाव का सामना करना पड़ रहा है। फिलहाल, यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि यह प्रतिबंध कब तक लागू रहेगा। स्थानीय लोग और मरीजों के परिजन जल्द से जल्द स्थिति सामान्य होने की उम्मीद कर रहे हैं।
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