बोले उन्नाव : बारिश में मोहल्ला बनता तालाब, हम घरों में हो जाते कैद
Unnao News - विकास नगर नई बस्ती के लोग एक दशक से मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। मोहल्ले की गलियां कच्ची हैं और जलनिकासी की व्यवस्था न होने से बारिश में कीचड़ और जलभराव होता है। लोग बीमारियों का शिकार हो रहे हैं और...

जिला मुख्यालय से महज तीन किलोमीटर की दूरी पर एक दशक पहले बसी विकास नगर नई बस्ती के लोग मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। यहां रहने वाले लोगों का जीवन गांव से भी बदतर है। मोहल्ले की कई गलियां आज तक नहीं बन पाई हैं। कच्चे रास्तों में जलनिकासी की व्यवस्था न होने से कीचड़ की समस्या बनी रहती है। आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान से लोगों ने अपनी पीड़ा साझा की। सभी ने एकसुर में कहा कि कई गलियों में पक्का रास्ता नहीं बना है। बारिश में मोहल्ला तालाब सा बन जाता है। मजबूरन लोगों को घरों में कैद होना पड़ता है।
कब्बाखेड़ा मोहल्ले के पीछे के हिस्से में विकास नगर नाम से एक दशक पहले बस्ती बसाई गई। सबसे पहला मकान बनाकर रहने आए बाबूलाल शर्मा ने आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान से चर्चा के दौरान बताया कि जब यहां प्लॉटिंग शुरू हुई थी, तब जल्द बुनियादी सुविधाओं को विकसित करने का वादा किया गया था। इस पर भरोसा करके लोगों ने यहां अपने आशियाने बनाए और रहना शुरू कर दिया। मोहल्ले के लोग लंबे समय सुविधाओं के इंतजार में हैं, लेकिन आज तक कोई सुविधा नहीं मिल सकी है। आबादी एक हजार से अधिक है। इस हिसाब से यहां सुविधाएं नहीं हैं। साफ-सफाई की तरफ कोई ध्यान भी नहीं देता है। कुछ पक्की सड़कें हैं, वह टूटी और जर्जर हैं। बाकी ज्यादातर रास्ते आज भी कच्चे ही हैं। राकेश ने बताया कि जलनिकासी के इंतजाम न होने से पूरा इलाका बारिश के मौसम में ‘तालाब में तब्दील हो जाता है। अभी तो आसपास खाली प्लाटों में कूड़ा फेंक रहे हैं। लेकिन, जब अगल-बगल मकान बन जाएंगे तो कूड़ा फेंकने की भी समस्या होगी। खाली प्लाटों में जा रहा घर का पानी गौरव ने बताया कि नालियां न होने के कारण लोग खाली प्लाटों में घर के पानी की निकासी कर रहे हैं। जिन घरों के आसपास मकान बने हैं, उन्होंने अपने घर के बाहर गड्ढे खोदकर उसी में पानी जमा करते हैं। जलभराव और गंदगी के कारण बीमारियां फैल रही हैं। वहीं, कच्चे रास्तों में कीचड़ और जलभराव के कारण लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। गंदगी और जलभराव से मच्छरों का आतंक नई बस्ती में एक हजार से ज्यादा की आबादी लंबे समय से अव्यवस्थाओं की दुर्दशा झेल रही है। खाली प्लॉटों में उगी झाड़ियों के कारण कीटों का डर सताता रहता है। इसके अलावा जलभराव और गंदगी से पूरा मोहल्ला मच्छरों का प्रकोप झेल रहा है। इससे लोगों में संक्रामक बीमारियों के फैलने का खतरा बना हुआ है। बारिश के मौसम में और अधिक समस्या बढ़ जाएगी। फिर भी इस ओर जिम्मेदार अफसर और जनप्रतिनिधि ध्यान नहीं दे रहे हैं। इससे यहां के लोगों में आक्रोश पनप रहा है। एक भी सरकारी हैंडपंप नहीं श्याम ने बताया कि घर-घर पानी पहुंचाने के उद्देश्य से अमृत योजना की शुरुआत की गई थी। लेकिन, इस पूरे इलाके में कहीं भी पाइपलाइन नहीं डाली गई। यहां पीने के पानी की जरूरतें लोग निजी संसाधनों से पूरी करते हैं। वहीं, आर्थिक रूप से कमजोर परिवार आस-पड़ोस से पानी मंगाकर अपना जीवन यापन करने को मजबूर हैं। पूरे मोहल्ले में एक भी सरकारी हैंडपंप नहीं लगा है। न ही पालिका की ओर से कहीं पानी की टंकी या सबमर्सिबल कराया गया है। शिकायत के बाद भी कार्रवाई नहीं बाबूलाल शर्मा ने वर्ष 2013 में अपना मकान बनवाया था। तब उम्मीद थी कि जल्द ही इस बस्ती का विकास होगा, लेकिन अभी तक हम गांव जैसा ही जीवन व्यतीत करने को मजबूर हैं। पूरे मोहल्ले में मूलभूत सुविधाओं का अकाल है। सड़क, बिजली, पानी की बेहतर व्यवस्था के लिए कई बार शिकायत की गई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। चुनाव के समय प्रत्याशी आश्वासन देकर चले जाते हैं, लेकिन इसके बाद सुध तक नहीं लेते हैं। इस ओर जिम्मेदार अफसरों की तरफ से भी अनदेखी की जा रही है। मजबूरन लोग नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं। इस्टीमेट बनवाने का आश्वासन देकर देते हैं वापस नितिन ने बताया कि एलटी लाइन के लिए कई बार बिजली कार्यालय के चक्कर लगा चुके हैं। आवेदन के बाद नए कनेक्शन के लिए बिजली विभाग जाने पर स्टीमेट के नाम पर तीन पोल लगाने का खर्च 70 से 80 हजार रुपये बताया जाता है। आम आदमी इतने पैसे कहां से लाएगा। एलटी लाइन न होने के कारण जोड़ जुगाड़ करके बड़ी संख्या में लोगों ने नया कनेक्शन करा लिया है। फिर भी दर्जन भर से ज्यादा ऐसे लोग हैं, जिनको आज तक बिजली का कनेक्शन नहीं मिल सका है। इन लोगों को भीषण गर्मी में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। सुझाव 1. विकास के लिए मूलभूत सुविधाएं पर ध्यान नहीं दिया जाता है। सड़क, बिजली, पानी की व्यवस्था हो। 2. कच्चे रास्तों का निर्माण हो। साथ ही, टूटी सड़कों की मरम्मत कराई जाए। 3. बस्ती की सफाई के लिए सफाई कर्मियों को नियमित मोहल्लों में भेजा जाए। 4. खाली प्लॉट कूड़े से भरे पड़े हैं। इससे संक्रामक बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है। इनकी सफाई कराई जाए। 5. सौभाग्य योजना के तहत पोल हर गली में लगाए जाएं। एलटी लाइन की व्यवस्था हो। 6. जलभराव की समस्या से निजात के लिए नाली के साथ ही नाला बनवाया जाए। इसे नालियों से जोड़ा जाए। शिकायतें 1. पूरी बस्ती में जलनिकासी की व्यवस्था नहीं है। बारिश में पूरा मोहल्ला ‘तालाब में तब्दील हो जाता है। 2. मोहल्ले के ज्यादातर रास्ते आज तक कच्चे हैं। जो बने भी हैं, वह टूटकर जर्जर हो चुके हैं। 3. पीने के पानी का कोई यहां इंतजाम नहीं हैं। सबमर्सिबल से लोग अपनी पानी जरूरतें पूरी कर रहे हैं। 4. खाली प्लॉटों में गंदगी के ढेर लगे हैं। प्लॉट और रास्तों में गंदा पानी जमा होने से संक्रामक बीमारियां बढ़ रही हैं। 5. बल्लियों के सहारे करंट दौड़या जा रहा है। ये तार हादसों को दावत दे रहे हैं। 6. बिजली के पोल न लगे होने से शाम होते ही पूरे इलाके में अंधेरा छा जाता है। बोले बाशिंदे जलभराव से निजात के लिए नाली का निर्माण कराया जाए। सुगम आवागमन के लिए मोहल्लों में पक्की सड़कें बनें तभी लोगों को राहत मिलेगी। - रविशंकर बस्ती में सड़क, बिजली और पानी जैसी मूलभूत समस्याओं का अकाल है। कई बार शिकायतों के बाद भी हमारी समस्याओं का समाधान नहीं हुआ। लोग परेशान हो रहे हैं। - बाबूलाल शर्मा पेयजल की व्यवस्था ठीक नहीं है। लोग सबमर्सिबल से अपनी पानी की जरूरतें पूरी कर रहे हैं। पूरे मोहल्ले में एक भी सरकारी हैंडपंप नहीं लगा है। - सलीम बोले जिम्मेदार रास्ते में कीचड़ होने के कारण घर से दूर अपनी गाड़ी खड़ी करते हैं। कोई बीमार हो जाए तो घर तक एम्बुलेंस नहीं आ पाती है। फिर भी विकास पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। -सुनीता लोड बढ़ने से फाल्ट की समस्याएं आ रही हैं। बिजली के तारों की मरम्मत कराने का काम चल रहा है। विकास नगर नई बस्ती में बिजली के तारों को जल्द ही दुरुस्त कराया जाएगा। नई बस्तियों में जहां भी विद्युत पोल नहीं लगे हैं, वहां जल्द ही स्टीमेट बनवाकर काम कराया जाए। - अमित सिंह, एसडीओ
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