Challenges Faced by Private Tutors in Tiya City Unemployment Safety Concerns and Coaching Registration Issues ब्रांडेड कोचिंग से बढ़ा दर्द, लोन संग गश्त बढ़े तो पटरी पर लौटेगा जीवन, Bagaha Hindi News - Hindustan
Hindi NewsBihar NewsBagaha NewsChallenges Faced by Private Tutors in Tiya City Unemployment Safety Concerns and Coaching Registration Issues

ब्रांडेड कोचिंग से बढ़ा दर्द, लोन संग गश्त बढ़े तो पटरी पर लौटेगा जीवन

तिया शहर में कक्षा 6 से 12 तक के छात्रों को ट्यूशन देने वाले शिक्षकों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इनमें असामाजिक तत्वों की समस्या, रोजगार के अवसरों की कमी, और रजिस्ट्रेशन की समस्या शामिल...

Newswrap हिन्दुस्तान, बगहाMon, 28 April 2025 10:23 PM
share Share
Follow Us on
ब्रांडेड कोचिंग से बढ़ा दर्द, लोन संग गश्त बढ़े तो पटरी पर लौटेगा जीवन

 

तिया शहर के गली मोहल्लों में कक्षा 6 से लेकर 10वीं,11वीं और 12वीं तक के हजारों छात्र-छात्राओं को निजी तौर पर ट्यूशन या कोचिंग देने वाले शिक्षक व शिक्षिकाओं को कई चुनौतियों से जूझना होता है। विषयों को पढ़ाने की योग्यता के बावजूद इनका भविष्य सुरक्षित नहीं है। ब्रांडेड कोचिंग की चुनौती, रजिस्ट्रेशन की समस्या, ऋण की कमी, रोजगार के अवसर की कमी, सुरक्षा व्यवस्था की कमी, विद्यालय प्रबंधन द्वारा प्रताड़ित किये जाने और जीविकोपार्जन की समस्या से शिक्षकों के सामने हर समय परेशानी खड़ी हो गयी है। इनमें से सैकड़ों ऐसे शिक्षक हैं जिन्होंने स्नातक की डिग्री लेने के बाद प्रतियोगी परीक्षाओं की ओर रुझान किया लेकिन सफलता नहीं मिलने पर इन्होंने छात्र-छात्राओं को पढ़ाना शुरू किया। इनका कहना है कि विभाग को लचीला रुख अपनाना चाहिए। इससे प्रतिभा व धन दोनों को पलायन रुकेगा और समाज के विकास का मार्ग प्रशस्त होगा।

शिक्षक विपिन, अरविंद, धनुलाल, प्रशांत, परवेज आलम, अविनाश श्रीवास्तव, प्रवीण कुमार व मन्नु, संजीव कुमार, विकास कुमार पांडेय का कहना है कि कोचिंग संस्थानों के पास कई बार असामाजिक तत्व मंडराने लगते हैं। इससे छात्रों विशेषकर छात्राओं को दिक्कत होती है। कई बार पुलिस को सूचना दिये जाने के बावजूद गश्त नहीं होती है। इनका कहना है कि ऐसी जगहों पर लगातार गश्त होनी चाहिये। कम से कम कक्षाओं के संचालन के समय पुलिस को सक्रिय रहना चाहिए। कोचिंग संचालकों का कहना है कि असामाजिक तत्वों के प्रभाव से कई छात्र भी ऐसी गतिविधियों में शामिल हो जाते हैं और इसका खामियाजा अंतत: कोचिंग संस्थानों को भुगतना पड़ता है। अगर पुलिस की गश्त हो तो ऐसी गतिविधियां रुक सकती हैं।

कोचिंग संचालकों ने बताया कि कई ऐसे शिक्षक हैं जो छोटे-छोटे कमरे लेकर अपने जीविकोपार्जन के लिए बच्चों को निजी तौर पर कोचिंग की सुविधा देते हैं। ये हमेशा सरकार के टारगेट में रहते हैं। विद्यालय प्रबंधनों द्वारा भी ऐसे निजी शिक्षकों को हमेशा टारगेट किया जाता है। जबकि हम सभी अपनी शैक्षणिक योग्यता का इस्तेमाल कर रहे हैं कोई गैर कानूनी काम नहीं करते। यह भी बताया गया कि कई निजी शिक्षकों द्वारा छोटे-छोटे कोचिंग चलाने व कक्षाओं के आयोजन के लिए प्रशासन द्वारा निर्धारित की गई रजिस्ट्रेशन की राशि जमा कर दी गयी। लेकिन इनमें से अधिकांश शिक्षकों को अभी तक कोचिंग अथवा कक्षा चलाने के लिए रजिस्ट्रेशन नंबर नहीं मिला है। इससे हमेशा किसी अवांछित प्रशासनिक कार्रवाई होने का संशय बना रहता है। इन शिक्षकों का कहना है कि स्कूलों के भरोसे टॉपर नहीं निकलते हैं। हम कोचिंग के शिक्षक छात्रों को पढ़ाने में मेहनत करते हैं। हम अपनी तकनीकी और शैक्षणिक योग्यता से छात्रों को पढ़ाते हैं। ताकि छात्र बेहतर नंबर ला सकें। इससे स्कूल का नाम तो होता ही है। इससे उनका नाम भी होता है। कोचिंग चलाने में सबसे ज्यादा समस्या असामाजिक तत्वों की वजह से होती है। पुलिस को समय-समय पर कोचिंग के आसपास गश्ती करनी चाहिए।

प्रस्तुति- मनोज कुमार राव

कोचिंग बंद हाेने पर बेरोजगारी से सहम जाते शिक्षक

शिक्षकों ने यह भी बताया कि छोटे-छोटे कोचिंग सेंटर में कम मेहनताना पर स्कूली छात्र-छात्राओं को पढ़ाने वाले इन निजी शिक्षकों को हमेशा इस बात की चिंता रहती है कि अगर उनका यह काम बंद हो गया तो वे सड़क पर आ जाएंगे। योग्यता रहने के बावजूद उनको अपना जीविकोपार्जन चलाना मुश्किल हो जाएगा। सरकार को हम जैसे शिक्षक शिक्षिकाओं की चिंता करते हुए हमारे योग्यता के आधार पर रोजगार के अवसर देना चाहिए। कई बार प्रशासन द्वारा एक निश्चित समय पर ही बच्चों को कोचिंग में पढ़ाने की इजाजत प्रदान की जाती है। इसलिए हमें इस तरह की कक्षाओं को आयोजन कर जीविकोपार्जन के लिए बहुत सीमित समय ही मिल पाता है। नौकरी नहीं मिलने की स्थिति में ऐसे शिक्षकों ने अपने ज्ञान को ही जीवीकोपार्जन का साधन बनाया। लेकिन इसके लिए भी पूरी आजादी नहीं है। बातचीत के क्रम में यह भी बताया कि निजी और सरकारी विद्यालय वाले हम जैसे शिक्षकों को अपना दुश्मन समझते हैं। स्कूलों में अच्छी पढ़ाई हो तो हम सिर्फ प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी छात्रों को कराएंगे। इससे हमें फीस के नाम पर अच्छी रकम भी मिल जाएगी। प्रशासन अगर हमें अपना स्वयं का केंद्र खोलने के लिए ऋण मुहैया करा दे तो हम भी अपने पैरों पर खड़ा होकर अपने सपने को साकार कर पाएंगे और बच्चों को बेहतर शिक्षा भी मिल सकेगी।

मेहनत से छात्रों की तैयारी कराने के बाद भी नहीं मिलता सम्मान

कई शिक्षकों ने अपनी मनोदशा जाहिर करते हुए बताया कि कई बार निजी ट्यूशन अथवा कोचिंग में पढ़ाने वाले शिक्षक व शिक्षिकाओं की कड़ी मेहनत के कारण बच्चे कक्षाओं में बेहतर रिजल्ट पाते हैं। लेकिन अक्सर इसका सारा श्रेय उस विद्यालय को मिलता है जहां पर वे नामांकित है। इससे हमारा मनोबल टूटता है। हमारी कड़ी मेहनत को हमेशा दरकिनार किया जाता है। अब तक हमारी कोई स्थायी पहचान ही नहीं बन पायी है। सरकारी नियमावली का पालन करते हुए होम ट्यूशन, निजी ट्यूशन अथवा कोचिंग में पढ़ाने वाले शिक्षकों की कोई पहचान नहीं है। शैक्षणिक योग्यता रहते हुए भी हमारे पास स्थायी नौकरी नहीं है। अगर हमारी योग्यता व अनुभव के आधार पर हमें भी सरकारी शैक्षणिक संस्थानों में पार्ट टाइम भी पढ़ाने का मौका मिले तो ऐसा लगेगा कि हमारे मेहनत को सम्मान मिल रहा है। बेतिया में ऐसे शिक्षकों की भारी संख्या है। प्रशासन को हमारी चिंता करते हुए हमारे लिए भी विशेष योजना बनानी चाहिए ताकि हम भी अपने पैरों पर खड़ा हो सके। हमें मौका मिले तो जिले से टॉपर निकलने वाले छात्रों की संख्या बढ़ जाएगी। सरकार की ओर से कोचिंग व निजी ट्यूशन के लिए भी नियमावली बनाई जाए। कोचिंग में भी स्कूलों की भांति पढ़ाने की अनुमति दी जाय। मनमानी के कारण हजारों छात्र कोचिंग से वंचित रह जाते हैं। प्रतिभा होने के बावजूद वे बेहतर रिजल्ट नहीं दे पाते हैं। इसलिए प्रशासन को शिक्षा के प्रति लचीलापन दिखाना चाहिए। जो बच्चे कोचिंग करना चाहते हैं उन्हें स्कूल की कक्षा से राहत मिलना चाहिए।

स्कूली छात्र-छात्राओं के लिए निजी तौर पर संचालित होने वाली कक्षाओं व कोचिंग सेंटरों की सुरक्षा के लिए पुलिस बल हमेशा सक्रिय है। मोटरसाइकिल टीम चौबीस घंटे रोटेशन पर कार्य करती है। 112 की टीम सूचना मिलते ही अविलंब सेवा देती है। यदि कहीं भी किसी तरह का मामला हो 112 के साथ संबंधित थानाध्यक्ष को इसकी सूचना दें। तत्काल कार्रवाई होगी।

- विवेक दीप, एसडीपीओ बेतिया

पीएमईजीपी अर्थात प्राइम मिनिस्टर एंप्लॉयमेंट जेनरेशन प्रोगाम नामक योजना के तहत सभी अनिवार्य अर्हता पूरी करने वाले पढ़े-लिखे बेरोजगार युवकों को केंद्र सरकार की ओर से ऋण की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। इसमें कुछ इंक्वायरी व कागजातों के पड़ताल के बाद अर्हता पूरी करने वाले व्यक्ति को राशि उपलब्ध कराने की प्रक्रिया शुरु कर दी जाती है। इच्छुक व्यक्ति उद्योग विभाग से संपर्क कर पूरा ब्योरा ले सकते हैं।

- रोहित राज,महाप्रबंधक उद्योग विभाग।

सुझाव

1. निजी टयूशन अथवा कोचिंग चलाने वाले शिक्षकों व उनके छात्र छात्राओं की सुरक्षा के लिए पुलिस प्रशासन सहयोग करे।

2. रजिस्ट्रेशन की राशि शिक्षा विभाग के पास कई साल पूर्व ही जमा की गई है। रजिस्ट्रेशन नंबर जारी किया जाना चाहिए।

3. स्वयं का केंद्र खोलने के लिए निजी शिक्षकों के लिए ऋण मुहैया करानी चाहिए, ताकि आर्थिक सहयोग मिल सके।

4. बड़े-बड़े ब्रांडेड व नामचीन कोचिंग संस्थानों में स्थानीय योग्य शिक्षकों को भी पढ़ाने का अवसर मिलना चाहिए।

5. सरकार को स्कूल-कॉलेज में भी निजी स्तर पर पढ़ाने वाले शिक्षक शिक्षिकाओं को पार्ट टाइम जॉब ऑफर करना चाहिए।

शिकायतें

1. टयूशन अथवा छोटे कोचिंग सेंटरों के आसपास असामाजिक तत्व मंडराते रहते हैं। इससे माहौल खराब होता है।

2. प्रशासन द्वारा निर्धारित की गई रजिस्ट्रेशन की राशि विभाग के पास जमा किये जाने पर भी रजिस्ट्रेशन नहीं मिलता।

3. शहर में बड़े-बड़े ब्रांडेड व नामचीन कोचिंग संस्थानों के आने से शिक्षकों कोे बेरोजगारी का खतरा सता रहा है।

4. विषयों की बेहतर जानकारी होने के बाद भी शिक्षा विभाग निजी शिक्षकों को सम्मान नहीं देता है।

5. निजी शिक्षकों द्वारा बहुत ही कम फीस पर स्कूलों से आए बच्चों को पढ़ाने की मजबूरी है।

 

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।