चनपटिया स्टार्टअप के उद्यमियों को अमेरिकी टैरिफ से मांग घटने का डर
चनपटिया के स्टार्टअप जोन के उद्यमी अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा घोषित टैरिफ से चिंतित हैं। उनका मानना है कि इस टैरिफ के कारण उत्पादों की मांग में कमी आएगी। उन्होंने सरकार से व्यापार के लिए नए विकल्प...

चनपटिया के स्टार्ट अप जोन में उद्योग लगाने वाले उद्यमी अमेरिकी राष्ट्रपति की टैरिफ की घोषणा से चिंतित हैं। शनिवार को चनपटिया स्टार्टअप जोन के उद्यमियों ने बताया कि उत्पाद को अलग-अलग माध्यमों से वाया नेपाल अमेरिका भेजा जाता है। संभावना यह भी है कि चनपटिया स्टार्ट अप जोन में तैयार माल नेपाल के रास्ते अमेरिका भी पहुंचता हो। इब्राहिम अंसारी,अयूब अंसारी, आदि ने ने शंका जाहिर की और बताया कि अमेरिकी राष्ट्रपति की घोषणा से आने वाले दिनों में माल की खपत कम हो जाएगी। इसलिए सरकार को अब व्यापार के लिए अमेरिका के अलावे दूसरे विकल्प तलाशनेचाहिए। विकट परिस्थिति से निपटने के लिए सरकार को देशी उद्योग को बढ़ावा देना होगा। उत्पादन लागत में कमी लानी होगी और माल के उत्पादन को भी बढ़ाना होगा। सरकार को अपनी व्यापार नीतियों में बदलाव कर निर्यात के लिए अलग-अलग विकल्प तलाशना शुरू कर देना चाहिए ताकि छोटे उद्यमियों पर कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़े।
कर्ज लेकर शुरू किया कारोबार : इन लोगों ने यह भी बताया कि हमलोगों ने सरकार से कर्ज लेकर कोरोना के समय में बड़े शहरों को छोड़कर यहां पर अपना व्यवसाय शुरू किया। अब अगर माल की खपत कम होगी तो हम पूरी तरह से टूट जाएंगे। राज्य सरकार को हमारी चिंता करते हुए हमारी आर्थिक सुरक्षा के लिए योजना तैयार करनी चाहिए। कपड़े, स्वेटर, शॉल, दुपटटे, ट्रैक सूट सहित अन्य वस्तुओं को तैयार करने वाले ये सभी रक्सौल से सटे वीरगंज तथा वाल्मीकिनगर से सटे त्रिवेणी बाजार तक अपना माल भेजते हैं, जहां से संभव है कि कई अन्य माध्यमों से होते हुए माल अमेरिका भी पहुंचता हो। चनपटिया स्टार्टअप जोन के बड़े उद्यमी भी इसे लेकर चिंतित हैं। उनका मानना है कि अमेरिका में रहने वाले भारतीय मूल के नागरिकों को भारतीय उत्पाद ज्यादा पसंद हैं। खास तौर पर स्टील, टेक्सटाइल और चांदी व सोने की ज्वेलरी उनकी पसंदीदा चीज है। अमेरिका ने भारत से इन चीजों के आयात पर 26 फीसदी टैरिफ की घोषणा की है, जिससे इन व्यवसायों पर काफी असर पड़ेगा। इस टैरिफ के कारण उत्पादों की कीमत 100 रुपये से बढ़कर 126 रुपये हो सकती है। स्टार्टअप जोन के उद्यमी चाहते हैं कि सरकार को यदि यहां के उत्पादों की चमक बढ़ानी है तो अमेरिकी सरकार से वार्ता कर रेसिप्रोकल टैरिफ हटवाना होगा।
जल्द वार्ता करे सरकार : चनपटिया स्टार्टअप जोन के उद्यमियों का मानना है कि सरकार की ओर से अब तक कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन व्यापार विशेषज्ञ उम्मीद कर रहे हैं कि भारत जल्द ही इस मुद्दे पर अमेरिका से वार्ता करेगा। अमेरिकी टैरिफ का सीधा असर भारत की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। घरेलू रोजगार और औद्योगिक विकास से भी जुड़ा मसला है। भविष्य में उत्पादन बढ़ने पर उद्यमी अमेरिका भी माल भेज सकते हैं। लेकिन टैरिफ लगने से अब हमें उत्पादन बढ़ाने के लिए ही सोचना होगा। कारण कि उत्पादन बढ़ाने के साथ उसकी खपत के लिए बाजार भी उपलब्ध होना चाहिए। अमेरिका भारत के लिए बेहतर बाजार है। वहां भारतीय चीजों की मांग अधिक है।
आम उत्पादक, व्यापारी भी टैरिफ से चिंतित
अमेरिका के नये टैरिफ का असर सिर्फ बड़े शहरों, शेयर बाजार सहित बड़े-बड़े फॉर्मों पर ही नहीं, किसानों व बाग मालिकों समेत व्यापािरयों पर भी देखने को मिलेगा। बगहा के मैंगो विलेज बनकटवा (जहां से आम के मौसम में प्रतिदिन एक से दो ट्रक आम बाहर जाते ही हैं) का आम सीधे तौर पर अमेरिका तो नहीं जाता लेकिन इस बढ़े हुए टैरिफ का असर उनके व्यवसाय पर पड़ने की आशंका है। इसको लेकर उनके पेशानी पर चिंता की लकीर गहराने लगी है।
मैंगो विलेज बनकटवा निवासी अशोक कुमार, मनमीत काजी आदि ने बताया कि अभी तो कोई असर नहीं दिख रहा है अमेरिकी टैरिफ का। लेकिन जब व्यापारियों से आम को लेकर फोन पर बातचीत होती है तो वे इस क्रम में अमेरिका के प्रेसिडेंड की चर्चा जरूर करते हैं। कहते हैं उसने टैरिफ में वृद्धि की है जिसका असर पड़ेगा। किसान रामअवध प्रसाद, मोहन प्रसाद, जगन्नाथ सोनी, नरेश सोनी, सुरेश मिश्र, निवेद कुमार, तुषार आदि ने बताया कि वे धान, गेहूं व गन्ना आदि के साथ ही आम, कटहल आदि फलों को भी खेती करते हैं। उनके बाग के आम के लिए कोलकाता, गोरखपुर, लखनऊ आदि जगहों से व्यापारी आते हैं। आम को बाग में ही खरीद लेते हैं। यह काम मंजर आने के कुछ दिन बाद से ही शुरू हो जाता है लेकिन इस साल व्यापारियों के आने की गति काफी धीमी है, हालांकि आम में मंजर ठीक-ठाक आये हैं।
व्यापारियों की कम आवक को देखकर यह लगता है कि अमेरिकी टैरिफ के बढ़ने का कुछ न कुछ तो असर पड़ना तय है। किसानों ने यह भी कहा कि अगर दिल्ली में बैठी सरकार के अपनी नीतियों में कुछ बदलाव की तो किसानों व बाग मालिकों को नुकसान का सामना नहीं करना पड़ेगा। बगहा या उसके आसपास के किसी भी बाग से आम अमेरिका नहीं जाता है, लेकिन देश के विभिन्न हिस्सों मेें यहां के फसल जाते हैं खासकर आम। पिछले साल तक व्यापारी काफी संख्या में बाग की हालत आदि जानने केलिए होली के पहले से ही इनक्वायरी शुरू कर दते थे। इस बार रामनवमी भी समाप्त होने को है और पूछताछ इक्का-दुक्का आ रहा है। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि अमेरिकी टैरिफ का सीधा असर हो या न हो अपरोक्ष रुप से इसका असर दिखना शुरु हो गया है।
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