तालाब की खुदाई में फिर मिली कुषाण काल की ईंटें
पेज चार की लीडपेज चार की लीड ग्रामीणों ने की संरक्षित करने की मांग अमरपुर (बांका), निज संवाददाता| अमरपुर के अठमाहा गांव में तालाब की

अमरपुर (बांका), निज संवाददाता। अमरपुर के अठमाहा गांव में तालाब की खुदाई के दौरान करीब एक सप्ताह पहले बड़े-बड़े ईंट की दीवार नजर आई थी। इस ईंट को देख ग्रामीण काफी उत्साहित हुए। पुरातत्वविदों ने इसे कम से कम दो हजार वर्ष पुराना कुषाण कालीन ईंट बताया था। उन्होंने कहा कि उस समय हाथ से ईंट बनाया जाता है तथा इसे रस्सी से काटा जाता था। इस वजह से ईंटों पर हाथ के निशान मिलते हैं। शुक्रवार को तालाब के दूसरे छोर की खुदाई के क्रम में फिर से ईंट मिल गई। ग्रामीणों ने बताया कि ईंट गोलाई लिए हुए थी, जिससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि इस जगह पर कुआं हो सकता था।
हालांकि उत्सुकतावश गांव के लोगों ने इसके चारों ओर की मिट्टी हटाई तो ईंट सिर्फ एक लेयर की मिली। ग्रामीणों ने कहा कि लेकिन दूसरे छोर पर भी ईंट मिलने से यह बात साबित हो रही है कि इस जगह पर पुरातात्विक अवशेष हैं। ईंट की दीवार मिलने की सूचना पर वरीय उप समाहर्ता केशव आनंद, बीडीओ प्रतीक राज तथा प्रशिक्षु बीडीओ प्रीति कुमारी ने अठमाहा पहुंच कर स्थल निरीक्षण किया था। अधिकारियों ने इसकी सूचना पुरातत्व विभाग तथा कला-संस्कृति विभाग को देने की बात कही थी। लेकिन आज तक कोई अधिकारी उस स्थल पर नहीं पहुंचे जिससे ग्रामीणों में निराशा छा गई है। पुरातत्व के जानकार सतीश कुमार तथा झारखंड के पुरातत्वविद पंडित अनूप कुमार वाजपेयी ने कहा कि यदि इस क्षेत्र को संरक्षित कर इन जगहों की सही ढंग से खुदाई कराई जाए तो यहां बौद्ध कालीन या कुषाण कालीन ही नहीं बल्कि इससे भी पुरानी सभ्यता मिल सकती है। लेकिन बांका जिले का दुर्भाग्य है कि यहां मिलने वाले पुरातात्विक अवशेषों का कोई मोल नहीं है। जिले के अधिकारी या क्षेत्र के जनप्रतिनिधि भी इस ओर ध्यान नहीं देते हैं। जिससे यह क्षेत्र पूरी तरह उपेक्षित हो गया है।
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