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लावारिस,असहायों को इलाज के लिए नहीं खानी होगी ठोकरे!सरकारी अस्पतालों में मिलेगा मुफ्त इलाज

राजस्थान सरकार ने एक मानवीय और ऐतिहासिक फैसला लेते हुए प्रदेश के सरकारी मेडिकल कॉलेजों से जुड़े अस्पतालों में लावारिस, असहाय और विमंदित मरीजों के लिए इलाज की राह आसान कर दी है। अब ऐसे मरीजों को पहचान पत्र की अनिवार्यता से मुक्त करते हुए हर तरह का निशुल्क उपचार और दवाइयां मुहैया कराई जाएंगी।

Sachin Sharma लाइव हिन्दुस्तान, जयपुरSat, 17 May 2025 04:02 PM
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लावारिस,असहायों को इलाज के लिए नहीं खानी होगी ठोकरे!सरकारी अस्पतालों में मिलेगा मुफ्त इलाज

राजस्थान सरकार ने एक मानवीय और ऐतिहासिक फैसला लेते हुए प्रदेश के सरकारी मेडिकल कॉलेजों से जुड़े अस्पतालों में लावारिस, असहाय और विमंदित मरीजों के लिए इलाज की राह आसान कर दी है। अब ऐसे मरीजों को पहचान पत्र की अनिवार्यता से मुक्त करते हुए हर तरह का निशुल्क उपचार और दवाइयां मुहैया कराई जाएंगी।

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग की पहल पर चिकित्सा शिक्षा विभाग ने इस संबंध में आदेश जारी किए हैं। इस फैसले से उन हजारों जरूरतमंदों को राहत मिलेगी, जो या तो किसी स्वयंसेवी संस्था के आश्रय स्थल में रह रहे हैं या खुले में बेसहारा जीवन जी रहे हैं और पहचान पत्र न होने के कारण सरकारी चिकित्सा सुविधाओं से वंचित रह जाते थे।

संस्था का पत्र होगा पर्याप्त

चिकित्सा शिक्षा विभाग के सचिव अम्बरीश कुमार की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि यदि किसी संस्था द्वारा कोई लावारिस या असहाय मरीज अस्पताल लाया जाता है, तो संस्था अपने लेटरहेड पर यह प्रमाणित करे कि मरीज असहाय है और उसके पास कोई पहचान पत्र नहीं है—इतना ही काफी होगा। वहीं, यदि कोई मरीज खुद आता है और कहता है कि उसके पास पहचान नहीं है, तो भी उसे प्राथमिकता से इलाज देना होगा।

सहायता के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त होंगे

सभी संबंधित अस्पतालों में ऐसे मरीजों की सहायता के लिए एक नोडल अधिकारी और दो कर्मचारी नियुक्त किए जाएंगे, जो इस पूरी प्रक्रिया को सुचारू रूप से संचालित करेंगे। इतना ही नहीं, इन अस्पतालों को अपने निकटवर्ती स्वयंसेवी संस्थाओं के साथ समन्वय करते हुए महीने में दो बार स्वास्थ्य जांच शिविर आयोजित करने होंगे।

एक बड़ी राहत

अतिरिक्त मुख्य सचिव, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग, कुलदीप रांका ने कहा, "प्रदेश भर में हजारों ऐसे लोग हैं जिनके पास कोई पहचान पत्र नहीं है। ऐसे लोगों को अस्पतालों में योजना के बावजूद मुफ्त इलाज नहीं मिल पाता था। इसलिए हमने चिकित्सा शिक्षा विभाग से पहचान पत्र की अनिवार्यता हटाने का आग्रह किया था। यह बेहद सकारात्मक निर्णय है कि अब ऐसे लोगों को भी पूरा इलाज मिलेगा।"

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