बांका जिले में पशुओं की 20 फीसदी बढ गई संख्या
पेज तीन की लीडपेज तीन की लीड हिन्दुस्तान विशेष 2024 में हुए पशु गणना से हुआ खुलासा 2020 में कराये गये पशु गणना में 20 हजार 625 थी

बांका, निज प्रतिनिधि। सरकार की ओर से जिले में पशुपालन को बढावा देने के लिए कई तरह की योजनाएं चलाई जा रही है। जिससे यहां पशुओं की संख्या में 20 फीसदी की बढोतरी हो गई है। फिलवक्त जिले में पशुओं की संख्या 23 हजार के करीब पहुंच गई है। जिसका खुलासा 2024 में कराये गये पशु गणना से हुआ है। लेकिन यहां पशु गणना में गधे विलुप्त हो गये हैं। इसकी एक वजह मशीनरी के उपयोग का बढता क्रेज भी है। जिससे गधे की कहानी किताबों में ही सिमट कर रह गई है। जबकि गधे का उपयोग खास कर घाटों तक कपडा पहुंचाने और लाने के लिए किया जाता था।
लेकिन वॉसिंग मशीन और जोगाड गाडी के चलन ने गधे की उपयोगिता को ही समाप्त कर दिया है। धोबी भी अब घाट तक कपडा पहुंचाने और लाने में भी जोगाड गाडी का ही उपयोग कर रहे हैं। जिससे अब यहां कहीं भी गधे नजर नहीं आ रहे हैं। जबकि यहां दुधारू पशुओं एवं बकरी की संख्या में काफी बढोतरी हुई है। जो लोगों के रोजगार का जरिया बन रहा है। क्षेत्र के पशुपालक बडी संख्या में पशुपालन कर आत्मनिर्भर बन रहे हैं। यहां 2020 में कराये गये पशु गणना में 20 हजार 625 पशु थे। जिसका यहां पालन किया जा रहा है। उस समय यहां फुल्लीडुमर एवं चांदन प्रखंड में एक-एक गधे थे। लेकिन अब वो भी विलुप्त हो गये हैं। जिले में पशुपालन के लिए गव्य विभाग एवं पशुपालन विभाग की ओर से कई तरह की योजनाएं चलाई जा रही है। पशुपालन विभाग की ओर से 100 बकरियों के पालन के लिए 50 फीसदी अनुदान पर 10 लाख तक के ऋण की सुविधा दी जा रही है। इसी तरह गव्य विभाग की ओर से डेयरी खोलने के लिए दो गायों से लेकर 100 गयों तक के लिए अनुदान पर ऋण की सुविधा दी जा रही है। जिससे यहां डेयरी की संख्या एक हजार के पार हो गई है। वहीं, पशुओं के संरक्षण के लिए पशुपालाकों को पशु बीमा की भी सुविधा दी जा रही है। जो पशुपालाकों के लिए आमदनी का जरिया बन गया है।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।