नए पुल के निर्माण कार्य की रफ्तार धीमी, सावन में चालू होने की उम्मीद नहीं
पेज चार की लीडपेज चार की लीड सुल्तानगंज-देवघर मुख्य मार्ग में जमुआ पुल की स्थिति जर्जर कभी भी घट सकती है बड़ी घटना श्रावणी मेला

कटोरिया (बांका), निज प्रतिनिधि। श्रावणी मेले के आगाज में महज 42 दिन का समय बचा है। मेले को लेकर कांवरिया पथ में तैयारी को लेकर जिला प्रशासन की टीम के निरीक्षण का दौर शुरू हो गया है। श्रावणी मेले में पैदल चलने वाले कांवरियों के लिए जहां कच्ची कांवरिया पथ को सुगम बनाना होगा। वहीं हजारों की संख्या में प्रतिदिन गाड़ियों से चलने वाले कांवरियों के लिए पक्की सड़क को दुरुस्त करना होगा। मेला प्रारंभ होने से पूर्व सुल्तानगंज-देवघर मुख्य पक्की सड़क मार्ग के जमुआ मोड़ के समीप दरभाषण नदी में बने पुल पर की खस्ता हालत पर भी ध्यान देने की जरूरत है।
हालांकि वर्तमान पुराने पुल के ही समानांतर नए पुल का निर्माण जारी है। जिसकी लागत लगभग 14 करोड़ रुपये की है। लेकिन निर्माण कार्य की कछुए की रफ्तार को देख लगता है कि इस वर्ष के सावन मेले में भी नए पुल का निर्माण कार्य पूरा नहीं हो पाएगा। बताया जा रहा है कि नए पुल से होकर गाड़ियों का आवागमन होगा, जबकि पुराने पुल से कांवरिया और पैदल राहगीर गुजरेंगे पुल की जर्जर हालत खतरे को आमंत्रण दे रही है। फिलवक्त देवघर की ओर से आने-जाने के लिए एक मात्र पक्की रास्ता के कारण पुराने पुल से आवागमन जारी है। इस पुल से होकर स्थानीय के अलावे सुल्तानगंज से पूजा करने देवघर जाने वाली सैकड़ों बाहरी गाड़ियां रोज दौड़ती है। पुल के छत से पानी का रिसाव होता है। कुछ पिलर क्रैक है, वहीं दर्जन भर रेलिंग टूटी हुई है। जबकि सबसे महत्तवपूर्ण नदी में बनी गार्ड वॉल, जिसमें पत्थर की पिचिंग होती है, उसमें इक्का- दुक्का पत्थर बचा हुआ है। पुल की ऊंचाई कम रहने के कारण अत्यधिक वर्षा होने पर नदी का पानी पुल से ऊपर होकर बहना शुरू हो जाता है। ऐसी स्थिति में पुल का कुछ अता पता नहीं चल पाता है। जिस कारण अंजान व लापरवाह लोग घटना के शिकार होते हैं और यह स्थिति सावन के मौसम में कई दिन पैदा हो जाती है। पैदल कांवरियों का जनसैलाब एवं हजारों की संख्या में कांवरिया की वाहनों सहित अन्य नियमित वाहनों के आवाजाही के लिये पुराने पुल पर प्रशासन द्वारा हर बार बांस-बल्ले से बैरिकेडिंग बनाई जाती है। जो इतने बड़े मेले के लिए मुकम्मल व्यवस्था नहीं है। सावन में पुल पर पुलिस प्रशासन को काफी सतर्कता बरतनी पड़ती है। इस छोटे से पुल में आवाजाही को बहाल रखना प्रशासन के लिए चुनौती भरा होता है। स्थिति ऐसी है कि श्रावणी मेले में भारी मात्रा में वाहनों के दवाब के कारण पुल कभी भी जवाब दे सकती है। जमुआ पुल के निर्माण को 48 साल का लंबा समय बीत चुका है। श्रावणी मेले के दौरान वर्ष 2005 में आई बाढ़ पुल के तीन पिलर को भी अपने साथ बहा ले गई थी। उस समय राज्य में लागू राष्ट्रपति शासन की वजह से क्षेत्र में सेना की तैनाती हुई थी। भारतीय सेना के 175 इंजीनियर रेजिमेंट द्वारा श्रद्धालुओं को देवघर तक पहुंचाने के लिए नदी में बैली पुल का निर्माण कराया गया था। जबकि दूसरी बार वर्ष 2017 में श्रावणी मेले के दौरान तेज बारिश की वजह से पुल से सटे लगे दुकाने भी उजड़ गयी थी। पुल निगम बांका के सहायक अभियंता अनिल कुमार सिंह ने बताया कि श्रावणी मेला के पूर्व नया पुल निर्माण कार्य पूरा होना संभव नहीं है। इस साल श्रावणी मेला में पुराने पुल से ही वाहन व कांवरियों को गुजरना होगा। हालांकि संवेदक को निर्देश दिया गया है कि जल्द से जल्द पुल निर्माण कार्य को पूरा करें।
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