Revival of Gudbal Dam A Lifeline for Farmers in Banka District गुडबाल बांध की जर्जर स्थिति से परेशान किसान, वादों के बावजूद अधूरा पड़ा है पुनर्निर्माण कार्य , Banka Hindi News - Hindustan
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गुडबाल बांध की जर्जर स्थिति से परेशान किसान, वादों के बावजूद अधूरा पड़ा है पुनर्निर्माण कार्य

बोले बांकाबोले बांका प्रस्तुति- प्रदीप कुमार सिंह शंभूगंज (बांका)। एक संवाददाता बांका जिला अंतर्गत शंभूगंज प्रखंड के पौकरी पंचायत स्थित

Newswrap हिन्दुस्तान, बांकाWed, 28 May 2025 05:56 AM
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गुडबाल बांध की जर्जर स्थिति से परेशान किसान, वादों के बावजूद अधूरा पड़ा है पुनर्निर्माण कार्य

शंभूगंज (बांका), एक संवाददाता। बांका जिला अंतर्गत शंभूगंज प्रखंड के पौकरी पंचायत स्थित बदुआ नदी किनारे वर्षों पुराना गुडबाल बांध आज अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है। अंग्रेजों के जमाने में निर्मित यह ऐतिहासिक बांध क्षेत्र की सिंचाई व्यवस्था की रीढ़ रहा है, लेकिन आज यह खुद सहायता का मोहताज है। बांध की स्थिति इतनी खराब हो चुकी है कि क्षेत्र के किसान बरसात से पहले ही चिंतित हो उठे हैं। वे जानते हैं कि यदि इस बार भी सिंचाई के लिए पानी की व्यवस्था समय रहते नहीं हो पाई, तो उनके खेत सूखे रह जाएंगे और मेहनत पर पानी फिर जाएगा।

गुडबाल बांध कभी बदुआ नदी से होकर बहने वाली जलधाराओं के सहारे शंभूगंज क्षेत्र के हजारों एकड़ खेतों को जीवन देता था। इसकी मदद से न केवल बांका, बल्कि भागलपुर और मुंगेर जिलों के किसानों को भी लाभ होता था। गुलनी कुशहा, पौकरी, बसविट्टा, वैदपुर, रामचुआ, चटमा, कैथा, बिरनौधा सहित दर्जनों गांव के किसानों की आजीविका इस पर निर्भर रही है। यदि गुडबाल बांध का पुनर्निर्माण कार्य समय पर पूरा हो जाए, तो यह न केवल बांका, बल्कि भागलपुर और मुंगेर जैसे जिलों के किसानों के लिए वरदान साबित होगा। इससे हजारों हेक्टेयर भूमि सिंचित होगी, कृषि उत्पादन बढ़ेगा और किसानों की आमदनी में भी इजाफा होगा। यह क्षेत्र के आर्थिक विकास के लिए मील का पत्थर साबित हो सकता है। साथ ही रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे, क्योंकि पुनर्निर्माण कार्य में श्रमिकों की जरूरत होगी और सिंचाई के बाद कृषि आधारित छोटे उद्योग भी फलने-फूलने लगेंगे। गुडबाल बांध का पुनर्निर्माण केवल एक सिंचाई परियोजना नहीं, बल्कि क्षेत्र की आर्थिक, सामाजिक और कृषि विकास से जुड़ा एक महत्त्वपूर्ण प्रश्न बन चुका है। समय रहते यदि सरकार, प्रशासन और जनप्रतिनिधि इस पर ध्यान नहीं देंगे, तो किसानों की मेहनत, क्षेत्र की संभावनाएं और सरकार की साख तीनों ही संकट में पड़ सकती हैं। अबकी बार मानसून समय से पहले दस्तक दे चुका है। आकाश में बादल मंडरा रहे हैं, धरती पर किसान हल जोतने लगे हैं, लेकिन गुडबाल बांध की जर्जर हालत देख उनकी आंखों में चिंता की लकीरें गहराने लगी हैं। एक ओर बारिश का मौसम सिर पर है, दूसरी ओर बांध का कोई ठोस समाधान अब तक नहीं निकला है। किसानों का कहना है कि सरकार हर खेत तक पानी पहुंचाने का वादा करती है, लेकिन जमीनी स्तर पर स्थिति कुछ और ही बयां कर रही है। बालू माफियाओं द्वारा की गई अंधाधुंध अवैध खनन ने बदुआ नदी को गहरा और असमतल बना दिया है, जिससे बांध से खेतों तक पानी पहुंचाना बेहद कठिन हो गया है। करीब छह महीने पहले क्षेत्रीय विधायक एवं भवन निर्माण मंत्री जयंत राज ने गुडबाल बांध के जीर्णोद्धार की घोषणा की थी। उनके इस ऐलान से किसानों में खुशी की लहर दौड़ गई थी। उन्हें उम्मीद थी कि इस बार उनके खेतों में समय पर पानी पहुंचेगा और अच्छी फसल होगी। लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया, काम शुरू नहीं हुआ और किसानों की उम्मीदें फिर से टूटने लगीं। समाजसेवी सह किसान रोशन सिंह राठौड़ बताते हैं कि बीते दो दशकों से गुडबाल बांध के पुनर्निर्माण का वादा होता आ रहा है। लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात। गुलनी कुशहा गांव के किसान लाल मोहन प्रसाद सिंह, शेखर कुशवाहा, सोनू सिंह, ब्रह्म प्रकाश सिंह, भगवान पासवान, गनौरी मंडल, टिपीण यादव जैसे दर्जनों किसानों का कहना है कि वर्षों से गुडबाल बांध के जीर्णोद्धार की मांग उठती रही है, लेकिन सरकारें केवल आश्वासन देती रही हैं। उनका कहना है कि यदि सिंचाई के लिए बांध की मरम्मत नहीं हुई, तो हजारों एकड़ भूमि बंजर होने की कगार पर आ जाएगी। दयाल डीह पुल के पास से होकर गुजरने वाला यह बांध कभी 2200 एकड़ से अधिक भूमि को सींचता था, लेकिन आज अवैध अतिक्रमण और खनन के कारण नाले और शाखाएं संकुचित हो गई हैं। गुडबाल से तीन शाखाएं होरला, दुमहाने और एक अन्य फैली हुई हैं, जिनसे सिंचाई का कार्य किया जाता था। लेकिन बालू खनन और नहरों की सफाई न होने से यह व्यवस्था ठप हो गई है। किसानों को अब वैकल्पिक तरीकों से सिंचाई करनी पड़ती है, जिससे लागत बढ़ जाती है और उत्पादन घट जाता है। किसानों का आरोप है कि सिंचाई विभाग की लापरवाही के कारण ही आज स्थिति इतनी खराब हो चुकी है। विभाग यदि चाहे तो नदी की सफाई और खुदाई कर वास्तविक स्वरूप वापस ला सकता है, जिससे सिंचाई व्यवस्था पुनः बहाल हो सकती है। लेकिन विभागीय कार्यशैली इतनी धीमी है कि न तो खुदाई हो रही है और न ही पुनर्निर्माण। ऐसे में किसानों के सब्र का बांध टूटने के कगार पर है। स्थानीय विधायक सह मंत्री जयंत राज से क्षेत्र के लोगों को आज भी उम्मीदें हैं। उन्हें लगता है कि यदि मंत्री जी चाहें तो गुडबाल बांध का काम शुरू करवाकर किसानों की वर्षों पुरानी मांग पूरी कर सकते हैं। किसानों ने यह भी अपील की है कि सरकार बांध का पुनर्निर्माण कार्य अविलंब शुरू करवाए ताकि आने वाली पीढ़ियां भी इस सिंचाई व्यवस्था का लाभ उठा सकें। अमरपुर विधायक सह भवन निर्माण मंत्री जयंत राज ने बताया कि अंग्रेज जमाने का गुडबाल बांध का जल्द ही कायाकल्प होगा। इसकी कैबिनेट में जल्द ही मोहर लगने वाली है। बताया कि 89 करोड़ की लागत से गुडबाल बांध को दुरुस्त किया जाएगा। जिसका प्राक्कलन तैयार हो चुका है। किसानों के लिए गुडबाल बांध वरदान साबित होगा।

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