मूसलाधार बारिश ने किसानों की बढ़ाई परेशानी, गेहूं की फसल को नुकसान
लगातार बज्रपात से सहम उठे लोग... पूर्वानुमान के अनुरूप गुरुवार की शाम चार बजे से जिले के लगभग सभी स्थानों पर तेज हवा के साथ कई घण्टा तक ज

सिंघौल, निज संवाददाता। पूर्वानुमान के अनुरूप गुरुवार की शाम चार बजे से जिले के लगभग सभी स्थानों पर तेज हवा के साथ कई घण्टा तक जमकर बारिश हुई है। बेमौसम की इस बारिश ने गेहूं की खेती करने वाले किसानों को काफी नुकसान पहुंचाया है। क्योंकि खेतों में लगी गेहूं की फसल अब कटनी के लिए लगभग तैयार थी। लेकिन कटनी के पहले तेज हवा व मूसलाधार बारिश से कई स्थानों पर गेहूं के पौधे गिरने की सूचना है। वहीं जिन स्थानों पर ज्यादा बारिश हुई है वहां गेहूं के साथ दलहन व मक्का की फसल भी प्रभावित होने की आशंका है। विभागीय सूचना के अनुसार अभी भी करीब 20 से 25 प्रतिशत गेहूं की कटनी शेष है। जिन क्षेत्रों में बुवाई का काम पीछे हुआ है वहां फसल अभी खेतों में ही लगी हुई है। अब इन क्षेत्रों में कटनी के लिए मौसम में सुधार होने का इंतजार करना पड़ेगा। शहरी क्षेत्रों में बारिश ज्यादा होने से जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। इतना ही नहीं बारिश के साथ कई बार बज्रपात की तेज आवाज से लोग सहम उठते हैं। मौसम पूर्वानुमान में 12 अप्रैल तक मध्यम वर्षा की संभावना व्यक्त की गई है। इससे पहले बुधवार को भी बारिश होने से अधिकतम तापमान 41 डिग्री से लुढककर 32 डिग्री के आसपास पहुंच गया था। इससे पिछले 15 दिनों से तेज धूप व गर्मी से लोगों को राहत मिली है। वर्षा ने तैयार गेहूं की फसल को नुकसान पहुंचाया नावकोठी, निज संवाददाता। प्रखंड क्षेत्र में गुरुवार की सुबह से ही मौसम में बदलाव दिखाई।झमाझम बारिश हुई।तेज हवा के साथ आंधी, तूफान भी आया।इससे भीषण गर्मी से राहत तो मिली है किन्तु आम जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया। तापमान में गिरावट हुई किन्तु किसानों के लिए यह वर्षा लाभकारी के बदले हानिकारक सिद्ध हो रही है। खेतों में गेहूं की तैयार फसलों की कटाई जोरों पर है। लघु,मध्यम किसानों ने तो गेहूं की पकी फसल को समेट लिया किन्तु अधिकांश किसान अपनी तैयार फसल को समेट नहीं पाये। कुछ किसानों ने फसल की कटाई करवायी किन्तु उसकी थ्रेसरिंग नहीं करवा सके। फलत: उन किसानों के समक्ष उस तैयार फसल को समेटने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। इस वर्षा के कारण खेतों में लगी फसल,कटी फसल को भारी नुकसान पहुंचा है। किसानों ने बताया कि इस गेहूं की फसल से वर्ष भर खाने का सहारा मिल जाता वह भी बर्बाद हो रहा है।सब किया हुआ चौपट हो गया। किसानों के समक्ष निराशा झलक रही है। किसानों में निलेश रंजन, रवीन्द्र प्रसाद सिंह,हरे राम सिंह आदि ने बताया कि मजदूरों के कारण गेहूं की कटाई में समय लगा।यह भी प्रकृति को भेंट चढ़ गयी।इन किसानों ने कहा कि आज तक इस विपरीत स्थिति का सामना नहीं करना पड़ा था।समेटने में किसानों की परेशानी बढ़ गयी। वहीं गन्ना, पिपरमेंट की फसलों को यह वर्षा लाभदायक हो सकती है। वहीं सब्जी उत्पादक किसानों के लिए भी यह फायदेमंद ही साबित होगा। किसान राम नंदन सिंह, मुकेश कुमार, अरविंद कुमार, दीपक कुमार, सुख चैन साह, श्याम महतो, शंभू पासवान, उमाशंकर महतो आदि ने बताया कि सीजन की हुई पहली वर्षा से आम, लीची, परवल, भिंडी, करैला सहित अन्य सब्जियों के साथ साथ पशु चारा को लाभ पहुंचा है। किसानों को इन फसलों की सिंचाई करने से मुक्ति मिल गई तथा इसमें लगने वाले खर्च की बचत हो गई है। जमकर बरसे बादल, गेहूं की फसल को भारी नुकसान किसानों के चेहरे पड़े पीले असमय वर्षा से मक्का व गर्मा फसल को छोड़ अन्य फसलों को हुआ नुकसान खोदावन्दपुर, निज प्रतिनिधि। इस क्षेत्र में गुरूवार को तेज हवा के साथ जमकर हुई बारिश के कारण गेहूं की कटाई हुई फसल समेत खेत में लगी हुई फसल गिरकर बर्बाद हो गए। इससे किसानों के चेहरे पीले पङ गए हैं। सैकड़ों एकङ में लगी गेहूं की तैयार फसल के गिरकर बर्बाद होने व खलिहान में थ्रेसरिंग के लिए रखे हुए गेंहूं के भीग जाने से किसानों का सपना चकनाचूर हो गया है। वहीं भूसा के भीग जाने से पशु चारा की समस्या उत्पन्न होगी। इसके साथ ही मक्का व गर्मा फसल को छोड़कर अन्य रबी फसल, सब्जी की फसल व आम तथा लीची का काफी नुकसान हुआ है। कृषि विज्ञान केंद्र खोदावंदपुर के वरीय वैज्ञानिक सह प्रधान डॉक्टर रामपाल ने बताया कि असमय वर्षा के कारण एक ओर तैयार रबी फसलों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा है, तो वहीं दूसरी ओर गरमा फसल की बुवाई करने वाले किसान के लिए यह वर्षा फायदेमंद है। लेकिन जो किसान इन फसलों की कटाई किसी कारणवश न कर पाए तो वह तत्काल इसे रोक दें और मौसम ठीक होने का इंतजार करें। इसी तरीके से मौसम की स्थिति बनी रही और तेज बारिश होने की स्थिति में खेतों में ज्यादा पानी नहीं लगने दें। तेज हवा के साथ हुई वर्षा के कारण आम व लीची के फसल को काफी नुकसान हुआ है। तेज हवा के कारण आम व लीची के गिरे हुए फलों को नष्ट करें, ताकि अन्य फलों पर कीट और रोग का प्रसार न हो। इस समय आम और लीची दोनों में फल विकास की सक्रिय अवस्था चल रही है। इस समय पर कीट एवं रोगों का प्रकोप अधिक होता है। आम में फल छेदक कीट और एन्थ्रेक्नोज़ रोग से बचाव हेतु डेल्टामेथ्रिन एक मिली प्रति लीटर पानी में मिलाकर मौसम साफ होने पर छिड़काव करें। लीची में पुष्प और फल झड़ाव रोकने व गुणवत्ता सुधार के लिए 1% मोनोपोटैशियम फॉस्फेट एवं 1% पोटैशियम नाइट्रेट का छिड़काव करें। लीची में मैनकोज़ेब 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी का छिड़काव करने से यह फफूंद रोगों से सुरक्षा देता है। किसान मौसम की जानकारी पर नज़र रखें तथा खेत और बागानों की नियमित निगरानी करें। कृषि विज्ञान केंद्र या कृषि विशेषज्ञों से सलाह लेकर खेती का समुचित प्रबंधन करें।
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