तीखी धूप में कठिन परिश्रम करने के बाद नहीं निकल रही पूंज
किसानों ने सब्जी तोड़ने में लगे पैसे निकालना मुश्किल बताया है। भिंडी, नेनुआ, और बोदी जैसी सब्जियों के दाम काफी कम हैं। व्यापारियों द्वारा खेत से सस्ती दर पर सब्जी खरीदकर महंगे दाम पर बेचने से किसानों...

बोले किसान, सब्जी तोड़ने की मजदूरी, बीज, रोपनी, कोढ़नी, सोहनी, सिंचाई पर लगी पूंजी निकालना हो गया है मुश्किल सस्ती दर पर बिक रहे बोदी, भिंडी, नेनुआ, लौकी, करैली, बैगन, टमाटर नदी के तट पर ककरी, खीरा, तरबूज, खरबूज की खेती करनेवाले भी बेहाल खेत व बाजार में प्रति किलो सब्जी की कीमत सब्जी खेत बाजार भिंडी 07 रुपए 20 रुपए नेनुआ 05 रुपए 10 रुपए बोदी 04-6 रुपए 10-20 रुपए पटल 09 रुपए 20 रुपए करैला 10 रुपए 30 रुपए बैगन 10 रुपए 30 रुपए टमाटर 07 रुपए 20 रुपए (पड़ताल/पेज चार की लीड खबर) भभुआ, कार्यालय संवाददाता। तीखी धूप में कठिन परिश्रम के बाद भी सब्जी उत्पादक किसानों की खेतीबारी में लगी पूंजी नहीं निकल पा रही है।
किसानों के खेत से सस्ती दर पर सब्जी खरीदकर व्यापारी या बिचौलिए बाजार में महंगे दाम पर बेच रहे हैं। इस वर्ष सब्जी की फसल का उत्पादन ज्यादा होने से इसकी कीमत में गिरावट आई है। हालांकि टमाटर के दाम में कुछ सुधार हुआ है। बाजार में 20 रुपया में दो किलो बिकनेवाला टमाटर अब 20 रुपए किलो बिक रहा है। लेकिन, भिंडी, करैली, बोदी, पटल, नेनुआ का कोई खास दाम नहीं मिल रहा है। बैगन का दाम कुछ ठीक है। नदी के तट पर तरबूज, खरबूज, ककरी की खेती करनेवाले किसान भी बेहाल हैं। सब्जी उत्पादक रामाश्रय सिंह व प्रदीप मौर्या कहते हैं कि जब पूरबा हवा बहती है तब सब्जी की पैदावार बढ़ जाती है। गर्मी के सीजन में बेहतर दाम मिलने की उम्मीद से हमलोगों ने अपनी जमा पूंजी लगाई। जब उन्हें कमाने का समय आया, तब सब्जी की कीमत नहीं मिल पा रही है। सब्जी इतनी सस्ती हो गई है कि उसे तोड़ने वाले मजदूरों की मजदूरी और बाजार का ढुलाई खर्च भी नहीं निकल पा रहा है। इसलिए जो व्यापारी खेतों में आ रहे हैं, उन्हीं से सब्जी बेच रहे हैं। किसानों ने बताया कि खेत से व्यापारी सात रुपए भिंडी, पांच रुपए नेनुआ, चार से छह रुपए बोदी, नौ रुपए पटल, 10 रुपए बैगन व करैला, सात रुपए टमाटर खरीदकर ले जा रहे हैं। दुकानदार शामू राइन ने बताया कि बाजार में पटल 20 रुपए, करैला व बैगन 30 रुपए, टमाटर व भिंडी 20 रुपए, नेनुआ 10 रुपए, बोदी 10 से 20 रुपए किलो बिक रहा है। पूछने पर उसने बताया कि अढ़तिया के पास सब्जी ज्यादा आ रही है। सब्जी सस्ती होने की वजह से वह भी ज्यादा खरीद ले रहे हैं। लेकिन, सभी सब्जी बिक नहीं पा रही है। थोक विक्रेता कहते हैं कि उत्पादन ज्यादा होने और बाजार में सब्जी ज्यादा पहुंच जाने से इसकी कीमत में गिरावट आई है। किसानों रामएकबाल महतो, कृष्णा सिंह, कृपाशंकर सिंह कहते हैं कि दो से चार माह तक खेतों में पूरे परिवार के साथ मेहनत किए। हर तीसरे दिन सिंचाई की। समय पर कोढ़नी-सोहनी कराई। जब बड़ी मात्रा में सब्जियां निकलने लगीं, तब बाजार नहीं मिलने से हम उसे बेच भी नहीं पा रहे हैं। एक बीघा पर 25 हजार रुपए होते हैं खर्च किसानों प्यारेलाल कुशवाहा व राजधार सिंह बताते हैं कि एक बीघा भूमि में सब्जी की खेती करने के दौरान बीज, कोढ़नी, रोपनी, सोहनी, सिंचाई पर करीब 25 हजार रुपया खर्च हो जाता है। जब सब्जी तैयार होती है तब उसकी तोड़ाई की मजदूरी और बाजार तक ढुलाई करने पर भी खर्च करना पड़ता है। लेकिन, बाजार में उसकी कीमत नहीं मिल पाती। इसलिए निराशा होता है। ऐसे में परिवार का खर्च चलना मुश्किल हो रहा है। मूल लागत निकालना भी मुश्किल किसान नवलेश सिंह बताते हैं कि बाजार के हालात को देख अब उनकी चिंता मुनाफा कमाने की नहीं, मूल लागत किसी तरह निकलने की है। लेकिन, ऐसा होगा लगता नहीं है। जिस फसल की उपज के लिए दिन-रात मेहनत किए, वही फसल अब उनके सामने बेकार हो रही है। इसे देखकर वह कुछ भी नहीं कर पा रहे हैं। कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान तो उन्हें हरी सब्जियां मवेशियों को खिलानी पड़ी थी। समूह बनाकर खेती करें किसान लाभ होगा कृषि वैज्ञानिक डॉ. अमित कुमार सिंह कहते हैं कि अगर किसान समूह बनाकर खेती करें, तो उत्पाद की अच्छी कीमत मिल सकेगी। भिन्न-भिन्न तरह की खेती करने और उसे बाजार में उतारने से उसका मूल्य अच्छा मिलता है। एक ही तरह की ज्यादा भूमि में खेती करने से बाजार भाव कम हो जाता है। सरकार भी समूह बनाकर खेती करनेवाले किसानों को प्रोत्साहित कर रही है। कोई समूह हरी मिर्च तो कोई भिंडी और कोई नेनुआ, बोदी की खेती करे। फाटो- 19 मई भभुआ- 4 कैप्शन- शहर के सब्जी मंडी पथ में सोमवार को सब्जी की खरीदारी करतीं महिलाएं।
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