कोइलार की साग खाकर सेहत बना रहे हैं अधौरा के वनवासी
अधौरा में कोइलार साग की उपज होती है, जो स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है। यह साग गर्मी में एक बार उगता है और इसमें आयरन, फाइबर, विटामिन्स और मिनरल्स होते हैं। आदिवासी इसे खाने में पसंद करते हैं। इसके...

इस साग के बारे में समतल क्षेत्र के लोगों को पता नहीं, वनवासी खाते हैं खूब कोइलार साग में खूब पाए जाते हैं आयरन, फाइबर, विटामिन्स और मिनरल्स (हिन्दुस्तान खास/पेज चार की फ्लायर खबर) अधौरा, एक संवाददाता। कैमूर के अधौरा में एक ऐसी साग की उपज होती है, जिसके बारे में बहुत कम ही लोगों को पता है। यह साग न सिर्फ खाने में स्वादिष्ट है, बल्कि सेहत के लिए भी लाभदायक है। यह साग साल में सिर्फ एक बार गर्मी में उपजती है। इसे अधौरा में कोइलार व झारखंड में कोइनार के नाम से जाना जाता है। वनवासी इसे सेहत का खजाना मानते हैं।
इस साग में कई पोषक तत्व होते हैं। कई बीमारियों से मुक्ति दिलाने वाले इस साग को खासकर आदिवासी बड़े चाव से खाते हैं। बड़गांव खुर्द के बंधुलाल उरांव व चोरपनिया के जेठु मुसहर बताते हैं कि यह साग खेतों में नहीं, जंगल में उपजती है। इसके पौधों को वन विभाग ने सड़कों के किनारे रोपा है, जो पेड़ बन गए हैं। इस पेड़ की लंबाई करीब 20 फुट होती है। पेड़ पर चढ़कर तोड़ने में काफी दिक्कत होती है। कुछ लोग लग्घी से इसे तोड़ते हैं। इसके कोमल पत्ता को ही साग के रूप में पकाते हैं। यह कोमल पत्ता अंतिम छोर पर होता है। बंधु लाल ने बताया कि पिछले वर्ष पेड़ से कोइलार के कोमल पत्ता को तोड़ने में उसके गांव के 40 वर्षीय बबन यादव की मौत हो गई थी। खरकी की कुमारी देवी व धेनुआ के सुरेंद्र खरवार ने बताया कि चौलाई, पालक, चना, बेसारी, खेसारी, बथुआ, सरसो से भी अच्छा स्वाद होता है। पूछने पर कुमारी देवी ने बताया कि पहले इसे पानी में उबालते हैं। फिर जीरा, लहसुन, प्याज, हरी मिर्च का छौकन देकर कोइलार के उबले पत्तों को डालते हैं। इसमें टमाटर भी डाल सकते हैं। पानी सूखने तक भूनते हैं। फिर इसे खाते हैं। इसका सूप भी पी सकते हैं। क्या कहते हैं आयुर्वेदाचार्य आयुर्वेदाचार्य अखंडानंद बताते हैं कि कोइलार के पत्तों में शुगर को कम करने की क्षमता होती है। मधुमेह रोगी इसे खा सकते हैं। इसमें आयरन, फाइबर, विटामिन्स, मिनरल्स पाए जाते हैं। गर्मी में शरीर व पेट को ठंडक देता है। पाचन ठीक करता है। आयरन की कमी को दूर करता है। दिल को स्वस्थ रखता है। डायबिटीज, हार्ट डिजीज, कैंसर के खतरे को कम करता है। कब्ज की दिक्कत नहीं होती। खून साफ करता है और त्वचा में निखार लाता है। रोगों से लड़ने की ताकत बढ़ाता है। इन जंगलों में हैं कोइलार के पेड़ ओखरगाड़ा के रामजन्म सिंह बताते हैं कि अधौरा में 80 प्रतिशत लोग मजदूर वर्ग के हैं। गर्मी के इस मौसम में काम नहीं मिल रहा है। पैसों का अभाव बना रहता है। ऐसे में हरी सब्जी खरीदकर खाना मुश्किल होता है। अधौरा के मड़आट, बिचला चाप, वियाहदर, कंजियारी खोह, धारूखोह आदि जंगलों में पाया जाता है। एक घर के लोग दो-ढाई किलो कोइलार के कोमल पत्तों को तोड़कर ले जाते हैं। इसका पत्ता थोड़ा कड़ा होता है, पर इसमें विटामिन सी मिलती है, जिससे हमलोगों की आंख की रोशनी ठीक रहती है। यही कारण है कि बुढ़ापे में भी हमारी आंख पर चश्मा नहीं चढ़ता है। फोटो- 19 मई भभुआ- 3 कैप्शन- अधौरा के जंगल में सोमवार को कोइलार के पेड़ पर चढ़कर उसका कोमल पत्ता तोड़तीं महिलाएं।
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