Water Crisis in Adhaura Villagers Rely on Deep Borewells Amid Broken Hand Pumps अधौरा बाजार व गांव के अधिकतर चापाकल हो गए बंद, Bhabua Hindi News - Hindustan
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अधौरा बाजार व गांव के अधिकतर चापाकल हो गए बंद

अधौरा में जल संकट के कारण ग्रामीण और दुकानदार पानी लाने के लिए साइकिल और ठेले का उपयोग कर रहे हैं। अधिकांश सरकारी चापाकल खराब हो चुके हैं और समरसेबुल भी बंद हो रहे हैं। ग्रामीणों को 600-700 फुट गहरे...

Newswrap हिन्दुस्तान, भभुआWed, 23 April 2025 09:26 PM
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अधौरा बाजार व गांव के अधिकतर चापाकल हो गए बंद

छह से सात सौ फुट पाइप गलानेवाले लोगों के समरसेबुल से ही मिल रहा पानी साइकिल, ठेला व अन्य सुविधाओं से दूर जाकर पानी ला रहे ग्रामीण व दुकानदार (बोले भभुआ) अधौरा, एक संवाददाता। अधौरा बाजार व गांव ही नहीं सरकारी दफ्तरों के अधिकतर चापाकल खराब हो गए हैं। इन चापाकलों से पीने के लिए पानी नहीं मिल पा रहा है। ग्रामीणों के घरों में लगे समरसेबल भी एक-एक कर बंद होने लगे हैं। जिन लोगों ने 600-700 फुट पाइप धंसाकर समरसेबुल स्थापित किया है, उन्हीं के घर पानी मिल पा रहा है। ऐसे में ग्रामीणों व कारोबारियों को काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है। वह साइकिल, ठेला व अन्य संसाधन से दूर जाकर पानी ला रहे हैं। मिली जानकारी के अनुसार, अधौरा बाजार व गांव में 30-35 चापाकल गाड़े गए हैं। यादव टोला में चार में से एक, बस स्टैंड का दोनों, प्रखंड कार्यालय परिसर के पांच में से एक, पीएचईडी कार्यालय परिसर के दो में से एक, विद्युत बोर्ड, पीएचसी, बीएमपी कैंप में पांच में से विद्युत कार्यालय व पीएचसी में एक-एक, चरवाहा विद्यालय का दोनों चापाकल, वनवासी सेवा केंद्र पथ के दोनों चापाकल, मुख्य बाजार के तीनों चापाकल बंद है। इन चापाकलों की मरम्मत नहीं कराई जा रही है, जिससे परेशानी हो रही है। अधौरा के सरदार सिंह, मुरली जायसवाल, दिल्लू मियां, नफजल अंसारी, रूस्तम मियां, संजय जायसवाल, अरबिंद कुमार, संतोष साह, मनोज साह, रामनाथ साह आदि ग्रामीणों के घरों का समरसेबुल बंद हो गया है। इन ग्रामीणों ने बताया कि इस वर्ष ज्यादा परेशानी हो रही है। अभी मई व जून की गर्मी बाकी है। अधौरा जंगल व पहाड़ से घिरा है। उन्हीं ग्रामीणों का समरसेबुल चल रहा है, जिन्होने छह-सात सौ पाइप धंसाकर समरसेबुल लगवाया है। कुआं व पीएचईडी परिसर से ला रहे हैं पानी अधौरा के कारोबारी अशोक कश्यप, रामनाथ साह, मुन्ना सेठ, ग्रामीण बलवंत यादव, तबरेज अंसारी, सुरेंद्र उरांव ने बताया कि बाजार व गांव का चापाकल बंद हो जाने से उन्हें ठेला, बोलेरो, साइकिल से पीएचईडी कार्यालय परिसर के बोरिंग व झड़पा कुआं अथवा वैसे व्यक्ति के घर से पानी ला रहे हैं, जिन्होंने छह-सात सौ फुट पाइप गलाकर समरसेबुल लगवाया है। रामनाथ साह ने बताया कि वह अपनी बोलेरो से झड़पा कुआं के पास से पानी लाते हैं। गर्मी के मौसम में हर साल उन्हें जल संकट का सामाना करना पड़ता है। नदी-नाले सूख जाते हैं। जलस्तर खिसका जाता है। यही कारण है कि यहां के अधिकतर पशुपालक अपने मवेशियों के साथ पलायन कर जाते हैं। जिनके घरों में ज्यादा पुरुष सदस्य नहीं हैं, उन्हीं के घर मवेशी रह गए हैं। वह भी अपने मवेशियों को जैसे-तैसे रख रहे हैं। फोटो- 23 अप्रैल भभुआ- 1 कैप्शन- अधौरा में परती जमीन के बीच से गुजरी इसी नाली के पास बुधवार को घास खाते मवेशी। इस गंदे पानी पीते हैं मवेशी।

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