भारत में घुसे बांग्लादेशी बने सिरदर्द, परिजन पहचानने से कर रहे इनकार; कड़ी सुरक्षा में घुसपैठिये
बांग्लादेश और भारत के बीच हाल में बढ़े तनाव के बाद बॉर्डर पर सख्ती बढ़ी तो बंग्लादेशी किसी तरह से नेपाल पहुंचने के बाद भारत-नेपाल की खुली सीमा से घुसपैठ की कोशिश कर रहे हैं। इंडो-नेपाल बॉर्डर घुसपैठियों का महफूज रास्ता माना जाता है।

भारतीय क्षेत्र में प्रवेश करने वाले बांग्लादेशी नागरिक को उनके घरवाले ही अब पहचानने से इनकार कर रहे हैं। आधे दर्जन से अधिक बांग्लादेशी नागरिक को नाम-पता का सत्यापन नहीं होने के कारण लंबे समय से संसीमन वार्ड में रखना पड़ रहा है। सुरक्षा के लिहाज से ऐसे बंदियों पर कड़ी निगरानी रखी जाती है। बांग्लादेश दुश्मन देश की श्रेणी में नहीं आता है। इस वजह से पकड़े गए नागरिक सिर्फ घुसपैठिये के दायरे में आते हैं।
पिछले 18 महीने से पूर्णिया के केंद्रीय कारा के संसीमन वार्ड में बंद तीन बांग्लादेशी नागरिक के नाम-पता का सत्यापन नहीं हो पाया है। गिरफ्तारी के बाद ही दूतावास के माध्यम से बांग्लादेशी नागरिक द्वारा बताए गए पते की जानकारी भेजी गई थी पर कोई जवाब नहीं मिलने से यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि वह व्यक्ति बांग्लादेशी है या नहीं। परिवारवाले स्पष्ट रूप से परिजन नहीं होने की बात से भी इनकार करते हैं। कई बंदियों के परिजन कई तरह का बहाना भी बनाते हैं। इस वजह से लंबे से मामला अधर में लटका हुआ है।
अब दूतावास दोबारा रिमांडर भेजने की तैयारी में है। जब तक उसकी नागरिकता नहीं तय होगी, कानूनी रूप से उसके निकलने का रास्ता साफ नहीं होगा। कई ऐसे बांग्लादेशी नागरिक हैं जो सही तरीके से हिन्दी या बांग्ला भी नहीं बोल पा रहे हैं। इस वजह से भी कई तरह के तकनीकी पेच हैं। विदेशी नागरिक को रखने के लिए उच्च सुरक्षा के बीच जेल प्रांगण में ही संसीमन वार्ड बनाया जाता है। ऐसे बंदियों की विशेष रूप से देखभाल की जाती है। इन बंदियों की मॉनिटरिंग स्थानीय न्यायालय और गृह मंत्रालय से होती है। पूर्णिया केंद्रीय कारा में नौ विदेशी नागरिक हैं।
इनमें बांग्लादेश के चार, सूडान के तीन, म्यांनमार के एक और एक नाइजीरियन नागरिक लंबे समय से संसीमन वार्ड में बंद हैं। पकड़े गए एक भी विदेशी नागरिक के पास से वैध वीजा और पासपोर्ट की बरामदगी नहीं हो पाई है।
इंडो-नेपाल के रास्ते करते हैं भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ
बिहार से सटे पश्चिम बंगाल में बांग्लादेश का बॉर्डर सटता है। अक्सर बांग्लादेशी नागरिक बिहार के सीमाई इलाके से पकड़ाते रहते हैं। पाकिस्तनी नागरिक के पकड़ाने पर इसे दिल्ली भेजा जाता है। बांग्लादेश और भारत के बीच हाल में बढ़े तनाव के बाद बॉर्डर पर सख्ती बढ़ी तो बंग्लादेशी किसी तरह से नेपाल पहुंचने के बाद भारत-नेपाल की खुली सीमा से घुसपैठ की कोशिश कर रहे हैं। इंडो-नेपाल बॉर्डर घुसपैठियों का महफूज रास्ता माना जाता है। पिछले 10 साल के आंकड़ों पर गौर करें तो इंडो-नेपाल बॉर्डर से अलग-अलग देशों के 42 से अधिक नागरिक की गिरफ्तारी हो चुकी है।
मनोज कुमार, केंद्रीय कारा अधीक्षक, पूर्णिया, ने कहा कि विदेशी नागरिक की गिरफ्तारी के बाद उसे संसीमन वार्ड में रखा जाता है। नाम-पता नोट कर गृह मंत्रालय के माघ्यम से सबंधित देश के दूतावास को भेजकर सत्यापन करवाया जाता है। पता का सत्यापन नहीं होने के कारण कई विदेशी नागरिक लंबे से संसीमन वार्ड में बंद हैं।
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