बोले भागलपुर: बाबा वृद्धेश्वर नाथ मंदिर का विकास और जीर्णोद्धार हो
भागलपुर का बाबा बूढ़ानाथ मंदिर आज भी विकास और साफ-सफाई की कमी से जूझ रहा है। स्थानीय लोगों और श्रद्धालुओं ने मंदिर के आसपास की समस्याओं और उचित सुविधाओं की मांग की है। प्रशासनिक स्तर पर इस प्राचीन...
भागलपुर का बाबा वृद्धेश्वर नाथ मंदिर आज भी सरकार और प्रशासनिक स्तर पर विकास कार्य और जीर्णोद्धार से अछूता है। किसी सरकार या जनप्रतिनिधियों ने देश की कई प्रसिद्ध मंदिरों की तरह इसके विकास कार्य और पर्यटन स्थल के रूप में जोड़ने की पहल नहीं की। इसके कारण त्रेता युगीन और महर्षि वशिष्ठ द्वारा प्राण-प्रतिष्ठित किए बाबा बाल वृद्धेश्वर नाथ शिवलिंग के काफी पुराने मंदिर को आज भी सांस्कृतिक विकास की मुख्यधारा में जोड़े जाने का इंतजार है। इसकी पहचान काफी प्राचीन है और भागलपुर समेत पूरे अंग प्रदेश और आसपास के इलाकों से लोग यहां पूजा-अर्चना करने के लिए आते हैं। जिले का बूढ़ानाथ मंदिर बहुत प्रसिद्ध है। इस मंदिर के विकास और पर्यटन स्थल के रूप में न तो सरकार और न ही जनप्रतिनिधियों ने आज तक कोई पहल की। देश के कई ज्योतिर्लिंग और मंदिरों के साथ धार्मिक स्थलों को विकास की मुख्यधारा से जोड़ा गया। जिसका लाभ मंदिर प्रबंधन और स्थानीय लोगों के साथ दूरदराज से आने वाले श्रद्धालुओं को मिल रहा है। लेकिन बूढ़ानाथ मंदिर आज भी उस मुकाम को हासिल नहीं कर सका। बात अगर मंदिर समेत इसके आसपास के समस्याओं की करें तो यहां समस्याओं का अंबार दिखाई देता है।
इसको लेकर बाबा वृद्धेश्वर नाथ मंदिर के प्रबंधक बाल्मीकि सिंह ने बताया कि जर्जर भवन के साथ मंदिर और आसपास की सुरक्षा व्यवस्था, मंदिर के शिवलिंग पर चढ़ाए जाने वाले जल के निकासी की पर्याप्त व्यवस्था नहीं होने के अलावा भी कई समस्याएं हैं। उन्होंने बताया कि सबसे पहले बूढ़ानाथ मंदिर के पास स्थायी पुलिस चौकी की व्यवस्था होनी चाहिए। वर्ष 2000 में तत्कालीन आईजी आरके कटारिया द्वारा भागलपुर में एक हवलदार और चार पुलिसकर्मियों समेत पांच सदस्यों की टीम की नियमित तैनाती की गई थी। लेकिन पिछले कुछ समय से यह व्यवस्था समाप्त कर दी गई है। उन्होंने बताया कि शिवरात्रि और सावन महीना के समय श्रद्धालुओं की भारी भीड़ की संभावनाओं को देखते हुए स्थिति को संभालने के लिए पुलिस प्रशासन से पर्याप्त पुलिसबल की तैनाती की मांग की जाती है। लेकिन इसके अलावा सुरक्षा की कोई व्यवस्था जिला या पुलिस प्रशासन की ओर से नहीं रहती है। स्थानीय लोगों के साथ लग्न के समय शादी विवाह के लिए लोग हजारों की संख्या में सालों से यहां आते हैं, जबकि सालों भर विवाह और अलग-अलग पूजन के साथ धार्मिक आयोजन भी यहां चलता रहता है।
पूर्वी बिहार के महत्वपूर्ण शिवालयों में शामिल बूढ़ानाथ मंदिर प्रबंधन द्वारा स्थानीय लोगों, श्रद्धालुओं, विवाह और नाम मात्र के रूम किराया से प्राप्त राशि से मंदिर का विकास कार्य कराया जाता है। उन्होंने बताया कि भागलपुर के जिलाधिकारी डॉ. नवल किशोर चौधरी ने मंदिर के प्रसिद्धि को देखते हुए विकास और निर्माण कार्य से संबंधित जानकारी मंदिर प्रबंधन से मांगी थी, जिससे उनलोगों को जिला प्रशासन के स्तर से सकारात्मक पहल की उम्मीद है। वहीं नगर निगम प्रशासन द्वारा अपेक्षित सहयोग मिलने की बात करते हुए मंदिर प्रबंधक ने बताया कि समाहरणालय परिसर के समीप शिक्षा विभाग कार्यालय के पास बूढ़ानाथ मंदिर की जमीन पर नगर निगम द्वारा शौचालय निर्माण कराया गया, लेकिन आरटीआई से प्राप्त जानकारी के आधार पर नगर निगम प्रशासन ने स्वीकार किया कि शौचालय निर्माण करायी गयी जमीन उसकी नहीं है। इसके अलावा जोगसर थाना के पास भी मंदिर की जमीन के आगे के हिस्से में कुछ लोगों द्वारा अतिक्रमण किया गया है, जिसे प्रशासन द्वारा मुक्त कराया जाना चाहिए।
समस्याएं
1. नगर निगम प्रशासन की ओर से साफ-सफाई की कोई व्यवस्था नहीं है। आसापास फैला है कूड़े का अंबार।
2. मंदिर के पानी निकासी का नाला वर्षों से जाम होने के कारण दुर्गंध होती है।
3. मंदिर से उत्तर गंगा किनारे वैकल्पिक मार्ग के रूप में पुल बनाया गया जो जर्जर अवस्था में पड़ा है।
4. सालों भर मंदिर में पूजा करने आने वाले श्रद्धालुओं को कूड़ा और गंदगी के कारण परेशानी होती है।
5. मंदिर आने वाले मुख्य मार्ग में अतिक्रमण होने से श्रद्धालुओं और प्रबंधन की परेशानी बढ़ जाती है।
सुझाव
1. बूढ़ानाथ मंदिर को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करना चाहिए।
2. मंदिर और आसपास के क्षेत्र में साफ-सफाई की नियमित व्यवस्था होनी चाहिए।
3. सुरक्षा की दृष्टि से बूढ़ानाथ मंदिर के पास स्थायी पुलिस चौकी बनाया जाय।
4. मंदिर प्रवेश के वैकल्पिक मार्ग पर जर्जर पुल को तोड़कर नया पुल बनाया जाय।
5. मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं और अन्य लोगों के लिए पार्किंग की व्यवस्था होनी चाहिए।
मंदिर को सरकार पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करे
बाबा बूढ़ानाथ मंदिर न्यास के महंथ शिवनारायण गिरी ने बताया कि वृद्धेश्वरनाथ शिवलिंग महत्वपूर्ण लिंगों में शामिल है। इसकी स्थापना भगवान राम के कुल गुरु महर्षि वशिष्ठ ने पूरे विधि विधान से की थी। उन्होंने बताया कि शिवोपासना का प्रयास अंग जनपदीय क्षेत्र में प्राक काल में ही हो गया था। अंग क्षेत्र में इस शिवलिंग से जुड़ी परंपरा काफी प्राचीन रही है। भागलपुर के गंगा तट पर बाल वृद्धनाथ की प्रतिष्ठा गुरु वशिष्ठ के द्वारा त्रेता युग में होने की बात बताई जाती है।
धर्म शास्त्रों के अनुसार भगवान शिव को सर्वनियंता और सर्व शक्तिमान कहा गया है, जिनमें संपूर्ण सृष्टि निहित है। उन्हें बालवृद्ध नाथ या बाल वृद्धेश्वर नाथ भी कहा गया है। शिव पुराण के तृतीय शतरुद्र संहिता में भी इसकी चर्चा है। जिसका अपभ्रंश बूढ़ानाथ नाम के रूप में प्रचलित है। उन्होंने बताया कि बाल वृद्ध सभी समान फल के अधिकारी हैं और बाल वृद्धनाथ का ही नाम कालांतर में वृद्धेश्वर नाथ एवं अपभ्रंश होकर बूढ़ानाथ हो गया। सरकार से उन्होंने इस प्राचीन मंदिर के जीर्णोद्धार और पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की मांग की है।
वैकल्पिक मार्ग वाले जर्जर पुल का हो पुनर्निर्माण
बाबा बूढ़ानाथ मंदिर के प्रबंधक बाल्मीकि सिंह ने बताया कि बाबा वृद्धेश्वरनाथ मंदिर जो बाबा बूढ़ानाथ मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यहां शिवरात्रि, सावन माह और लग्न के मौसम में श्रद्धालुओं की काफी भीड़ जुटती है। जबकि सालों भर पूजन या किसी धार्मिक आयोजन के साथ विवाह संबंधित बातों के लिए इस मंदिर में लोगों के आने का सिलसिला जारी रहता है। उन्होंने बताया कि भागलपुर नगर निगम प्रशासन की लापरवाहियों के कारण बूढ़ानाथ मंदिर का विकास कार्य आगे नहीं बढ़ पाता है। नगर निगम प्रशासन को मंदिर प्रबंधन द्वारा कई बार आवेदन देकर जर्जर पुल को ध्वस्त कर पुनर्निर्माण कराने और साफ-सफाई की व्यवस्था सुनिश्चित कराने की मांग की गई। कभी भी यह पुल गिर सकता है। लेकिन साफ सफाई व्यवस्था समेत किसी प्रकार के विकास कार्य पर ध्यान नहीं जाता है। जबकि टैक्स वसूली के लिए नगर निगम द्वारा मंदिर प्रबंधन पर हमेशा दबाव बनाया जाता है। उन्होंने बताया कि मंदिर के संचालन एवं विकास कार्य के लिए राजस्व प्राप्ति को लेकर मंदिर की जमीन पर डिज्नीलैंड लगाया गया, लेकिन नगर निगम से एनओसी नहीं मिलने के कारण मेला नहीं लग सका।
मंदिर के जल निकासी के लिए व्यवस्था हो
बूढ़ानाथ मंदिर के पुजारी ऋषिकेश पाण्डेय ने बताया कि मंदिर का प्रमाण राजा रोमपाद के समय में मिलता है। यह स्थान त्रेता युग से जुड़ा है। इतने प्राचीन मंदिर के बाद भी इसके विकास कार्य को लेकर प्रशासन की ओर से कोई ध्यान नहीं दिया गया, जो दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने बताया कि बाबा के शिवलिंग पर चढ़ाए जाने वाले जल की निकासी के लिए कोई स्थान या व्यवस्था आज तक नहीं की गई है। इसके कारण पूजा के दौरान बहने वाला जल और अन्य सामग्री मंदिर के पीछे जमा हो जाता है, जिसके कारण काफी दुर्गंध फैलती है। मंदिर के जल निकासी की व्यवस्था नगर निगम को करनी चाहिए। उन्होंने बताया कि सावन महीना, शिवरात्रि और हरेक हिन्दू पर्व त्योहार पर रोजाना हजारों की संख्या में श्रद्धालु जलाभिषेक और पूजन करने मंदिर पहुंचते हैं। बावजूद इसके जल निकासी व्यवस्था नहीं होने के साथ मंदिर के पुराने और कई जगहों पर जर्जर हो चुके भवन के जीर्णोद्धार के लिए काम नहीं किया गया। उन्होंने बताया मंदिर से टैक्स वसूलना नगर निगम प्रशासन का अधिकार है, लेकिन मंदिर के लिए किसी प्रकार की सुविधाओं को उपलब्ध कराना और आम लोगों के हितों को देखते हुए काम करने में नगर निगम प्रशासन की भूमिका सीमित हो जाती है।
मंदिर के समीप नशेड़ियों और असामाजिक तत्वों का जमावड़ा
वार्ड नंबर 18 की पूर्व पार्षद विधु बाला सिंह ने बताया कि कई वर्षों से मंदिर के बाहरी परिसर में नगर निगम द्वारा बनाया गया प्याऊ खराब पड़ा है, जिससे यहां रोजाना आने वाले श्रद्धालुओं के साथ स्थानीय लोगों को भी पानी की काफी दिक्कत होती है। उन्होंने बताया कि मंदिर की जमीन का कहीं भी और किसी तरह से अतिक्रमण करना उचित नहीं है। मंदिर के आसपास पार्किंग की पर्याप्त व्यवस्था नहीं होने से यहां आने वाले को गाड़ी पार्किंग करने में दिक्कत होती है। साफ-सफाई की व्यवस्था भी ठीक नहीं होने के कारण मंदिर से जुड़े लोगों को काफी परेशानी होती है। उन्होंने बताया कि कुछ माह पूर्व बूढ़ानाथ मंदिर जाने वाली सड़क का निर्माण कराया गया। बूढ़ानाथ मंदिर के समीप नशेड़ियों और असामाजिक तत्त्वों का जमावड़ा लगा रहता है। इसपर पुलिस प्रशासन को ध्यान देकर सुरक्षित माहौल सुनिश्चित कराया जाना चाहिए।
इनकी भी सुनिए
मंदिर के बाहर मुख्य नाला की सफाई जरूरी है। नाला की आरसीसी ढलाई करने के साथ उसपर ढक्कन लगाया जाय। पुल को तोड़कर हटा दिया जाय और उसकी जगह पर नया पुल निर्माण कराया जाय। पर्यटन की दृष्टि से मंदिर को सरकार द्वारा विकसित करना चाहिए।
-डॉ. अजय भारती, चिकित्सक
मंदिर में नियमित बिजली की आपूर्ति के लिए सौर ऊर्जा की व्यवस्था की जानी चाहिए। मंदिर आने के रास्ते में अतिक्रमण होने के कारण रिक्शा, टोटो और अन्य वाहनों की भीड़ जुट जाती है, जिससे श्रद्धालुओं और स्थानीय लोगों को परेशानी होती है।
-पंडित शंभु ठाकुर
बाबा बूढ़ानाथ मंदिर काफी पुराना और लोगों की धार्मिक आस्था का केंद्र है। यहां हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं के आने का सिलासिला लगा रहता है। लेकिन सड़क के किनारे अवैध रूप से लगी दुकानों के कारण जाम की स्थिति बन जाती है। इसे प्रशासन द्वारा हटाया जाना चाहिए।
-पिंकी बगेरिया, श्रद्धालु
शिवचर्चा के लिए रोज मंदिर आते हैं लेकिन सफाई व्यवस्था ठीक नहीं होने के कारण महिला मंडली समेत सभी श्रद्धालुओं को दुर्गंध के कारण परेशानी होती है। मंदिर के आसपास में सफाई व्यवस्था दुरुस्त होनी चाहिए।
-मनोरमा सिंह, श्रद्धालु
जिस तरह से मंदिर प्रबंधन पर नगर निगम द्वारा टैक्स वसूली के लिए दबाव बनाया जाता है। उसी प्रकार साफ-सफाई, नियमित कूड़ा उठाव, मंदिर के जर्जर भवन का जीर्णोद्धार और श्रद्धालुओं के लिए जरूरी मूलभूत सुविधाओं की व्यवस्था की जानी चाहिए।
-रूद्र प्रताप सिंह, सहायक प्रबंधक बाबा बूढ़ानाथ मंदिर
शिवरात्रि और सावन महीना के साथ हर हिन्दू पर्व त्योहार पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु जलाभिषेक और पूजन करने मंदिर पहुंचते हैं। बावजूद इसके साफ-सफाई या जल निकासी की स्थाई व्यवस्था नहीं हो सकी है।
-पंडित प्रभाकर मिश्र
भागलपुर के गंगा तट बाल वृद्धनाथ की प्रतिष्ठा गुरु वशिष्ठ के द्वारा त्रेता युग में होने की बात बताई जाती है। बाबा बूढ़ानाथ की महिमा दूर-दूर तक फैली हुई है, जिसके कारण भगलपुर समेत काफी दूर से भी श्रद्धालु मंदिर में जलाभिषेक और पूजा करने आते हैं।
-पंडित रौशन झा
भागलपुर नगर निगम या जिला प्रशासन को स्थानीय और बाहर से दर्शन के लिए मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए मंदिर परिसर के समीप स्थायी पार्किंग की व्यवस्था की जानी चाहिए। इससे दूर दराज से वाहन लेकर आने वाले के वाहन मंदिर के आसपास वाहनों के जाम से राहत मिलेगी।
-विनोद कुमार, लेखपाल बूढ़ानाथ मंदिर प्रबंधन
मंदिर के उत्तरी भाग में स्थित बड़े नाले की सफाई के साथ कूड़े के ढेर की नगर निगम द्वारा ट्रैक्टर ट्रॉली से उठाव कर मंदिर के आसपास स्वच्छ माहौल तैयार करना चाहिए। क्षतिग्रस्त पुल के साथ नाला का भी निर्माण कराया जाना चाहिए। इससे यहां पूजा करने आने वाले श्रद्धालुओं को भी दुर्गंध से राहत मिलेगी।
-पंडित इंदु मोहन चौबे
देश के कई हिस्सों में मंदिर के पंडित और पुजारियों की आर्थिक स्थिति को बेहतर करने के लिए सरकार या स्थानीय प्रशासन की ओर से कई कदम उठाए गए हैं। सरकार और धार्मिक न्यास बोर्ड के प्रयास से भागलपुर बूढ़ानाथ मंदिर को देश के धार्मिक पर्यटन स्थल में शामिल करना चाहिए। इससे भागलपुर के विकास का मार्ग प्रशस्त होगा।
-पंडित शंभुनाथ झा
मंदिर के बाहरी परिसर में कई वर्ष पूर्व वैकल्पिक मार्ग के रूप में प्रशासन द्वारा पैदल पुल बनाया गया था, जिसका उपयोग काफी कम दिनों तक हो सका। यह पुल अब पूरी तरह से जर्जर हो चुका है और उसका मलबा भी टूटकर गिरता रहता है। इसे ध्वस्त कर नया निर्माण कराना चाहिए।
-भैरव मिश्र, पुजारी
अंग क्षेत्र में आस्था का केंद्र है बाबा बूढ़ानाथ मंदिर। यहां श्रद्धालुओं की मन्नत भी पूरी होती है। सरकार को मंदिर के विकास कार्य के लिए आगे आना चाहिए। पंडित, पुजारियों और मंदिर प्रबंधन से जुड़े सदस्यों के लिए भी कोई आर्थिक नीति बनाना चाहिए।
-पंडित राकेश तिवारी
कई बार आवेदन देने के बाद भी बूढ़ानाथ मंदिर के पास नाला और कूड़े की नहीं हुई सफाई
भागलपुर। बाबा बूढ़ानाथ मंदिर में प्रबंधन द्वारा वर्ष 2023 और 2024 में नगर निगम प्रशासन को आवेदन देकर सावन महीना से पूर्व मंदिर के बड़े नाले की सफाई और वर्षों से जमा कूड़े की सफाई कराने की मांग की थी। लेकिन नगर आयुक्त के नाम दिए गए आवेदन के बावजूद नाला उड़ाही और कूड़े की साफ-सफाई की कोई व्यवस्था नहीं कराई गई। इसको लेकर मंदिर के प्रबंधक बाल्मीकि सिंह और पुजारी ऋषिकेश पाण्डेय ने बताया कि साल के कुछ दिनों को छोड़ दें तो प्रतिदिन मंदिर में जलाभिषेक और पूजन के लिए हजारों की संख्या श्रद्धालु बूढ़ानाथ मंदिर पहुंचते हैं। कूड़ा एवं नाला की सफाई के लिए नियमित व्यवस्था नहीं होने के कारण उन सभी के साथ मंदिर आने वाले भक्तों को भी काफी दुर्गंध के कारण परेशानी होती है। पूजा के अलावा करीब सालों भर लोग इस मंदिर में विवाह प्रयोजन के लिए भी पहुंचते हैं। हालांकि शहर और मंदिर के आसपास कई विवाह भवन बन जाने के कारण मंदिर को विवाह से होने वाले आय में पहले से काफी कमी आई है। सरकार को इस प्राचीन एवं प्रसिद्ध मंदिर के विकास कार्य और जीर्णोद्धार के प्रशासनिक स्तर से पहल करनी चाहिए। मंदिर में सुविधाओं के बढ़ने से यहां आने वालों को भी काफी सहूलियत होगी, जिससे प्रशासन को राजस्व की प्राप्ति होगी।
उन्होंने बताया कि जिस तरह से मंदिर प्रबंधन पर नगर निगम द्वारा टैक्स वसूली के दबाव बनाया जाता है, उसी प्रकार साफ-सफाई, नियमित कूड़ा उठाव, मंदिर के जर्जर भवन का जीर्णोद्धार, श्रद्धालुओं के लिए जरूरी मूलभूत सुविधाओं की व्यवस्था, काफी दिनों से खराब पड़ी प्याऊ को ठीक कराने और नियमित रूप से नाला से उड़ाही कर सड़क को भी दुरुस्त करने पर ध्यान केंद्रित करना होगा। ऐसा होने से इसका लाभ मंदिर प्रबंधन और श्रद्धालुओं के साथ नगर निगम और स्थानीय प्रशासन को भी राजस्व की प्राप्ति होगी। बता दें कि मंदिर के ठीक पास नाला जाम है और कूड़ा का ढेर जमा है, जिससे यहां रहने वालों के साथ विभिन्न जगहों से आने वाले श्रद्धालुओं को बीमारी फैलने की संभावना रहती है। बावजूद इसके नगर निगम द्वारा साफ सफाई व्यवस्था पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। मंदिर के मुख्य द्वार के ठीक सामने स्थित हनुमान मंदिर के पीछे पीपल का जर्जर वृक्ष खड़ा है जो कभी भी धाराशाई हो सकता है, जिससे हनुमान मंदिर को भी भारी क्षति होने की संभावना है। इसको देखते हुए वन विभाग द्वारा इस जर्जर वृक्ष को यहां से काटकर हटाना आवश्यक है। इसके अलावा मंदिर का मुख्य द्वार काफी पुराना और कमजोर होने के साथ उसका ऊपरी भाग भी वर्षों से जर्जर अवस्था में है जिसकी मरमत या नवनिर्माण कराने की जरूरत है। मंदिर के उत्तरी भाग में गंगा किनारे बने जर्जर पैदल पथ पुल को तोड़ना आवश्यक है, जिससे आने वाले दिनों में इसके टूटकर गिरने से होने वाली क्षति को टाला जा सके। साथ ही नए पुल का निर्माण कर मंदिर के वैकल्पिक को चालू कराने से श्रद्धालु को गंगा दर्शन और मंदिर में प्रवेश के लिए एक और मार्ग की सुविधा मिलेगी। साथ ही मंदिर और आसपास के इलाके में बिजली की समस्या से राहत के लिए सोलर लाइट की व्यवस्था करने की मांग मंदिर प्रबंधन द्वारा की गई है।
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