Bihar s Sudhi Community Demands Inclusion in OBC Category for Equal Rights and Opportunities बोले मुंगेर : शहर में व्यवसायियों को मिले सुरक्षा, अवैध कब्जा हटाएं, Bhagalpur Hindi News - Hindustan
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बोले मुंगेर : शहर में व्यवसायियों को मिले सुरक्षा, अवैध कब्जा हटाएं

बिहार के मुंगेर जिले में सूढ़ी समाज ने अपने सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक पिछड़ेपन पर चर्चा की। इस समाज के 75% लोग गरीबी में जीवन बिता रहे हैं और सरकारी सेवाओं में केवल 1% भागीदारी है। लोग सरकार से अति...

Newswrap हिन्दुस्तान, भागलपुरTue, 22 April 2025 11:17 PM
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बोले मुंगेर : शहर में व्यवसायियों को मिले सुरक्षा, अवैध कब्जा हटाएं

देश की लोकतांत्रिक संरचना में सभी वर्गों को समान अधिकार और अवसर देने की बात कही गई है, किंतु आज भी समाज के कई हिस्से ऐसे हैं जिन्हें समुचित प्रतिनिधित्व, सुरक्षा और अधिकार नहीं मिल पा रहे हैं। बिहार के मुंगेर जिले में सूढ़ी समाज की स्थिति इसका एक ज्वलंत उदाहरण है। हिन्दुस्तान के जमालपुर में आयोजित संवाद के दौरान सूढ़ी समाज के लोगों ने अपने सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक पिछड़ेपन पर गंभीरता से चर्चा की। अपनी समस्याएं बताईं और सरकार से अपने अधिकारों की मांग की।

75 हजार है मुंगेर जिले में सूढ़ी जाति की कुल जनसंख्या

01 फीसदी है इस समाज के लोगों की सरकारी सेवा में हिस्सेदारी

75 फीसदी सूढ़ी जाति के लोग आज गरीबी का जीवन जी रहे

मुंगेर जिले में सूढ़ी समाज की आबादी लगभग 75,000 है, जिसमें से करीब 8,000 लोग केवल मुंगेर मुख्यालय सहित सदर प्रखंड क्षेत्र में निवास करते हैं। यह समाज मुख्य रूप से व्यवसायिक गतिविधियों से जुड़ा रहा है, लेकिन वर्तमान में इस समाज के 75 प्रतिशत लोग आर्थिक रूप से कमजोर हैं। समुचित शिक्षा भी ग्रहण नहीं कर पा रहे हैं। समाज के युवाओं में समुचित शिक्षा के अभाव के कारण इस जाति लोगों की सरकारी सेवा में भागीदारी मात्र 1 प्रतिशत है।

संवाद के दौरान सूढ़ी समाज के लोगों ने बताया कि सूढ़ी समाज शिक्षा, रोजगार, प्रशासनिक सुरक्षा और सामाजिक प्रतिनिधित्व के मामले में काफी पिछड़ा हुआ है। पूंजी के अभाव और व्यवसायिक असुरक्षा के कारण कई लोग आजीविका की तलाश में अन्य राज्यों में पलायन कर चुके हैं। वहीं, स्थानीय स्तर पर जो लोग अपने व्यवसाय को आगे बढ़ा रहे हैं, वे अपराध और प्रशासनिक उपेक्षा के शिकार हो रहे हैं। पलायन करने वाले लोगों की संपत्तियों पर अपराधियों द्वारा कब्जा कर लिया गया है और प्रशासन की ओर से कोई ठोस सहयोग नहीं मिल रहा है।

वर्गीकृत नहीं होने की चुनौती:

उन्होंने बताया कि सूढ़ी समाज वैश्य जाति की 52 उपजातियों में से एक है। विडंबना यह है कि वैश्य समाज की अन्य उपजातियों को तो अति पिछड़ा वर्ग में शामिल कर लिया गया है, लेकिन सूढ़ी समाज अब तक इससे वंचित है। इसका असर समाज के युवाओं पर पड़ा है। उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए नामांकन में और सरकारी नौकरी में हमारे समाज को वर्ग आधारित आरक्षण का लाभ नहीं मिल पाता है। कई छात्र 1 या 2 अंकों के अंतर से अवसर से वंचित रह जाते हैं।

अतिपिछड़ा वर्ग में शामिल किया जाए :

लोगों ने कहा कि सूढ़ी समाज को अति पिछड़ा वर्ग में शामिल किया जाए ताकि उन्हें शिक्षा, रोजगार और सामाजिक सुरक्षा में बराबरी का हक मिल सके। प्रशासनिक स्तर पर समाज के व्यवसायियों के लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जाएं, ताकि वे अपने गृहनगर में सुरक्षित रहकर देश एवं समाज के विकास में भागीदार बन सकें। उन्होंने जिले से पलायन कर गए लोगों की संपत्तियों से अवैध कब्जा हटाने में प्रशासनिक सहयोग की भी मांग की है।

8 जून को पटना में संगठन का होगा महासम्मेलन

अखिल भारतीय सूढ़ी (वैश्य) संगठन के प्रमंडलीय संयोजक अनिल वैद्य ने बताया कि सूढ़ी जाति को अति पिछड़ा में शामिल करने की चिरप्रतीक्षित मांग को लेकर अखिल भारतीय सूढ़ी (वैश्य) संगठन संपूर्ण बिहार में लोगों को जागृत कर दिनांक 8 जून को पटना स्थित बापू सभागार में महासम्मेलन आयोजित कर रहा है। साईं शंकर ने बताया कि समाज में शिक्षा का स्तर बहुत कम है जिसे उच्च शिक्षा और प्रतियोगी परीक्षा में सफलता की दर न्यूनतम हो रही है। जमालपुर बाजार में सड़क पर सब्जी की दुकानें और ठेले खड़े रहने से जाम लगा रहता है। प्रशासन द्वारा अतिक्रमण हटाने के लिए कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जाती है, जिससे समस्या बनी रहती है। जर्जर सड़क, अतिक्रमण जलमाव की समस्या बनी रहती है। इस वजह से व्यावसायिक गतिविधियां बुरी तरह प्रभावित हो रही है। व्यवसाइयों की सुरक्षा के लिए शहर में सीसीटीवी की भी व्यवस्था नहीं है। टैक्स के अनुरूप व्यापारियों को सुविधा दी जानी चाहिए। वहीं उन्होंने कहा कि व्यवसायियों और प्रवासी परिवारों की संपत्ति को अपराधियों से मुक्त करने की ठोस कार्रवाई हो साथ ही पंचायत नगर निकाय और जिला स्तर पर समाज के प्रतिनिधित्व को बढ़ावा दिया जाए ताकि उनकी आवाज सुनी जा सके। सरकार टैक्स के अनुरूप हम व्यवसाईयों को कोई सुविधा नहीं दे रही है। नगर परिषद के द्वारा ना तो जाम की समस्या से निजात दिलायी गयी और ना ही गाड़ी पार्किंग के लिए कोई ठोस पहल की गई। ऐसे में, आज आवश्यकता है कि, सरकार अतिपिछड़ा श्रेणी में इस समुदाय को शामिल कर उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति को सशक्त बनाए, ताकि यह समुदाय भी विकास की मुख्यधारा में आ सके।

शिकायत

1. समाज में शिक्षा का स्तर बहुत कम है, जिससे उच्च शिक्षा और प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता की दर न्यूनतम है।

2. आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण युवाओं के पास न रोजगार है और न ही स्वरोजगार के संसाधन।

3. समाज के व्यापारी अपराधियों के निशाने पर हैं और प्रशासन से उन्हें समुचित सुरक्षा नहीं मिलती।

4. बेहतर आजीविका और सुरक्षा के अभाव में समाज के लोग दूसरे राज्यों में पलायन करने को मजबूर हैं।

5. वैश्य समाज की अन्य उपजातियों को अति पिछड़ा वर्ग में शामिल किया गया है, लेकिन सूढ़ी समाज अब भी इससे वंचित है, जिससे आरक्षण का लाभ नहीं मिल पा रहा।

सुझाव:

1. सूढ़ी समाज को अति पिछड़ा वर्ग में शामिल किया जाए, ताकि समाज के युवाओं को शिक्षा और रोजगार में आरक्षण का लाभ मिल सके।

2. शैक्षणिक संस्थानों में विशेष सहायता योजना लागू हो। इसके तहत समाज के छात्रों को छात्रवृत्ति, कोचिंग और शिक्षा सामग्री उपलब्ध कराई जाए।

3. पूंजी और प्रशिक्षण देकर समाज के लोगों को व्यवसाय के लिए प्रोत्साहित किया जाए।

4. व्यवसायियों और प्रवासी परिवारों की संपत्ति को अपराधियों से मुक्त कराने की ठोस कार्यवाही हो।

5. पंचायत, नगर निकाय और जिला स्तर पर समाज के प्रतिनिधित्व को बढ़ावा दिया जाए ताकि उनकी आवाज सुनी जा सके।

हमारी भी सुनिए

सूढ़ी समाज के लगभग 75 प्रतिशत लोग गरीब हैं। यहां शिक्षा एवं रोजगार का अभाव है। आज समाज की मुख्य धारा से काफी पीछे हो गए हैं।

- मनोज कुमार

सूढ़ी समाज के कई लोग आर्थिक रूप से कमजोर हैं और उन्हें गरीबी से जूझना पड़ता है। इस समाज में शिक्षा का स्तर कम है, जिससे लोगों को रोजगार और सामाजिक विकास के अवसरों से वंचित होना पड़ता है।

- दीपक कुमार

कई लोग पारंपरिक व्यवसाय जैसे शराब बनाना या अन्य रोजगार से वंचित हैं, जिससे बेरोजगारी की समस्या बढ़ जाती है।

- संजय सरस्वती

सूढ़ी समाज को अक्सर अन्य जातियों से भेदभाव का सामना करना पड़ता है, जिससे उन्हें सामाजिक और राजनीतिक रूप से पीछे धकेल दिया जाता है।

- मीणा देवी

कई लोगों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने का अवसर नहीं मिलता है, जिससे उन्हें बेहतर रोजगार पाने में कठिनाई होती है।

- रेखा देवी

सूढ़ी जाति का राजनीतिक प्रतिनिधित्व कम होने के कारण जाति को अत्यंत पिछड़ी जाति में शामिल करने से वंचित कर दिया गया।

- रीता

बिहार के वैश्य समाज में आने वाली उपजातियां सूढ़ी, तेली, चौरसिया, कानू, हलवाई, रौनियार आदि हैं। इन सभी वैश्य उपजातियों में से सूढ़ी को छोड़कर सभी को अति पिछड़ा जाति में शामिल कर लिया गया है। लेकिन सूढ़ी समाज पिछड़ा जाति में ही शामिल है।

- साईं शंकर

राज्य में सूढ़ी जाति के लोगों का आर्थिक, शैक्षणिक, सामाजिक, राजनीतिक व सांस्कृतिक स्तर पर अपेक्षित विकास नहीं हुआ है।

- अमित कुमार

सूढ़ी जाती के समकक्ष तेली, हलवाई सहित कई जातियों को बिहार सरकार ने अत्यंत पिछड़ी जाति में शामिल कर लिया। लेकिन सूढ़ी जाति को अत्यंत पिछड़ी जाति में शामिल करने से वंचित कर दिया गया।

- विनोद साहू

समाज के गरीब वर्ग के उत्थान के लिए तथा उसकी सुरक्षा के लिए विशेष उपाय किए जाएं। प्रशासनिक स्तर पर व्यावसायिक सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जाएं।

- रूपेश कुमार

समाज के जिन लोगों ने यहां से पलायन किया है उनकी संपत्ति पर अपराधियों ने कब्जा कर लिया है। इस कब्जे को हटाने के लिए कोई प्रशासनिक सहयोग नहीं मिलता है।

- राजीव नायक

सूढ़ी जाति को अति पिछड़ी जाति में शामिल नहीं करने से योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है। सरकार मांग को पूरी नही करतीं तो आंदोलन किया जाएगा।

- मनोज कुमार मंडल

सूढ़ी जाति को भी अति पिछड़ा वर्ग में शामिल किया जाए। समाज के गरीब वर्ग के उत्थान के लिए तथा उसकी सुरक्षा के लिए विशेष उपाय किए जाएं। यह हमारी मांग है।

- अनिल वैद्य

उच्च शिक्षा ग्रहण करने के लिए नामांकन लेने में अति पिछड़ा वर्ग में नहीं शामिल करने के कारण इस जाति के युवाओं को नामांकन में एक दो नंबर से पीछे रह जाना पड़ता है।

- नीतीश कुमार उर्फ विक्की

सूढ़ी जाति वैश्य समाज के 52 उपजातियों में से एक है। वैश्य समाज के अन्य सभी उपजातियों को तो पिछड़ा वर्ग से अतिपिछड़ा वर्ग में शामिल कर लिया गया है।

- मनोज कुमार

सूढ़ी जाति के गरीब बेरोजगार युवक को सस्ती दरों पर ऋण मिले। इस समुदाय से जुड़े लोगों को अतिपिछड़ा में शामिल किया जाए। ताकि उन्हें अन्य पिछड़ी जातियों की तरह लाभ मिल सके।

- नवीन कुमार

बोले जिम्मेदार

सूढ़ी समाज द्वारा उठाई गई अति पिछड़ा वर्ग में शामिल करने की मांग बिल्कुल जायज है। मैं इसका समर्थन करता हूं। ये भी शिक्षा, रोजगार और अन्य सरकारी योजनाओं का समुचित लाभ प्राप्त कर सकें। यह एक नीतिगत मामला है, जो पूरी तरह से राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है। वर्तमान में न केवल सूढ़ी समाज, बल्कि पिछड़ा वर्ग की कई अन्य जातियां भी अति पिछड़ा वर्ग में शामिल होने की मांग कर रही हैं। यह एक बड़ा सामाजिक मसला है, जिस पर राज्य सरकार को गंभीरता से विचार करना चाहिए। इस मसले को मैं सरकार के समक्ष उठाऊंगा। राज्य सरकार जो भी निर्णय इस संबंध में लेगी, मैं उसके साथ खड़ा रहूंगा। समाज का हर वर्ग मुख्यधारा में आए, इसके लिए जो भी उचित कदम होगा, उसका समर्थन करना हमारा दायित्व है। मैं सरकार से अपील करता हूं कि सभी जातियों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति का निष्पक्ष आकलन कर, न्यायसंगत निर्णय लिया जाए जिससे किसी भी वर्ग के साथ भेदभाव न हो और सभी को समान अवसर मिल सके।

-प्रणव कुमार यादव, विधायक, मुंगेर विधानसभा क्षेत्र

बोले मुंगेर असर

पिंक टॉयलेट के लिए 44 लाख का बजट पास

मुंगेर, एक संवाददाता। अभी तक मुंगेर शहर में महिलाओं के लिए कहीं भी पिंक टॉयलेट की व्यवस्था नहीं है। इसके कारण यहां आने वाली महिलाओं को कई बार शौच संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इस समस्या को लेकर बीते 18 जनवरी को मुंगेर की महिलाओं के साथ बोले मुंगेर अभियान के तहत संवाद किया गया था और 19 जनवरी को इसे प्रमुखता के साथ अपने हिन्दुस्तान समाचार में छापा गया था। इसका असर मुंगेर नगर निगम पर हुआ है। शहर में विभिन्न जगहों पर अब जल्द ही महिलाओं के लिए पिंक टॉयलेट बनाने का निर्णय मुंगेर नगर निगम ने लिया है। इसके तहत मुंगेर में महिलाओं के लिए आवश्यक पिंक टॉयलेट के निर्माण को मुंगेर नगर निगम ने अपना बजटीय समर्थन भी दिया है। बीते सोमवार को मुंगेर नगर निगम ने शहर में पिक टॉयलेट के निर्माण के लिए 44 लाख रुपए का बजट पास किया है। इस संबंध में महापौर कुमकुम देवी ने कहा कि मुंगेर शहर एवं बाजार में महिलाओं के लिए पिंक टॉयलेट की सख्त आवश्यकता थी। यहां आने वाली महिलाओं को विशेष रूप से ग्रामीण एवं दूर-दराज क्षेत्र की महिलाओं को पिंक टॉयलेट नहीं रहने से काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता था। अब इसके निर्माण का रास्ता साफ हो गया है। नगर निगम से पिंक टॉयलेट के निर्माण के लिए आवश्यक धनराशि की व्यवस्था बजट के माध्यम से की गई है। शीघ्र ही शहर में जगह-जगह महिलाओं के लिए पिंक टॉयलेट का निर्माण कराया जाएगा। इसके लिए आवश्यक जमीन की खोज जल्द ही शुरू की जाएगी। वहीं, शहर की कई महिलाओं ने कहा कि महिलाओं की सामाजिक सुरक्षा के दृष्टिकोण से नगर निगम का यह एक अच्छा कदम है। यह मुंगेर आने वाली महिलाओं के लिए अत्यंत आवश्यक है। अब नगर निगम जल्द-से-जल्द पिंक टॉयलेट का निर्माण कराए और उसके रखरखाव की व्यवस्था करे।

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