Cancer Crisis in Sultanpur Bitti Arsenic Contaminated Water Claims Lives बोले भागलपुर: सुल्तानपुर भिट्टी के ग्रामीणों को आर्सेनिकयुक्त पानी से निजात मिले, Bhagalpur Hindi News - Hindustan
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बोले भागलपुर: सुल्तानपुर भिट्टी के ग्रामीणों को आर्सेनिकयुक्त पानी से निजात मिले

सबौर प्रखंड के सुल्तानपुर भिट्टी महादलित टोला में कैंसर से कई ग्रामीण प्रभावित हैं। दूषित और आर्सेनिक युक्त पानी के कारण यह गांव कैंसर का हॉटस्पॉट बन गया है। स्थानीय लोग आर्थिक तंगी के कारण इलाज नहीं...

Newswrap हिन्दुस्तान, भागलपुरFri, 9 May 2025 08:06 PM
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बोले भागलपुर: सुल्तानपुर भिट्टी के ग्रामीणों को आर्सेनिकयुक्त पानी से निजात मिले

सबौर प्रखंड अंतर्गत खानकित्ता पंचायत के सुल्तानपुर भिट्टी महादलित टोला पिछले कई वर्षों से कैंसर बीमारी का सॉफ्ट जोन बना हुआ है। यहां के कई ग्रामीण ऐसे है, जिन्हें कैंसर की बीमारी से ग्रसित होने के कारण अपनी जान गंवानी पड़ चुकी है। सुल्तानपुर भिट्टी महादलित टोला में अब तक दर्जनों लोगों को कैंसर ने अपनी चपेट में ले लिया। गरीबी और मजदूरी कर अपना और परिवार का भरण-पोषण करने वाले लोगों को इस गंभीर बीमारी से ग्रसित मरीज का इलाज कराना मुश्किल हो जाता है, जिस कारण हालत और अधिक बिगड़ने के कारण मौत हो जाती है। सुल्तानपुर भिट्टी में कई लोगों की जान इस गंभीर बीमारी के कारण चली गयी है।

सबौर प्रखंड के सुल्तानपुर भिट्टी गांव में कैंसर की बीमारी से ग्रामीणों के अधिक संख्या में पीड़ित होने के पीछे का कारण इस इलाके का पानी दूषित और आर्सेनिक युक्त होना बताया जाता है। पूर्व में भी इस इलाके से कई बार पानी का सैंपल लैब में जांच की जा चुकी है। जिसमें अत्यधिक मात्रा में आर्सेनिक तत्व मौजूद होने की रिपोर्ट सामने आ चुकी है। आर्सेनिक युक्त पानी होने के कारण यहां न सिर्फ कैंसर के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है, बल्कि कई और गंभीर बीमारी भी ग्रामीणों को अपनी चपेट में ले रही है। मजदूरी और घरों में चौका बर्तन का काम कर जीवन यापन करने वाले लोगों द्वारा गंभीर बीमारी का इलाज करा पाना भी संभव नहीं हो पाता है।

इसको लेकर जब हिन्दुस्तान अखबार के अभियान बोले भागलपुर के तहत जब कैंसर पीड़ित परिवारों और कुछ कैंसर पीड़ितों से बात की गई तो उनकी पीड़ा उनके शब्दों और भाव से स्वत: ही साफ दिखाई दे रही थी। एक ओर जहां कैंसर पीड़ितों की हालत और मौत के कारण उनके परिजनों में दुख और भय का माहौल दिखाई दिया, वहीं गांव के दूसरे लोग में भी इस बीमारी की आशंका से ग्रसित दिखाई दिए। स्थानीय लोगों ने बताया कि सुल्तानपुर भिट्टी में पानी में आर्सेनिक के कारण कई लोगों की मांग सुनी हो गई। कइयों ने अपने माता-पिता, भाई और पत्नी समेत अन्य परिजानों को खो दिया। अब तक उनलोगों को इस समस्या से मुक्ति दिलाने या किसी प्रकार की मदद प्रशासन या सरकार की ओर से नहीं मिल सकी है।

लोगों ने बताया कि सिर्फ सरकारी बोरिंग और सप्लाई वाटर की जांच नहीं कराकर पूरे गांव में घर- घर पानी की जांच कराई जानी चाहिए। जिससे लोगों को पता चल सके कि उनके द्वारा जो पानी उपयोग किया जा रहा है वह पीने या उपयोग करने लायक है या नहीं। साथ फिल्टर लगाने या जो भी जरूरी उपाय हो वह सरकार और प्रशानिक अधिकारियों द्वारा कराया जाना चाहिए। कैंसर पीड़ित परिवार की कई महिलाओं ने बताया कि उनलोगों के पास आय का कोई साधन नहीं है। मेहनत, मजदूरी और कर्ज लेकर किसी तरह इलाज में लगा दिया और उन लोगों के पास दो वक्त की रोटी के लिए काफी समस्या का सामना करना पड़ता है।

सबौर खानकित्ता पंचायत के मुखिया सुनील कुमार चौधरी ने बताया कि आर्सेनिकयुक्त पानी के कारण कैंसर की चपेट में आकर पिछले कुछ वर्षों में कई लोगों की मौत हो चुकी है। पिछले छह माह के अंदर सुल्तानपुर भिट्टी महादलित टोला में दो लोगों की मौत कैंसर से हो चुकी है। उन्होंने बताया कि मौत के शिकार हुए कई कैंसर पीड़ित मरीज ऐसे रहे हैं जो अपने परिवार में एक मात्र कमाने वाले थे। गंभीर बीमारी के बाद इसके परिवार का भरण-पोषण करना भी मुश्किल हो गया। इस कारण महादलित परिवार के बच्चे की पढ़ाई और अन्य जरूरतों को पूरा करना भी मुश्किल हो गया है। पीड़ित परिवार की कई महिलाओं को अपने परिवार की जरूरतों को पूरा करने के लिए दूसरों के घरों में चौका बर्तन कर अपना घर चलाना पड़ रहा है। कुछ ऐसे पीड़ित हैं जिनके परिवार के सदस्यों का नाम बीपीएल सूची में नहीं होने के कारण उन्हें विधवा पेंशन समेत सरकार द्वारा चलाई जाने वाली कई कल्याणकारी योजनाओं का भी लाभ नहीं मिल पाता है।

उन्होंने बताया कि कैंसर मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन की पहल पर सुल्तानपुर भिट्टी में कैंसर स्क्रीनिंग कैंप लगाया गया। जिसमें कई कैंसर पीड़ित मरीजों की पहचान भी हुई। लेकिन आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण इन कैंसर पीड़ित मरीजों को बेहतर इलाज नहीं मिल सका। बारी-बारी से करीब दो दर्जन कैंसर मरीजों की मौत हो गई है। अभी भी कई मरीज हैं जिनका इलाज जारी है, लेकिन इतनी बड़ी तादाद में कैंसर की चपेट में लोगों के आने से पूरे जिले में यह इलाका चर्चा का केंद्र बना हुआ है। इस समस्या के समाधान के लिए सरकार की ओर से पर्याप्त और जरूरी इंतजाम किए जाने चाहिए। जिससे लोगों को इस बीमारी से बचाया जा सके।

स्थानीय निवासी साजन कुमार ने बताया वर्ष 2011 से बीपीएल सूची नहीं बनी है। इस कारण बीमारी के पहले और बीमारी होने के बाद कैंसर पीड़ित या उनके परिवार को सरकारी योजना या किसी तरह का लाभ नहीं मिला। आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण भरण-पोषण भी मजदूरी करके और महिलाओं द्वारा घरों में काम करके होता है। ऐसे में कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का इलाज कैसे करा पाएंगे। सरकार द्वारा भी इलाज के लिए कोई मदद नहीं मिली, जबकि अपना सहारा खो चुकी महिलाओं और अन्य परिवारजनों के भरण-पोषण के लिए भी प्रशासन द्वारा मुआवजा या किसी प्रकार की सहायता नहीं मिली है।

रेखा देवी ने बताया कि सरकार को आर्थिक रूप से कमजोर कैंसर पीड़ितों के परिवार के सदस्य को तत्काल आर्थिक सहयोग सरकारी योजना का लाभ मिलना चाहिए। कई बार पानी की जांच हुई पता चला की पानी दूषित है जिसके कारण इस इलाके के लोगों कैंसर समेत कई गंभीर बीमारी का मामला बढ़ता जा रहा है। कैंसर मरीज की मौत के बाद ही महादलित टोला और अन्य कैंसर पीड़ितों को कोई लाभ नहीं मिला।

2013 से अब तक 26 ग्रामीणों की कैंसर से हुई मौत

सबौर खानकित्ता पंचायत के मुखिया सुनील कुमार चौधरी ने बताया कि सुल्तानपुर भिट्टी महादलित टोला एवं अल्पसंख्यक समुदाय के टोला में वर्ष 2013 से अबतक 26 ग्रामीणों की मौत कैंसर के कारण हो चुकी है। जिसमें अधिकतर मरीजों में मुंह के कैंसर की शिकायत सामने आई। गांव में स्वास्थ्य विभाग द्वारा कैंप लगाकर चिकित्सकों की टीम से जांच करवाई गई, जिससे कैंसर के क॓ई संदिग्ध मरीज पाए गये थे। स्वास्थ्य विभाग द्वारा गांव के पानी का सैंपल भी जांच कराया गया, जिसमें पानी की जांच रिपोर्ट में आर्सेनिक पाया गया। लेकिन सरकारी उदासीनता के कारण सुल्तानपुर भिट्टी महादलित टोला और अल्पसंख्यक समुदाय के टोला समेत पूरे गांव की इस समस्या को पदाधिकारी गंभीरता से नहीं लेते हैं। इसके कारण समय पर बेहतर इलाज नहीं मिलने के कारण कई कैंसर पीड़ितों की मौत हो गई।

इलाज और जांच के लिए सुल्तानपुर भिट्टी में बने उप स्वास्थ्य उपकेंद्र

कैंसर पीड़ित परिवार के टिंकू कुमार ने बताया कि सुल्तानपुर भिट्टी गांव में वर्ष 2022 से उप स्वास्थ्य केंद्र बनाए जाने की मांग की जा रही है। जिससे यहां के लोगों को बीमार पड़ने पर तत्काल स्वास्थ्य सुविधा का लाभ मिल सके। स्वास्थ्य केंद्र नहीं होने के कारण लोगों को पंचायत या गांव में किसी भी छोटी-मोटी बीमारियों के इलाज के लिए भी सबौर पीएचसी या भागलपुर सदर अस्पताल और मायागंज अस्पताल जाना पड़ता है। इसके कारण कई लोग बीमारी की गंभीरता से अंजान होने के कारण समय पर इलाज नहीं करा पाते हैं। उन्होंने बताया कि बिहार सरकार, स्वास्थ्य विभाग और भागलपुर जिला प्रशासन को ग्रामीणों की इस समस्या पर ध्यान देना चाहिए। स्वास्थ्य सुविधा बहाल करने के लिए स्थानीय स्तर पर स्वास्थ्य केंद्र खोलना चाहिए। जिससे लोगों को समय पर स्वास्थ्य सुविधा के माध्यम से ग्रामीणों को बीमारी का पता चल सके और कैंसर की बीमारी से ग्रसित या लक्षणों के दिखाई देते ही मरीजों को जरूरी इलाज मिल सके।

जमीन बेचकर भी कैंसर पीड़ित की नहीं बचाई जा सकी जान

सचिता देवी ने बताया कि उनके पति मजदूरी करके परिवार का भरण-पोषण करते थे, लेकिन इलाके के पानी में आर्सेनिक की मात्रा काफी होने के कारण उनके पति विजय यादव भी कैंसर की चपेट में आ गए। भागलपुर अस्पताल में जांच के बाद पता चला कि उनके पति को गले में कैंसर हैं, और इस बीमारी के इलाज की यहां कोई व्यवस्था नहीं है। इसके बाद चिकित्सकों द्वारा बेहतर इलाज के लिए उन्हें पटना रेफर कर दिया गया। जहां पटना के बुद्धा कैंसर सेंटर में विजय यादव को भर्ती कराया गया। उन्होंने बताया कि आर्थिक रूप से काफी कमजोर हैं और इस गंभीर जानलेवा बीमारी के इलाज के लिए काफी पैसे भी खर्च होते हैं, लेकिन अपने पति के इलाज और जान बचाने के लिए उन्हें अपने रिश्तेदारों से कर्ज लेना पड़ा, जबकि इससे भी इलाज पूरा हुआ तो उन्हें अपनी जमीन तक बेचनी पड़ी। बावजूद बीमारी ने उनके पति की जान ले ली।

सुल्तानपुर भिट्टी गांव के पानी की जांच में आर्सेनिक की पुष्टि

स्थानीय निवासी ऋषि कुमार ने बताया कि कई वर्ष पूर्व उसकी मां की मौत भी कैंसर के कारण हुई थी। स्वास्थ्य विभाग द्वारा गांव के बोरिंग और सप्लाई वाटर की जांच की गई है, जिसमें दोनों ही जगहों से आने वाले पानी में आर्सेनिक मिलने की पुष्टि हुई है। इस कारण काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। गांव के लोगों के मन में कैंसर समेत किसी गंभीर बीमारी का डर बना रहता है। उन्होंने बताया कि गांव में ऐसे कई लोग हैं, जिन्हें चिकित्सकों के पास जाने पर यह पता चलता है कि उन्हें कोई गंभीर बीमारी हो चुकी है। कई जांच के बाद भी यह स्पष्ट नहीं हो सका कि मरीज कौन सी बीमारी से ग्रसित है। जिससे मरीज का सही इलाज करा पाना भी बड़ी चुनौती बन जाती है। बीमारी का एक कारण साफ-सफाई की व्यवस्था की कमी और लोगों में जागरूकता का अभाव भी है। हालत यह है कि दूषित पानी के कारण कैंसर पीड़ित गांव के रूप में चर्चित इस गांव में आने वाले कई लोग यहां प्यास लगने पर भी पानी पीने से बचते हैं। गांव में इस बीमारी से ग्रसित होने वाले ग्रामीणों की समस्या के समाधान पर ध्यान देते हुए सबसे पहले स्थानीय स्तर पर स्वास्थ्य केंद्र खोलना चाहिए।

इनकी भी सुनिए

उनलोगों के पास पैसे नहीं हैं, जिससे अपने परिवार का भरण-पोषण कर सकें। मजदूरी करके घर चलाने वाले उनके पति की मौत कैंसर से हो गई। सरकार द्वारा इलाज में या पति की मौत के बाद भी कोई सरकारी सहायता नहीं मिली है। प्रशासन द्वारा भरण-पोषण के लिए व्यवस्था की जानी चाहिए।

-रेखा देवी

काफी संख्या में कैंसर मरीज की पहचान होने और कई लोगों की मौत हो जाने के बाद प्रशासन द्वारा उनका गांव कैंसर सेंटर घोषित हो चुका है। पानी में आर्सेनिक होने के कारण इसका स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है, जिसके कारण कई लोग कैंसर समेत अन्य कई गंभीर बीमारी से ग्रसित हो गए हैं।

-साजन कुमार

सरकार द्वारा गरीबों के लिए कई सारी योजनाएं चलाई जाती हैं, लेकिन कैंसर पीड़ितों और उसकी मौत हो जाने पर भी परिवार को कोई मदद नहीं मिली है। गंभीर बीमारी से ग्रसित मरीजों के इलाज और उसकी मौत हो जाने पर उसके आश्रितों को आर्थिक सहायता मिलनी चाहिए।

-जय शंकर चौधरी

पांच साल पहले से कैंसर से जूझ रहे हैं, लेकिन प्रशासन या स्वास्थ्य विभग से कोई मदद नहीं मिल सकी। गांव में उप स्वास्थ्य केंद्र की व्यवस्था नहीं हैं, जिसके कारण समय पर डॉक्टर को नहीं दिखा पाने के कारण बीमारी बढ़ गई। जब जांच करायी गयी तो पता चला कि उन्हें कैंसर हो गया है।

-बुलबुल देवी

इतनी बड़ी तादाद में कैंसर की चपेट में लोगों के आने से पूरे जिले में यह इलाका चर्चा का केंद्र बना हुआ है। इस समस्या के समाधान के लिए सरकार की ओर से पर्याप्त और जरूरी इंतजाम किए जाने चाहिए। जिससे लोगों के मन में बैठ चुके डर को भी निकाला जा सके।

-विवेक पासवान

मैं शरीर से दिव्यांग हूं। मुझे एक गंभीर बीमारी हो गई है, जिसमें शरीर फूल जाता है और पानी भर जाता है। पता नहीं की कौन सी बीमारी है, डॉक्टर ने ढेर सारी दवाई लिखकर दी है। इलाज में काफी पैसा खर्च हो जाता है। सरकार उनके इलाज में मदद करे।

-परमानंद पासवान

मेरा बेटा दिव्यांग है, जो किसी तरह से अपना भरण-पोषण करता था, लेकिन गंभीर बीमारी के कारण परेशानी बढ़ गई है। पानी के दूषित होने और कैंसर के मरीजों की संख्या इलाके में लगातार बढ़ने के कारण डर लगता है। प्रशासन उनके बेटे के इलाज में मदद करे।

-सुनमती देवी

2018 में पति शिवन चुनिहारा को कैंसर की बीमारी हुई थी। काफी इलाज के बाद भी उनकी मौत 2021 में हो गई। पति के रूप में भरण-पोषण का सहारा खत्म होने पर अब दूसरे के घरों में चौका बर्तन करती हूं। सरकार योजनाओं का लाभ सुनिश्चित कराए।

-उषा देवी

सरकार द्वारा कई तरह की योजनाएं चलाई जाती हैं, लेकिन सुल्तानपुर भिट्टी गांव में काफी लोगों की मौत कैंसर से होने के बाद भी कोई सरकारी मदद नहीं मिली। इससे उन लोगों को गुजर बसर करने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ता है। परिवार के साथ बच्चों का भरण-पोषण भी मुश्किल होता है।

-मीरा देवी

कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का इलाज कराना महंगा होता है। सरकार द्वारा भी इलाज के लिए कोई मदद नहीं मिलती है। जबकि गांव में अपना सहारा खो चुकी कई महिलाओं और अन्य परिवारजनों के भरण-पोषण के लिए प्रशासन द्वारा सहायता नहीं मिली है।

-काजल देवी

गांव में काफी संख्या में लोग कैंसर बीमारी का शिकार हुए। जिसकी जानकारी सरकार को भी है। लेकिन इस समस्या से बचाने या समाधान के लिए अभी तक कोई मदद नहीं मिल पाई हैं। अगर ऐसा ही चलता रहा तो एक दिन हर घर में कैंसर मरीज होंगे।

-विष्णु चुनिहारा

कैंसर के कारण उनके बेटे की मौत हो गई। बेटा पंप चालक का काम करता था। सरकार इस बीमारी के इलाज के लिए पीड़ितों को मदद पहुंचाने के लिए व्यवस्था करे। जिससे गरीब परिवार के लोग भी इलाज करा सकें। कैंसर पीड़ित की मौत होने पर उसके परिवार वालों के भरण-पोषण की व्यवस्था होनी चाहिए।

-मीना देवी

शिकायतें

1. सरकार द्वारा अब तक आर्सेनिकयुक्त दूषित पानी से छुटकारा दिलाने के लिए पर्याप्त उपाय नहीं किया गया है, जिससे लोग गंभीर बीमारी से ग्रसित होकर जान गंवा रहे हैं।

2. कैंसर समेत किसी भी गंभीर बीमारी से मौत होने के बाद सरकार द्वारा पीड़ित परिवार की मदद के लिए अब तक कोई अनुदान राशि नहीं का कोई प्रावधान नहीं किया गया है।

3. कमाने वाले व्यक्ति की गंभीर बीमारी से मौत हो जाने के बाद परिवार के भरण-पोषण की समस्या बढ़ जाती है, ऐसे परिवारों के आश्रितों के लिए सरकार द्वारा किसी प्रकार की मदद नहीं मिलती है।

4. मजदूरी करके घर चलाने वाले की मौत कैंसर के कारण हो गई। सरकार द्वारा इलाज में या पीड़ित की मौत के बाद भी कोई सरकारी सहायता नहीं मिली है।

5. गांव में उप स्वास्थ्य केन्द्र नहीं होने से लोग जानकारी के अभाव में अपने मन से दुकानों से दवा खरीदकर खा लेते हैं, जो कई बार गंभीर बीमार का कारण बन जाता है। लोगों को इससे बचना चाहिए।

सुझाव

1. सरकार द्वारा सुल्तानपुर भिट्टी गांव के घर-घर पानी की जांच की व्यवस्था होनी चाहिए, जिससे दूषित पानी का पता चल सके और लोगों के लिए शुद्ध पानी की व्यवस्था सुनिश्चित हो।

2. कैंसर से पीड़ित गांव सुल्तानपुर भिट्टी में उप स्वास्थ्य केंद्र खोला जाना चाहिए जिससे इलाके के लोगों को सही समय पर इलाज और जांच की सुविधा मिल सके।

3. घर के भरण-पोषण करने वाले कैंसर पीड़ित की मौत होने पर उसके परिवार वालों के भरण पोषण की व्यवस्था के लिए सरकारी योजनाओं का लाभ मिलना चाहिए।

4. दूषित पानी के कारण बड़ी तादाद में कैंसर की चपेट में आकर लोग मौत के शिकार हो चुके हैं। इस समस्या के समाधान के लिए सरकार की ओर पर्याप्त और जरूरी इंतजाम किए जाने चाहिए।

5. कैंसर पीड़ितों के हॉट स्पॉट बन चुके सुल्तानपुर भिट्टी में हर माह स्वास्थ्य विभाग द्वारा कैंसर स्क्रीनिंग और स्वास्थ्य जांच शिविर लगाना चाहिए, जिससे लोग गंभीर बीमारी से सचेत हो सकें।

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