बोले पूर्णिया : तीन शिक्षकों के भरोसे 2700 छात्र, नहीं होती साइंस की पढ़ाई
अनुमंडलीय गवर्नमेंट डिग्री कॉलेज धमदाहा की स्थापना 2019 में हुई थी, लेकिन 6 साल बीतने के बावजूद यहाँ साइंस की पढ़ाई शुरू नहीं हो पाई है। कॉलेज में कोई स्थायी शिक्षक नहीं है और केवल 3 गेस्ट फैकेल्टी ही...
अनुमंडलीय गवर्नमेंट डिग्री कॉलेज धमदाहा की स्थापना वर्ष 2019 में ही हुई है। मगर स्थापना के 6 साल बीत जाने के बाद भी आजतक उच्च शिक्षा का अलख जलाने के लिए मौलिक व्यवस्था नहीं हो पाई है। एक ओर जहां सिर्फ आर्ट्स और कॉमर्स की पढ़ाई कराई जाती है, वहीं साइंस विषय की पढ़ाई शुरू करने की दिशा में पूर्णिया विश्वविद्यालय अब तक कोई पहल नहीं कर पाया है। जबकि डिग्री कॉलेज धमदाहा में साइंस विषय की पढ़ाई शुरु नहीं होने से अनुमंडल क्षेत्र के गरीब तबके के छात्र-छात्राएं शहर की ओर पलायन करने को विवश हैं। 03 ही हैं गेस्ट फैकेल्टी के शिक्षक
03 हजार छात्र हैं आर्ट्स व कॉमर्स विषय में नामांकित
06 साल बीत गए कॉलेज की स्थापना के
अनुमंडलीय गवर्नमेंट डिग्री कॉलेज धमदाहा में एक भी परमानेंट टीचर किसी भी फैकल्टी में नियुक्त नहीं है। सिर्फ और सिर्फ तीन गेस्ट फैकल्टी के शिक्षक ही छात्रों को पढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। एक गेस्ट फैकल्टी शिक्षक हिस्ट्री सब्जेक्ट में हैं, दूसरा गेस्ट फैकल्टी इकोनॉमिक्स विषय में है। तीसरा गेस्ट फैकल्टी साइकोलॉजी विषय में नियुक्त है। यही कारण है कि किसी भी विषय में कॉलेज में समुचित पढ़ाई नहीं हो पाती है। कॉलेज की स्थापना के छह वर्ष गुजर गये, लेकिन व्यवस्था की लाचारी यह है कि कॉलेज में कोई भी परमामेंट शिक्षक आज तक कॉलेज नहीं मिला है जबकि कुल मिलाकर सभी विषयों में 53 शिक्षकों की बहाली कॉलेज में होनी है। पूरे कॉलेज में लगभग 2500 से 2700 के बीच छात्रों सभी ईयर मिलकर छात्र-छात्राएं नामांकित हैं। कॉलेज का कुछ ही वर्ष पहले निर्माण हुआ है, इसलिए कॉलेज का इंफ्रास्ट्रक्चर बहुत ही शानदार है, पर शिक्षक नियुक्त नहीं रहने से शैक्षणिक वातावरण प्रभावित है।
कॉलेज और क्लास रूम हैं चकाचक :
कॉलेज में क्लासरूम की समुचित व्यवस्था है। बेंच डेस्क की बहुत ही अच्छी व्यवस्था है लेकिन अफसोस की बात यह है कि शिक्षक न होने की वजह से छात्र कॉलेज में पढ़ने नहीं आ पाते हैं जबकि अनुमंडलीय गवर्नमेंट डिग्री कॉलेज धमदाहा ग्रामीण इलाका में होने के नाते वहां के आसपास के बच्चों के लिए उच्च शिक्षा ग्रहण करना काफी सरल होना चाहिए, लेकिन ऐसा होता दिखता प्रतीत नहीं हो रहा है। कॉलेज बहुत बड़े भू-भाग फैला हुआ है लेकिन इसके बावजूद खाली फील्ड होने के बाद कहीं भी छात्रों के लिए एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी चीजों की व्यवस्था नहीं है। ना तो छात्रों के लिए खेलने की समुचित व्यवस्था है और न ही खेल की कोई सामग्री है। और न ही नए युग के छात्रों के लिए जिम की व्यवस्था है। कॉलेज में आठ आउटसोर्सिंग कर्मचारी प्रतिनियुक्त है। अनुमंडलीय गवर्नमेंट डिग्री कॉलेज धमदाहा में आर्ट्स और कॉमर्स की पढ़ाई होने के साथ-साथ इन दोनों फैकल्टी में भी विषयों के टीचर कॉलेज में नहीं है। ऐसी परिस्थिति में बाहर से शिक्षक बुलाकर छात्र-छात्राओं की सीआईए एग्जाम लेना कॉलेज प्रशासन की मजबूरी बनी हुई है।
शिक्षकों की कमी से नहीं होता वर्ग संचालन :
कॉलेज के वर्तमान में जो प्रधानाचार्य डॉक्टर मोहम्मद सादिक हुसैन है, वे भी आरएल कॉलेज माधव नगर से डेपुटेशन पर अनुमंडलीय गवर्नमेंट डिग्री कॉलेज धमदाहा के प्रधानाचार्य पद पर प्रतिनियुक्त हैं। राजभवन के द्वारा गवर्नमेंट डिग्री कॉलेज धमदाहा को एफिलिएशन ग्रामीण क्षेत्र के छात्रों को उच्च शिक्षा ग्रहण करने के उद्देश्य को लेकर किया गया था लेकिन ऐसा लग रहा है कि आज के समय में पूर्णिया विश्वविद्यालय के अंगीभूत महाविद्यालय सिर्फ और सिर्फ सीमांचल के छात्रों के बीच डिग्रियां बांटने का कार्य कर रहे है क्योंकि महाविद्यालय में जब वर्ग का संचालन नहीं होगा तो छात्रों में स्किल डेवलपमेंट नहीं होगी। इस वजह से सीमांचल के छात्र-छात्राएं लगातार पिछड़ते जा रहे हैं।
पुस्तकालय है मगर पुस्तक नहीं:
अनुमंडलीय गवर्नमेंट डिग्री कॉलेज धमदाहा में पुस्तकालय तो है लेकिन पुस्तकालय में विषय के अनुसार पुस्तकें नहीं उपलब्ध हैं। ऐसी पुस्तकें पुस्तकालय में है, जो सिलेबस की नहीं है। ऐसी स्थिति में यूजी के विभिन्न विषयों के छात्र-छात्राओं को पुस्तकालय का लाभ नहीं मिल पा रहा है। छात्रों की अर्से से शिकायत रही है कि किसी भी विषय का कोई भी पुस्तक पुस्तकालय में नहीं है। न ही कॉलेज में कोई भी लाइब्रेरी में टीचर नियुक्त है। गर्ल्स व ब्यॉज कॉमन रुम नहीं बनाया गया है। अनुमंडलीय स्तर पर बनाये गये कॉलेज में स्मार्ट कक्षाएं संचालित नहीं होती है। कॉलेज में बायोमैट्रिक पद्धति से उपस्थिति भी न तो शिक्षक की बनायी जाती है और न ही छात्र-छात्राओं की हाजिरी बनती है। सरकार ने 75 प्रतिशत वर्ग कक्षा में उपस्थिति की अनिवार्यता घोषित की है, मगर शिक्षक की कमी के चलते नियमित कक्षाएं संचालित नहीं होने के बाद भी कॉलेज में अध्ययनरत छात्र-छात्राएं बिना पढ़े ही परीक्षा देते हैं और पास करते हैं।
शिकायत:
आर्ट्स व कॉमर्स विषय के साथ नहीं होती है साइंस विषय की पढ़ाई
आर्ट्स व कॉमर्स में सीटें सीमित
शिक्षक नहीं रहने से वर्ग संचालन प्रभावित
बगैर शिक्षक हो रही आंतरिक परीक्षा
कॉलेज में खेलकूद को लेकर नहीं है कोई व्यवस्था
सुझाव:
रिक्ति के मुताबिक कॉलेज में हो शिक्षक व कर्मचारियों की नियुक्ति
नियमित वर्ग संचालन के लिए शिक्षकों की कमी को किया जाए दूर
कॉलेज में शुरू की जाए सायंस विषय की भी पढ़ाई
नियमित वर्ग कक्षा में उपस्थिति के लिए कॉलेज में निर्माण किया जाये शैक्षणिक वातावरण
कॉलेज में स्किल डेवलपमेंट के लिए हो विशेष कार्य योजना
हमारी भी सुनें :
कॉलेज में शिक्षकों की कमी है। न तो क्लासेस सही समय पर होते हैं न ही बच्चे पढ़ने आना चाहते हैं।
-सचिन कुमार
कॉलेज का नए ढांचा होने के बावजूद भी कॉलेज में एक दिन भी पढ़ाई सही से नहीं होती है।
-प्रिंस कुमार
ऐसा प्रतीत होता है कि सब डिविजनल गवर्नमेंट डिग्री कॉलेज धमदाहा सिर्फ और सिर्फ डिग्री देने की मशीन बनी हुई है। यहां पढ़ाई बिल्कुल नहीं होती है।
-हर्ष यादव
कॉलेज में एक भी परमानेंट टीचर नहीं है सिर्फ तीन लोग गेस्ट फैकल्टी के हैं जो हिस्ट्री, इकोनॉमिक्स व साइकोलॉजी के छात्रों के लिए हैं।
-पिंकू कुमार
कॉलेज का एक बहुत बड़ा प्रांगण होते हुए भी छात्रों के लिए कुछ भी एक्स्ट्रा एक्टिविटीज चीजों की व्यवस्था महाविद्यालय में नहीं है।
-अमित कुमार
कॉलेज में छात्रों के लिए खेलकूद की बिल्कुल कोई सुविधा नहीं है और बच्चे को कॉलेज द्वारा ठगने का कार्य किया जाता है।
-प्रिंस कुमार
कॉलेज की स्थापना 2019 में हुई है इसलिए यहां का भवन काफी अच्छा है और क्लासेस में बैठने की समुचित व्यवस्था है। लेकिन कक्षा होती नहीं है।
-रोहित कुमार
नए कॉलेज पर सरकार नहीं ध्यान दे रही है। कॉलेज में कई मूलभूत सुविधाओं की कमी है।
-रजनीश कुमार
कॉलेज में कई शिक्षकों के पद खाली हैं जिससे छात्रों की पढ़ाई नहीं हो पाती है। पूर्णिया विश्वविद्यालय प्रशासन को इस पर ध्यान देना चाहिए।
-शिवशंकर कुमार
कई सरकारी कॉलेजों में जिम की व्यवस्था की गई है लेकिन यहां पर ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है।
-राहुल कुमार
ग्रामीण इलाके के छात्र अक्सर देश की शान बनना चाहते हैं और फौज में जाने की तैयारी करते हैं। मगर ग्रामीण इलाके में कॉलेज होने के कारण यहां रनिंग ट्रैक नहीं बनाया गया है।
-नीतीश कुमार
ग्रामीण क्षेत्र में कॉलेज होने की वजह से कॉलेज में कई समस्याएं हैं। यहां पर कंप्यूटर क्लासेस की व्यवस्था होनी चाहिए।
-छोटू पासवान
कॉलेज में सभी विषयों पढ़ाई की शुरू होनी चाहिए।जब तक सभी विषयों की पढ़ाई की शुरुआत नहीं होती है तो इतने बड़े भवन का कोई मतलब नहीं है।
-प्रिंस कुमार
छात्रों को कॉलेज आने के लिए प्रोत्साहन करने की जरूरत है क्योंकि छात्र भी कॉलेज नहीं आना चाहते हैं।
-सिप्पु यादव
कॉलेज में शिक्षकों और कर्मचारियों दोनों की कमी है। कुलपति से आग्रह है कि कॉलेज पर ध्यान दिया जाए।
-रोहित कुमार
बोले जिम्मेदार
अनुमंडलीय गवर्नमेंट कॉलेज धमदाहा कॉलेज में शिक्षकों की कमी के चलते वर्ग संचालन प्रभावित हो रहा है। कॉलेज में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए विश्वविद्यालय का ध्यान आकृष्ट कराया गया है। कॉलेज में प्रतिनियुक्त तीनों गेस्ट टीचर के माध्यम से नियमित वर्ग कक्षा संचालन करवाया जाता है। वर्तमान समय में कॉलेज में शिक्षकों की नियुक्ति अत्यंत अनिवार्य है।
-डॉ मोहम्मद सादिक हुसैन, प्राचार्य अनुमंडलीय गवर्नमेंट कॉलेज धमदाहा।
अनुमंडलीय डिग्री कॉलेज में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए सरकार की ओर से प्रयास किया जा रहा है। बिहार विश्वविद्यालय सेवा आयोग के माध्यम से शिक्षकों की नियुक्ति हो रही है। वर्तमान समय में अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया अधर में रहने के चलते शिक्षकों की कमी से वर्ग संचालन पर प्रभाव पड़ रहा है। इस संदर्भ में राजभवन और उच्च शिक्षा विभाग का ध्यान आकृष्ट कराया जायेगा।
-प्रो अनंत प्रसाद गुप्ता, रजिस्ट्रार, पूर्णिया विश्वविद्यालय।
बोले पूर्णिया असर
812 उर्वरक दुकानों में छापेमारी, आठ के विरुद्ध प्राथमिकी, 17 लाइसेंस रद्द
पूर्णिया। रबी मौसम में किसानों को खाद की किल्लत न हो इसको लेकर जिला प्रशासन की ओर से लगातार पहल की जा रही है। 14 फरवरी 2025 को कृषि और कृषकों की समस्या बोले पूर्णिया में छपी तो पूर्णिया के डीएम कुंदन कुमार ने संज्ञान लिया। इसके बाद वह लगातार इस समस्या पर नजर बनाए हुए हैं। जिला स्तरीय उर्वरक निगरानी समिति की बैठक अयोजित कर स्थिति से अवगत हुए। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि किसानों को उर्वरक की किल्लत किसी भी स्थिति में नहीं होनी चाहिए। बैठक में जिला कृषि पदाधिकारी ने बताया कि खरीफ मौसम 2025 में कुल संभावित आच्छादित रकवा 126430 हेक्टेयर है, जिसमें अनुमंडलवार यथा पूर्णिया सदर 35980 हेक्टेयर, बनमनखी 11500 हेक्टेयर, धमदाहा 38750 हेक्टेयर तथा बायसी- 40200 हेक्टेयर है। माह अप्रैल 2025 में आवश्यकता के अनुरूप यूरिया 1817 मेट्रिक टन के आलोक में 4818.38 मेट्रिक टन, डीएपी 636 मेट्रिक टन के आलोक में 465 मेट्रिक टन, एनपीके 684 मेट्रिक टन के आलोक में 1226 मेट्रिक टन तथा एसएसपी 200 मेट्रिक टन प्राप्त हुआ है। बताया गया कि वर्त्तमान में पूर्णिया जिला अन्तर्गत उर्वरक की कोई कमी नहीं है एवं लगातार रैक आने की सूचना प्राप्त है। मौके पर डीएम ने कहा कि खरीफ मौसम 2025 में डीएपी उर्वरक की आवश्यकता के अनुरूप उपलब्धता प्राप्त करने हेतु विभागीय पत्राचार करना सुनिश्चित करेंगे ताकि जिला में डीएपी उर्वरक की किसी प्रकार का कोई दिक्कत न हो। खरीफ मौसम में प्रखंड स्तर एवं जिला स्तर द्वारा छापामारी दल द्वारा लगातार उर्वरक प्रतिष्ठानों का छापामारी किया जा रहा है। किसी भी तरह की अनियमितता बर्दाश्त नहीं की जायेगी। जिला कृषि पदाधिकारी ने बताया कि रबी मौसम 2024-25 में दिनांक 01.10.2024 से 31.03.2025 तक कुल छापामारी 812 की गयी, जिसमें आठ के विरुद्ध प्राथमिकी, 17 लाइसेंस रद्द एवं 29 के विरुद्ध निलंबन तथा 31 से पूछा गया है। जिला स्तरीय उर्वरक निगरानी समिति की बैठक में विधायक, जिला परिषद अध्यक्ष वाहिदा सरवार, उप विकास आयुक्त चंद्रिमा अत्री, जिला सहकारिता पदाधिकारी अजीत कुमार एवं जिला कृषि पदाधिकारी हरिद्वार चौरसिया उपस्थित हुए।
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