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जमुई : प्रचार प्रसार के अभाव में पीड़ित को नहीं मिल पाती है लाभ

जमुई जिले में आपदा प्रबंधन विभाग की व्यवस्था संतोषजनक नहीं है। लोगों को आपदा के समय सरकारी सहायता राशि के बारे में जानकारी नहीं है। पिछले वर्षों में वज्रपात और सड़क दुर्घटनाओं में वृद्धि हुई है।...

Newswrap हिन्दुस्तान, भागलपुरTue, 10 June 2025 06:11 PM
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जमुई : प्रचार प्रसार के अभाव में पीड़ित को नहीं मिल पाती है लाभ

जमुई, हिंदुस्तान संवाददाता। जिले में आपदा प्रबंधन विभाग की व्यवस्था कोई खास अच्छी नहीं दिख रही है। आपदा प्रबंधन में प्रचार प्रसार के नाम पर खाना पूर्ति हो रही है। जिले के लोगों को यह भी नहीं पता है की आपदा में क्या-क्या आता है और उसमें सरकार द्वारा सहायता राशि क्या दिया जाता है। इसकी भी समुचित ढंग से जानकारी नहीं है। भले ही अधिकारी अपनी पीठ अपने से ही क्यों न थापथपा ले लेकिन सरजमीं पर वस्तु स्थिति कुछ और है।बारिश हो या ना हो आसमान में घटा लगने के बाद जिले में वज्रपात की संभावनाएं आए दिन बनी रहती है।

पिछले दो-तीन साल से जिले में वज्रपात और सड़क दुघर्टनाए काफी हुई है। आसमान में बादल घिरते ही वज्रपात की डर मजदूर तबके के लोगो को समाए रहता हैं। पिछले साल जिले में वज्रपात की घटना काफी हुई। वज्रपात में जिले के कई मवेशियों के साथ साथ जिले के कई लोगों को ब्रजपात ने अपने चपेट में ले लिया । आसमान में घटा लगती है बारिश हो या ना हो वज्रपात की घटनाएं जिले के कोई न कोई भाग में जरूर हो जाता है। वज्रपात से कई बार पेड़, मवेशी और आम आदमी भी शिकार होते हैं। जिले में आपदा प्रबंधन की ओर से कोई खास व्यवस्था नहीं है। आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से वज्रपात की आशंका होने पर अलर्ट की कोई व्यवस्था नहीं है। शहर सहित ग्रामीण इलाकों के कुछ दीवारों पर 2-4 स्लोगन लिखकर अपनी खानापूर्ति कर लेते हैं लेकिन वज्रपात से बचाव या अन्य कोई प्रचार प्रसार जमुई जिले के जिला प्रशासन द्वारा नहीं हो पाता है जिसके कारण जमुई जिले के ग्रामीण किसान, मवेशी पालक वज्रपात की चपेट में आ जाते हैं और उनकी जाने चली जाती है। आपदा में सड़क दुर्घटना, डूबना, ब्रजपात, सर्प डंस, अग्निकांड, लूं आदि हैं। प्रभारी पदाधिकारी जिला आपदा प्रबंधन शाखा जमुई के नागमणि कुमार वर्मा ने बताया कि बाढ़, सुखाड़ की फाईल आगे बढ़ाया गया है। टेंडर की प्रक्रिया की जा रही है। भूकंप सुरक्षा सप्ताह मनाया जाता है उसमें प्रचार प्रसार के लिए चार लाख रुपए आता हैं। सुरक्षित तैराकी प्रशिक्षक सामुदायिक स्थल पर शुरू किया जाएगा। जिले के चार प्रखंडों में यह प्रशिक्षण होगा। प्रचार प्रसार के लिए हैंडविल, नुक्कड़ नाटक द्वारा प्रचार प्रसार किया जाता है। उन्होंने कहा की आपदा में सहायता राशि के रूप में 4 लाख दिया जाता है। वही अग्निकांड में सहायता राशि के रूप में सीओ द्वारा 12 हजार रुपए मात्र परिवार की मुखिया को दिया जाता है।

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