Lack of Basic Facilities in Government Schools of Katihar Students Demand Quality Education बोले कटिहार : धूल फांक रहे कंप्यूटर सिस्टम, पढ़ाने को स्कूल में शिक्षक नहीं, Bhagalpur Hindi News - Hindustan
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बोले कटिहार : धूल फांक रहे कंप्यूटर सिस्टम, पढ़ाने को स्कूल में शिक्षक नहीं

कटिहार जिले के 1365 सरकारी स्कूलों में से 300 में प्लस टू की पढ़ाई होती है। छात्रों ने बुनियादी सुविधाओं की कमी की शिकायत की है, जैसे प्रयोगशाला, कंप्यूटर, और बैठने की व्यवस्था। शिक्षा का सपना देखने...

Newswrap हिन्दुस्तान, भागलपुरTue, 20 May 2025 11:06 PM
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बोले कटिहार : धूल फांक रहे कंप्यूटर सिस्टम, पढ़ाने को स्कूल में शिक्षक नहीं

कटिहार जिले में कुल 1365 सरकारी स्कूल हैं, जिनमें से लगभग 300 विद्यालयों में कक्षा 10 से 12 तक की पढ़ाई होती है। सरकार ने शिक्षा विस्तार के तहत अधिकांश उच्च विद्यालयों को प्लस टू में बदल दिया है और हर पंचायत में एक-एक उच्च माध्यमिक विद्यालय खोलने का दावा किया है। लेकिन जमीनी हकीकत इससे अलग है। इन स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं की भारी कमी है-न प्रयोगशाला है, न कंप्यूटर शिक्षक। न पर्याप्त भवन और न ही बैठने की समुचित व्यवस्था। छात्रों का सपना है कि उन्हें सिर्फ नाम नहीं, बल्कि समुचित शिक्षा और संसाधन मिलें। हिन्दुस्तान के साथ संवाद के दौरान सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों ने अपनी परेशानी बताई।

13 सौ 65 सरकारी स्कूल हैं कटिहार जिले में

03 सौ से अधिक स्कूलों में होती है प्लस टू तक की पढ़ाई

80 फीसदी उपस्थिति के बाद नहीं मिलती बैठने की जगह

जिले में शिक्षा के विस्तार के नाम पर अधिकांश उच्च विद्यालयों को प्लस टू में तब्दील कर दिया गया है। लगभग हर पंचायत में उच्च माध्यमिक विद्यालय खोले गए हैं। लेकिन छात्रों के लिए यह नाम का बदलाव ही साबित हो रहा है। बुनियादी ढांचे की भारी कमी के कारण इन स्कूलों में पढ़ाई मुश्किल हो गई है। शिक्षा का सपना लिए स्कूल आने वाले छात्र व्यवस्था की बदहाली से मायूस होकर लौटते हैं। कई पंचायतों में तो पुराने मध्य विद्यालयों को ही प्लस टू बना दिया गया है, लेकिन लैब, लाइब्रेरी, कंप्यूटर, शिक्षक, बिजली-पानी जैसी बुनियादी सुविधाएं अब भी नदारद हैं। छात्र कहते हैं कि जब नाम प्लस टू है तो सुविधाएं भी वैसी मिलनी चाहिए। विज्ञान की पढ़ाई बिना लैब के और कंप्यूटर की पढ़ाई बिना कंप्यूटर क्लास के कैसे संभव है।

कंप्यूटर रूम हैं, लेकिन न एसी, न शिक्षक :

कंप्यूटर रूम तो हैं, लेकिन न तो उसमें एसी की व्यवस्था है और न ही विषय के प्रशिक्षित शिक्षक। गर्मी में कंप्यूटर खराब हो रहे हैं। छात्राएं तनु, प्राची, रूपम, निशु एवं खुशबू कहती हैं कि कंप्यूटर की शिक्षा उन्हें निजी संस्थानों से लेनी पड़ रही है, जिसका खर्च उठा पाना ग्रामीण परिवारों के लिए मुश्किल है। हाईस्कूलों में पुस्तकालय हैं, लेकिन छात्र बताते हैं कि उन्हें किताबें पढ़ने को नहीं मिलतीं। कई स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या बढ़ने से बैठने तक की जगह नहीं मिलती। गर्मी में छत एस्बेस्टस की होती है और पंखे तक नहीं लगे हैं। 80 फीसदी उपस्थिति के बावजूद व्यवस्था असहाय दिखती है।

शौचालय जर्जर, भवन पुराने, शिक्षक नदारद :

अधिकांश स्कूलों में शौचालय या तो जर्जर हैं या पूरी तरह बंद। कई जगह भवन इतने पुराने हैं कि खतरा बना रहता है। कई विषयों के शिक्षक नहीं हैं, जिससे छात्र कोचिंग का सहारा लेते हैं। मूल विषय की पढ़ाई पूरी नहीं हो पाती। सरकार ने शिक्षा को लेकर प्रयास तो किए हैं, लेकिन इन स्कूलों में बुनियादी संसाधनों की भारी कमी से यह प्रयास अधूरे नजर आते हैं। अगर स्कूलों में आधुनिक लैब, कंप्यूटर शिक्षक, पुस्तकें, बैठने की सुविधा, साफ-सुथरे शौचालय और योग्य शिक्षक नहीं होंगे, तो उच्च शिक्षा का सपना अधूरा ही रहेगा। छात्रों की एक ही मांग है कि हमें सिर्फ नाम नहीं, सुविधा चाहिए। ताकि हम भी सपनों की उड़ान भर सकें।

शिकायतें:

1. कंप्यूटर क्लास नहीं होती, शिक्षक ही नहीं हैं।

2. विज्ञान प्रयोगशाला की सुविधा उपलब्ध नहीं है।

3. पुस्तकालय में किताबें नहीं दी जातीं।

4. शौचालय गंदे और जर्जर हैं, खासकर छात्राओं को परेशानी होती है।

5. गर्मी में पढ़ाई मुश्किल, न पंखे हैं न बिजली की समुचित व्यवस्था।

सुझाव:

1. प्रत्येक प्लस टू स्कूल में प्रशिक्षित कंप्यूटर शिक्षक की नियुक्ति हो।

2. विज्ञान और कंप्यूटर की आधुनिक लैब स्थापित की जाए।

3. लाइब्रेरी को सक्रिय किया जाए और नियमित किताबें उपलब्ध कराई जाएं।

4. शौचालय की सफाई और मरम्मत नियमित हो।

5. कक्षाओं में पंखे और बिजली की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।

इनकी भी सुनें

स्कूलों में प्लस टू की पढ़ाई तो शुरू हो गई है, लेकिन विज्ञान की पढ़ाई बिना लैब के अधूरी लगती है। हम लोग सिर्फ किताबों से पढ़ते हैं, प्रैक्टिकल कुछ नहीं होता। सरकार को प्रयोगशाला की सुविधा हर स्कूल में देनी चाहिए, ताकि हम अच्छे तरीके से समझ सकें।

-मो जुबेर

हमारे स्कूल में कंप्यूटर रूम तो है, लेकिन वह बस नाम का है। न उसमें शिक्षक हैं, न कंप्यूटर चालू रहते हैं। हम चाहकर भी कुछ सीख नहीं पाते। अगर तकनीकी शिक्षा नहीं मिलेगी, तो आगे की पढ़ाई में बहुत दिक्कत होगी। सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए।

-भविष्य कुमार

गर्मी में एस्बेस्टस वाली छत के नीचे पढ़ना बेहद कठिन होता है। पंखे नहीं चलते, बिजली नहीं रहती, और क्लास में जगह भी कम पड़ती है। प्लस टू की पढ़ाई के लिए बेहतर व्यवस्था होनी चाहिए, वरना हम छात्र पीछे रह जाएंगे। शिक्षा में गुणवत्ता ज़रूरी है।

-मनीष शर्मा

हमारे स्कूल में लाइब्रेरी है, लेकिन वहां से किताबें पढ़ने के लिए नहीं मिलतीं। बस अलमारियों में बंद पड़ी रहती हैं। अगर किताबें ही नहीं मिलेंगी, तो पढ़ाई कैसे होगी? सरकार को यह देखना चाहिए कि लाइब्रेरी को उपयोगी बनाया जाए।

-तन्नू मिश्रा

मैं इंटर में पढ़ती हूं और कंप्यूटर सीखना चाहती हूं, लेकिन हमारे स्कूल में इसकी कोई सुविधा नहीं है। मजबूरी में बाहर कोचिंग करनी पड़ती है। हमारे जैसे ग्रामीण छात्रों के लिए यह आर्थिक बोझ है। स्कूल में कंप्यूटर शिक्षक जरूर होना चाहिए।

-प्राची कुमारी

शौचालय की स्थिति बेहद खराब है। लड़कियों के लिए यह सबसे बड़ी परेशानी है। कई बार मजबूरी में घर लौट जाना पड़ता है। सरकार अगर लड़कियों की पढ़ाई को बढ़ावा देना चाहती है, तो सबसे पहले साफ-सुथरे शौचालय देने होंगे।

-गौरव कुमार

हमारे स्कूल में शिक्षक तो हैं, लेकिन कई विषयों के नहीं हैं। हम मैथ्स और फिजिक्स जैसे विषयों की पढ़ाई ठीक से नहीं कर पाते। परीक्षा में भी दिक्कत आती है। सरकार को हर विषय के लिए योग्य शिक्षक भेजने चाहिए।

-विपुल मिश्रा

प्लस टू स्कूल बनने से पढ़ाई के मौके तो बढ़े हैं, लेकिन संसाधन वही पुराने हैं। छात्रों की संख्या बढ़ गई है, लेकिन क्लासरूम और बेंच पर्याप्त नहीं हैं। भीड़ में पढ़ाई सही से नहीं हो पाती। इसे जल्द सुधारने की जरूरत है।

-मो अरमान अंसारी

क्लास में बैठने तक की जगह नहीं होती। गर्मी में हालत और भी खराब हो जाती है। हम लोग प्लस टू में हैं, लेकिन स्कूल की व्यवस्था किसी प्राथमिक स्कूल जैसी है। हमें भी अच्छा माहौल मिलना चाहिए।

-रूपम कुमारी

कई बार शिक्षक स्कूल नहीं आते, और समय पर पढ़ाई पूरी नहीं हो पाती। इससे हम लोगों का सिलेबस अधूरा रह जाता है। खासकर इंटर के छात्रों के लिए यह बड़ी चिंता की बात है। शिक्षा में अनुशासन जरूरी है।

-निशु कुमारी

हमारे स्कूल में कंप्यूटर रूम बना है, लेकिन कभी खोला नहीं जाता। कंप्यूटर शिक्षा आज के समय की जरूरत है, लेकिन हम उससे वंचित हैं। जब हम डिजिटल भारत की बात करते हैं, तो हर स्कूल में कंप्यूटर क्लास जरूरी होनी चाहिए।

-खुशबू कुमारी

शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार तभी होगा जब स्कूलों में मूलभूत सुविधाएं दी जाएं। सिर्फ नाम बदल देने से कुछ नहीं होगा। प्लस टू स्कूल में लैब, शिक्षक, पुस्तकालय और कंप्यूटर जैसी चीजें जरूरी हैं। इनमें सुधार हो तभी बेहतर पढ़ाई संभव है।

-शाहीन परवीन

पढ़ाई में रुचि तो है, लेकिन व्यवस्था की कमी से हिम्मत टूट जाती है। कई बार ऐसा लगता है कि हम पीछे रह जाएंगे। अगर सरकार ग्रामीण स्कूलों को शहर जैसे सुविधाएं दे दे, तो हम भी कुछ बड़ा कर सकते हैं।

-अनुपमा कुमारी

स्कूल में साफ-सफाई की हालत भी बहुत खराब है। शौचालय और पानी की सुविधा नहीं होने से पढ़ाई का मन नहीं लगता। स्कूल में जब हम सुकून से रहेंगे, तभी बेहतर पढ़ सकेंगे। सिर्फ शिक्षा का नाम नहीं, माहौल भी जरूरी है।

-पायल कुमारी

हमारे स्कूल में कोई लैब नहीं है, फिर भी विज्ञान की पढ़ाई हो रही है। बिना प्रयोग के सब कुछ अधूरा लगता है। जब इंटर में हम प्रैक्टिकल नहीं करेंगे, तो परीक्षा में कैसे नंबर आएंगे? लैब होना अनिवार्य है।

-उमा कुमारी

गर्मी में क्लास में बैठना मुश्किल हो जाता है। न छत पर सही इंतजाम है, न पंखे। कई बार चक्कर आ जाता है। सरकार को यह देखना चाहिए कि स्कूलों में मौसम के अनुसार सुविधाएं दी जाएं।

- सोनी कुमारी

हमारे स्कूल में छात्रों की संख्या बहुत ज्यादा है, लेकिन क्लासरूम कम हैं। एक ही क्लास में तीन-तीन सेक्शन पढ़ते हैं। शोर-शराबे में पढ़ाई नहीं होती। छात्र संख्या के हिसाब से भवन और शिक्षक मिलने चाहिए।

-रुदी परवीन

कई बार शिक्षक समय से स्कूल नहीं आते, जिससे पढ़ाई प्रभावित होती है। इंटर जैसे अहम स्तर पर यह बहुत बड़ा नुकसान है। हमें बेहतर भविष्य के लिए समर्पित और नियमित शिक्षकों की जरूरत है।

-अंजू कुमारी

हमारी लाइब्रेरी बस दिखाने के लिए है। पढ़ाई के लिए न किताबें दी जाती हैं, न पढ़ने की जगह मिलती है। अगर किताबें मिलें तो कोचिंग का खर्च भी बचेगा। स्कूल लाइब्रेरी को और सशक्त बनाया जाए।

-नर्गिस खातून

मैं प्लस टू में हूं, लेकिन अब भी लगता है कि स्कूल में हम इंटर के नहीं, मिडिल स्कूल के छात्र हैं। न शिक्षक, न सुविधा। हम चाहते हैं कि पढ़ाई के साथ सभी सुविधाएं भी मिलें, ताकि हम बराबरी से आगे बढ़ सकें।

-खुशबू कुमारी

बोले जिम्मेदार

कटिहार जिले में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारना हमारी प्राथमिकता है। उन्होंने स्वीकार किया कि कुछ स्कूलों में अभी भी बुनियादी सुविधाओं की कमी है, लेकिन सरकार लगातार प्रयास कर रही है। जल्द ही प्लस टू स्कूलों में कंप्यूटर शिक्षक और आधुनिक लैब की व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी। पुस्तकालयों में किताबों की उपलब्धता बढ़ाने और शौचालयों की मरम्मत का काम भी तेजी से चल रहा है। छात्रों को बेहतर शिक्षा मिले, इसके लिए नई योजनाएं लागू की जा रही हैं। उन्होंने छात्रों और अभिभावकों से धैर्य रखने की अपील की है।

-अमित कुमार, जिला शिक्षा पदाधिकारी, कटिहार

बोले कटिहार असर

अब एक्स-रे के लिए 24 घंटे होगी बिजली आपूर्ति

कटिहार, हिन्दुस्तान प्रतिनिधि। हिन्दुस्तान की ‘बोले कटिहार’ मुहिम का बड़ा असर सामने आया है। 11 अप्रैल को सदर अस्पताल में बिजली गुल होते ही एक्स-रे सेवा बाधित होने की खबर प्रकाशित होने के बाद प्रशासन हरकत में आया। जिलाधिकारी मनेश कुमार मीणा ने खुद संज्ञान लेते हुए अस्पताल प्रशासन के साथ समीक्षात्मक बैठक की। बैठक में डीएम ने नव चयनित विद्युत आपूर्ति एजेंसी को इस माह के अंत तक सेवा बहाल करने का निर्देश दिया। साथ ही स्पष्ट किया कि इमरजेंसी सेवाओं में किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने एक्स-रे, डायलिसिस, सीटी स्कैन जैसी आवश्यक सुविधाओं को 24 घंटे निर्बाध रूप से उपलब्ध कराने का आदेश भी दिया। अस्पताल प्रबंधक चंदन कुमार सिंह ने बताया कि एक्स-रे यूनिट में तीन टेक्नीशियन कार्यरत हैं। सेवा सातों दिन, चौबीसों घंटे उपलब्ध है। अब वैकल्पिक बिजली स्रोत की व्यवस्था भी सुनिश्चित की जा रही है ताकि बिजली बाधित होने की स्थिति में भी सेवा चालू रहे। खबर का असर अस्पताल आने वाले मरीजों और परिजनों के चेहरों पर साफ देखा जा सकता है। आमजन ने ‘बोले कटिहार’ अभियान की सराहना करते हुए हिन्दुस्तान को धन्यवाद दिया है। यह मुहिम अब न सिर्फ आवाज बन रही है, बल्कि व्यवस्था में सुधार की दिशा भी तय कर रही है।

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