Mahatma Gandhi NREGA Scheme Faces Worker Disillusionment as Labor Migration Increases बोले जमुई : 200 दिन काम मिले, मजदूरी बढ़े तो रुक सकता है पलायन, Bhagalpur Hindi News - Hindustan
Hindi NewsBihar NewsBhagalpur NewsMahatma Gandhi NREGA Scheme Faces Worker Disillusionment as Labor Migration Increases

बोले जमुई : 200 दिन काम मिले, मजदूरी बढ़े तो रुक सकता है पलायन

केंद्र सरकार की मनरेगा योजना ने ग्रामीण इलाकों में रोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए शुरुआत की थी। लेकिन काम नहीं मिलने और कम मजदूरी के कारण कामगारों का मनरेगा से मोहभंग हो रहा है। इसके चलते वे अन्य...

Newswrap हिन्दुस्तान, भागलपुरFri, 25 April 2025 10:52 PM
share Share
Follow Us on
बोले जमुई : 200 दिन काम मिले, मजदूरी बढ़े तो रुक सकता है पलायन

केंद्र सरकार ने ग्रामीण इलाकों में रोजगार देने के लिए मनरेगा योजना की शुरुआत की है, किन्तु कम कामगारी और पर्याप्त काम नहीं मिलने के कारण अब ग्रामीण इलाके के कामगारों का मनरेगा से मोहभंग हो रहा है। यही कारण अब जिले के कामगार पेट भरने एवं परिवार के भरण-पोषण के लिए दूसरे राज्यों की ओर पलायन कर रहे हैं। इसमें अधिकांश कामगार अपने परिवार एवं बच्चों को छोड़ दिल्ली, कानपुर, मुंबई, कोलकाता जैसे महानगरों का रुख कर रहे हैं। वहीं ग्रामीण इलाकों के अकुशल कामगार ईंट भट्ठों पर काम करने दूसरे प्रदेश कूच कर गए हैं। संवाद के दौरान जिले के मनरेगा कामगारों ने अपनी समस्या बताई। 02 सौ 55 रुपए ही प्रतिदिन के हिसाब से मिल रही कामगारी

04 सौ रुपए कामगारी और 200 कार्य दिवस की मांग

05 लाख 93 हजार 295 मनरेगा कामगार हैं जिले में रजिस्टर्ड

01 सौ दिन ही कार्य सुनिश्चित है अब तक मनरेगा कामगारों की

सरकार की महत्वाकांक्षी योजना मनरेगा जिले से कामगारों का पलायन रोकने में सफल नहीं हो पा रही। सरकार द्वारा मनरेगा योजना शुरू करने का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका सुरक्षा को बढ़ाना और लोगों को रोजगार उपलब्ध कराना था। इस योजना के तहत एक वित्तीय वर्ष में एक परिवार को कम से कम 100 दिनों की गारंटीकृत रोजगार प्रदान करने की बात है। परिवारों की आजीविका सुरक्षा में वृद्धि करने के उद्देश्य से योजना शुरू की गई थी ताकि वे कामगार अपने गांव-घर में कामगारी करके अपने परिवार का भरण-पोषण कर सकें। इसके साथ ही ग्रामीण परिवारों की आजीविका सुरक्षा को बढ़ाना, ग्रामीण क्षेत्रों में विकास के लिए बुनियादी ढांचे का निर्माण करना भी इसका उद्देश्य रहा। जैसे सड़कें, नहर, तालाब, कुएं का निर्माण, ग्रामीण पेयजल परियोजनाओं, मत्स्य पालन, बकरी पालन, मुर्गी पालन सहित पशुओं के लिए शेड निर्माण करना योजना के तहत सुनिश्चित किया गया।

कार्य से हो रहा है मोहभंग :

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी ( मनरेगा) योजना से अब कामगारों का मोहभंग होता जा रहा है। इसका मुख्य कारण कामगारी मद में सही समय पर कामगारी नहीं मिलना तथा पर्याप्त काम नहीं मिलना बताया गया। कामगार बताते हैं कि एक परिवार अधिकतम एक वर्ष में 100 दिन काम करेंगे। यदि एक परिवार में पति-पत्नी व उनके दो तीन बच्चे हैं जिनकी शादी नहीं हुई है तो वह एक परिवार कहलाएगा। अब यदि परिवार में 4 -5 लोग हैं तो सबको मिलाकर 100 दिन ही कार्य सुनिश्चित है। उस स्थिति में परिवार का भरण पोषण कैसे होगा। इसके साथ ही समय पर कामगारी का भुगतान नहीं होने के कारण भी कामगार मनरेगा कार्य से विमुख होने लगे हैं।

बढ़े मनरेगा कामगारों की कामगारी:

कामगारों ने कहा कि जिले में पूर्व में कामगारों की कामगारी 245 रुपए थी। माह अप्रैल से इसमें 10 रुपए का इजाफा हुआ तो अब यह 255 रुपए हो गया। किंतु यह कामगारी भी पर्याप्त नहीं है।खुले बाजार में भी मज़दूरी 350 रुपए से लेकर 400 रुपए हो गई है। वह भी काम समाप्त होते ही शाम में कामगारों के हाथ में आ जाती है। फिर 255 रुपए में काम क्यों करें। कामगारों ने कहा कि सामान्य कामगारी 350- 400 होनी चाहिए। उन्होंने अन्य राज्यों की तरह कामगारी बढ़ाने की मांग की।

जिले में है 5 लाख 93 हजार 295 मनरेगा कामगार रजिस्टर्ड :

जिले में 5 लाख 93 हजार 295 मनरेगा कामगार रजिस्टर्ड है, जिसमें महिला कामगारों की संख्या 3 लाख 13 हजार 792 है। इन कामगारों में एक्टिव कामगारों की संख्या 2 लाख 37 हजार 343 है। इसमें भी एक्टिव महिला कामगार 1 लाख 51 हजार 772 हैं। इस तरह आंकड़ों को देखने से पता चलता है कि आधे से अधिक रजिस्टर्ड कामगार मनरेगा कार्यों से विमुख हो दूसरे कार्यों की ओर चले गए हैं।

सुनें इनकी पीड़ा

इस योजना से धरातल पर बहुत काम हुआ है। लेकिन कामगारों को उनका उचित हक नहीं मिल पाता है। सामान्य कामगार भी 350-400 रुपए कमा लेता है। इसलिए मनरेगा मजदूरी में वृद्धि की जाए।

मिथिलेश कुमार

मनरेगा योजना में समय पर भुगतान नहीं होने से कामगार के सामने खाने-पीने के लाले पड़ जाते हैं। मजदूरी मद का भुगतान एक सप्ताह में करना सुनिश्चित किया जाए।

नंदू कुमार

कार्य स्थल पर महिलाओं के लिए विशेष सुविधा होनी चाहिए। महिला कामगार घर के काम करके जाती हैं और फिर शाम काम खत्म कर वापस अपने घर का काम करती हैं। इस स्थिति में महिलाओं को काम की छुट्टी एक घंटे पहले होनी चाहिए।

धानो देवी

जनवरी माह में काम किया। आज तक भुगतान नहीं हुआ है। आज भुगतान होने वाला है। इस स्थिति में कामगारों का चूल्हा कैसे जलेगा।यही कारण है कि कामगार इस कार्य से विमुख होते जा रहे हैं।

दिलीप राम

मनरेगा में मजदूरी बहुत कम है। इससे परिवार का भरण-पोषण मुश्किल है। अन्य राज्यों की तरह बिहार में भी मनरेगा मजदूरी में वृद्धि होनी चाहिए।

गौतम ठाकुर

एक परिवार में पति-पत्नी का नाम जाब कार्ड में दर्ज है। दोनों मिलाकर 100 दिन काम करेंगे उसके बाद खाएंगे क्या। इसलिए पति-पत्नी का जाब कार्ड अलग-अलग बने ताकि दोनों लोग 100-100 दिन काम कर सकें।

प्रमिला देवी

कार्य स्थल पर सारी सुविधा रहे। गर्मी के दिनों में पानी की पर्याप्त व्यवस्था हो। साथ ही कामगारों का भुगतान काम खत्म होने के साथ कर दिया जाए।

कबुतरी देवी

कामगारों के काम के दिन को बढ़ाया जाए। साल में 200 दिन मनरेगा कामगारों को काम मिले, नहीं तो उतने पैसे का भुगतान किया जाए।

रामसखी देवी

बरसात के दिनों में भी मनरेगा योजना में काम हो या फिर सरकार हमलोगों को रोजगार दे। बरसात में कामगार क्या खाएंगे। बरसात के दिनों में पक्का कार्य तो किया जा सकता है।

रूबिया देवी

मनरेगा में व्यक्तिगत योजना भी चालू किया जाए। मछली पालन, मुर्गी पालन, गाय शेड को बढ़ावा मिले तो स्वरोजगार भी शुरू किया जा सकता है।

गुड्डन यादव

कामगारों की मजदूरी 14 दिन बाद देना सुनिश्चित है। किंतु सारी प्रक्रिया करते-करते 20-25 दिन हो जाता है। इस दौरान कामगारों को परेशानी होती है। इसलिए 7 दिन में कामगारों का भुगतान सुनिश्चित किया जाए।

अवधेश कुमार

लगातार काम नहीं मिलने के कारण कामगारों का पलायन होता है। इसलिए मनरेगा कामगारों को लगातार काम मिले ताकि उनका पलायन नहीं हो।

रामबिलास यादव

मनरेगा कामगारों को भी स्किल्ड करने को प्रशिक्षण दिया जाए तो उनकी आमदनी में बढ़ोतरी होगी। स्किल्ड होने के बाद बाहर जाकर वे अधिक कमाई कर सकते हैं।

सोनू कुमार

मनरेगा योजना से गली नाली बनने से धरातल पर काम दिखाई देता है। लेकिन इसमें और सुधार की जरूरत है। पैसे का भुगतान समय पर हो।

राजीव कुमार

सालों भर काम नहीं मिलने के कारण जब बाहर काम करने जाते हैं और वापस जब घर आते हैं तो काम नहीं मिलता है। कहा जाता है कि आपका कार्ड बंद हो गया है। फिर कार्ड जेनरेट नहीं हो पाता है।

मोती कोड़ा

बोले जिम्मेदार

मनरेगा गाइड लाइन के अनुसार कार्य किया जाता है। मनरेगा में सामान्य से कम मजदूरी मिलने के कारण लोग दूसरे कार्य की ओर विमुख होते हैं। मनरेगा के तहत मछली पालन एवं पशु शेड कार्य में उद्देश्य की पूर्ति नहीं हो पा रही थी। जबकि वृक्षारोपण, मुर्गी शेड जैसे निजी कार्य भी मनरेगा नियमों के तहत कराए जाते हैं। सरकार द्वारा मजदूरी मद के पैसे आने पर कामगारों के खाते में तुरंत भेजा जाता है।

-शंभू नाथ सुधाकर, मनरेगा पीओ

बोले जमुई फॉलोअप

आंगनबाड़ी केंद्रों पर शौचालय और पेयजल सुविधा मिले

जमुई। ग्रामीण क्षेत्रों में कार्यरत एएनएम को केंद्र पर पहुंचने के लिए काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। कई बार तो घंटों वाहन का इंतजार सड़क पर खड़े होकर कराना पड़ जाता है। इस कारण अपने केंद्र पर ससमय नहीं पहुंच पाते। काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। केंद्र पर मौजूद मरीज, गर्भवती महिला या फिर बच्चों के अभिभावकों का तंज सुनने को मिलता है। विभाग द्वारा अलग से डांट फटकार मिलती है। संवाद के दौरान एएनएम ने कहा था कि अगर हमलोगों को यातायात की सुविधा मिल जाए तो हमलोग भी समय पर केंद्र पर पहुंच कर अपने कार्य का निपटारा समय पर कर सकेंगे। सबसे खराब स्थिति बरसात के दिनों में होती है। वाहन के इंतजार में खड़े होने के समय ही अगर बारिश हुई तो भींग जाते हैं। भींगने के कारण बीमार भी पड़ जाते हैं। अनुबंध पर कार्यरत एएनएम बताती हैं कि हमलोग सुबध 8 बजे ही कार्य क्षेत्र पर जाने के लिए घर से निकल पड़ते है और हमलोगों की डयूटी शाम 5 बजे तक चलती है। इस दौरान कई प्रकार की परेशानी का सामना भी करना पड़ जाता है। अधिकांश आंगनबाड़ी केंद्रों पर शौचालय और पीने के पानी तक की सुविधा नहीं है। इससे हमलोगों को काफी परेशानी होती है। सरकार सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर शौचालय और पानी की सुविधा मुहैया कराए ताकि हमलोगों को परेशानी न हो। बोले जमुई संवाद के दौरान जिले की एनएनएम की समस्याओं को 18 फरवरी को प्रकाशित किया गया था। इसे लेकर सरकार और विभाग को पहल करने की जरूरत है।

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।