बोले जमुई: दवा की कम हो कीमत और हटे रोक तो सस्ता होगा इलाज
होम्योपैथी चिकित्सा प्रणाली सस्ती और प्रभावी मानी जाती थी, लेकिन हाल के समय में महंगी दवाओं ने मरीजों और चिकित्सकों की परेशानियां बढ़ा दी हैं। दवाएं अब केवल 100 मिलीलीटर की छोटी बोतलों में मिल रही...
होम्योपैथी चिकित्सा प्रणाली को सस्ता, प्रभावी और सुलभ इलाज माना जाता रहा है। लेकिन हाल के वर्षों में होम्योपैथिक दवा महंगी होने से रोगियों के साथ-साथ चिकित्सकों की परेशानी भी बढ़ी है। पहले जहां चिकित्सक और होलसेलर दवाओं को पौंड में खरीद सकते थे, अब उन्हें केवल 100 मिलीलीटर की छोटी बोतलों में बेचा जा रहा है, जिससे लागत कई गुना बढ़ गई है। इससे मरीजों को महंगी दवाएं खरीदनी पड़ रही हैं। डॉक्टरों के लिए भी यह एक बड़ी चुनौती बन गई है। जिले में हो होमियोपैथिक मेडिकल कॉलेज की स्थापना
फोटो: 4: जमुई में होमियोपैथिक चिकित्सक
3: इलाज करते चिकित्सक
2: झाझा के चिकित्सक
1: आयुष सटिफिकेट से मरीज को सम्मनित करते चिकित्सक
बाकी फोटो नाम से है
जमुई। सुधांशु लाल / अरूण बोहरा
वैसे तो हाल के दिनों में सरकार की ओर से कई मेडिकल कॉलेज खोले गए लेकिन एक भी होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज नहीं खोला गया है। डा. रामबलि तांती कहते हैं कि छात्रों को उच्च शिक्षा के लिए दूसरे शहरों में जाना पड़ता है, जिससे उनकी आर्थिक परेशानियां और बढ़ जाती हैं। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों के छात्र, जो कम आय वाले परिवारों से आते हैं, उनके लिए यह और कठिन हो जाता है। होम्योपैथी चिकित्सकों का कहना है कि सरकार यदि हर जिले में कम से कम एक होम्योपैथी कॉलेज स्थापित कर दे, तो छात्रों को अपने ही जिले में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिलेगा और होम्योपैथी चिकित्सा को भी बढ़ावा मिलेगा। बहुत से लोग प्रमाणित करते हैं कि होम्योपैथी त्वचा संबंधी वायरल रोगों के मामलों में चमत्कार कर सकती है। होम्योपैथी दवाओं के दाम आसमान छूने लगे हैं। पहले ये दवाएं होलसेलर और चिकित्सकों को सीधे पोंड में उपलब्ध कराई जाती थीं, जिससे बड़ी मात्रा में खरीदने पर दाम कम पड़ते थे। लेकिन अब नियमों में बदलाव के कारण केवल 100 मिलीलीटरकी छोटी बोतलों में ही दवाएं उपलब्ध हो रही हैं। इससे एक ओर जहां डॉक्टरों के लिए यह मुश्किल हो गया है, वहीं मरीजों को भी इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ रही है। इसका सीधा असर छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों पर पड़ा है, जहां आमतौर पर लोग एलोपैथिक दवाओं की तुलना में होम्योपैथ को अधिक प्राथमिकता देते थे। डा. इंदूभूषण सिंह कहते हैं कि छात्रों की शिक्षा के लिए संसाधनों की कमी होम्योपैथी की पढ़ाई करने वाले छात्रों को भी कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। एक प्रमुख मुद्दा यह है कि उन्हें उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए वित्तीय सहायता नहीं मिल रही। सरकार द्वारा जारी स्टूडेंट क्त्रेडिट कार्ड योजना के तहत मेडिकल, इंजीनियरिंग और अन्य उच्च शिक्षा के लिए कर्ज दिया जाता है, लेकिन इसमें होम्योपैथी छात्रों को शामिल नहीं किया गया है। होम्योपैथी चिकित्सकों का कहना है कि सरकार को इस दिशा में जल्द से जल्द पहल करनी चाहिए।
महंगाई का पड़ा है असर
मरीजों पर आर्थिक बोझ बढ़ा महंगी दवाओं की वजह से मरीजों पर भी असर पड़ रहा है। पहले जहां 200-300 रुपए में पूरा इलाज हो जाता था, वहीं अब एक महीने की दवा के लिए हजारों रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं। खासतौर पर उन मरीजों के लिए यह स्थिति और भी कठिन हो गई है, जो लंबे समय तक चलने वाले उपचार पर निर्भर रहते हैं, जैसे गठिया, माइग्रेन, चर्म रोग और अन्य पुरानी बीमारियां। होम्योपैथी चिकित्सा जो वर्षों से लोगों के लिए किफायती और प्रभावी इलाज का विकल्प रही है, अब गंभीर संकट से जूझ रही है। महंगी दवाओं, शिक्षा के लिए वित्तीय सहायता की कमी और स्थानीय कॉलेजों के अभाव ने इस क्षेत्र के डॉक्टरों और छात्रों की परेशानियों को बढ़ा दिया है। यदि सरकार इन समस्याओं पर ध्यान दे और उचित नीतियां बनाए, तो न केवल होम्योपैथी चिकित्सा को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि लाखों मरीजों को भी सस्ते इलाज का लाभ मिलेगा।
सदर अस्पताल और पीएचसी में हो होम्योपैथी डॉक्टरों की बहाली
होम्योपैथी चिकित्सा प्रणाली वर्षों से भारत में एक लोकप्रिय विकल्प रही है। लेकिन सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं में इसे वह स्थान नहीं मिल पाया है, जो एलोपैथी को प्राप्त है। जिले के सदर अस्पताल और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में जहां एलोपैथिक डॉक्टरों की बहाली नियमित रूप से होती है, वहीं होम्योपैथी डॉक्टरों की नियुक्ति अभी भी उपेक्षित है। इससे लाखों मरीज, जो होम्योपैथी को प्राथमिकता देते हैं, उचित इलाज से वंचित रह जाते हैं।
सुझाव
1 सरकार को होम्योपैथिक दवाओं को फिर से पोंड में उपलब्ध कराने की अनुमति देनी चाहिए, ताकि लागत कम हो और मरीजों को सस्ती दवा मिले।
2.स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना में होम्योपैथी छात्रों को शामिल किया जाए, जिससे वे बिना आर्थिक परेशानी के अपनी पढ़ाई पूरी कर सकें।
3.हर जिले में होम्योपैथी कॉलेज की स्थापना की जाए, ताकि छात्रों को अपने जिले में ही गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके।
4.होम्योपैथी डॉक्टरों को उचित लाइसेंस, सरकारी सहयोग और सुविधाएं मिलनी चाहिए, जिससे उनकी प्रैक्टिस सुगम हो।
5.सरकार को होम्योपैथिक दवाओं पर सब्सिडी देने पर विचार करना चाहिए, ताकि गरीब और मध्यम वर्ग के लोग सस्ते इलाज का लाभ उठा सकें।
शिकायत
1. दवाएं केवल 100 मिलीलीटरकी छोटी बोतलों में उपलब्ध हो रही हैं, जिससे उनकी कीमते बढ़ गई है।
2. मेडिकल और इंजीनियरिंग छात्रों को शिक्षा ऋण मिलता है, लेकिन होम्योपैथी छात्रों को इससे वंचित रखा गया है।
3. कई जिलों में होम्योपैथी कॉलेज नहीं हैं, जिससे छात्रों को दूसरे शहरों में जाना पड़ता है और अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ता है।
4. होम्योपैथी डॉक्टरों को उचित सरकारी मान्यता और सुविधाएं नहीं मिलतीं, जिससे उनकी प्रैक्टिस करना मुश्किल हो जाता है।
5. दवाओं के बढ़ते दामों के कारण गरीब और मध्यम वर्ग के मरीजों को इलाज कराना कठिन हो गया है। इस पर विभाग को गंभीरता से विचार करना चाहिए
कहते हैं विशेषज्ञ
पांच भिन्न त्वचा रोगों से पीडि़त रोगियों के होम्योपैथी उपचार के उल्लेखनीय परिणाम मिले हैं, जो ऐसे त्वचा रोगों पर होम्योपैथिक दवा के सकारात्मक प्रभावों के प्रति विश्वास को बढ़ावा देते हैं।
डा. प्रभाकर
सरकारी अस्पतालों में होम्योपैथिक दवाओं की भी भारी कमी है। मरीजों को अक्सर बाजार से महंगे दामों पर दवाएं खरीदनी पड़ती हैं।
डा. राजेश कुमार
होम्योपैथी चिकित्सा का एक वैकल्पिक रूप है जो "इलाज जैसा इलाज" के सिद्धांत पर आधारित है। होम्योपैथिक दवाएं प्राकृतिक पदार्थों से बनी होती हैं, जैसे कि पौधे, खनिज और जानवर।
डा. अखिलेश पंडित
होम्योपैथी उपचार से जुड़े विशेषज्ञ बताते हैं कि आम वायरल त्वचा रोगों के लिए होम्योपैथिक उपचार बड़ी संख्या में लोगों को सस्ती और प्रभावी समाधान प्रदान करने में निर्णायक हो सकता है।
डा. इंदूभूषण सिंह
जब होम्योपैथिक दवाएं बीमार व्यक्ति को दी जाती हैं तो वह इसी शक्ति को जागृत करती हैं तथा स्वास्थ्य को पुन: पटरी पर लाती हैं।
डा. रामबली तांती
शरीर में किसी प्रकार के डिसार्डर का कारण हारमनी अथवा संतुलन का क्षय ही है जो संकेतों व लक्षणों में बादल जाता है जिसे बीमारी कहा जाता है।
डा.परमानंद प्रसाद
पुरानी बीमारियों का इलाज: होम्योपैथिक दवाएं पुरानी बीमारियों जैसे कि एलर्जी, गठिया, और अवसाद के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकती हैं।
डा. राजेश कुमार
होम्योपैथी रोगी का इलाज करती है, रोग का नहीं। आंतरिक दवा के माध्यम से त्वचा के रोगों का इलाज बेहद उत्साहवर्द्धक है।
डा. बिपिन बिहारी भारती
एलोपैथिक दवाओं को छोड़कर कई असाध्य बीमारियों के लिए होम्योपैथिक दवाओं का इस्तेमाल करते हैं। इसमें कई तरीके से मरीज को ठीक करने की कोशिश की जाती है।
होम्योपैथी दवा को आप खा सकते हैं, सूंघ सकते हैं और शरीर पर लगा भी सकते हैं। ऐसे में समय पर समय पर होम्योपैथी ट्रीटमेंट असरकारी होता है।
डा. कपिलदेव मंडल
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