बोले मुंगेर: 20 वर्षों से नाले की सफाई नहीं, जलजमाव भी हो दूर
शिव कुंड पंचायत, मुंगेर जिले में, बुनियादी सुविधाओं की कमी का सामना कर रहा है। जल निकासी, स्वास्थ्य सेवा, और आवास योजनाओं में अनियमितताएं हैं। लोग रोज़मर्रा की ज़िंदगी के लिए संघर्ष कर रहे हैं और कई...
बोले मुंगेर: शिव कुंड पंचायत के लोगों की परेशानी प्रस्तुति: रणजीत कुमार ठाकुर/गौरव कुमार मिश्रा शिवकुंड पंचायत, जो बिहार के मुंगेर जिले के धरहरा प्रखंड में राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या- 80 के किनारे स्थित है, विकास की दौड़ में अब भी काफी पीछे छूटा हुआ है। लगभग एक 10,000 की आबादी वाली इस पंचायत में 11 वार्ड हैं और लगभग 6000 मतदाता हैं। क्षेत्र की एक बड़ी आबादी आजीविका के लिए अन्य प्रदेशों में पलायन कर चुकी है। यह पंचायत आज भी बुनियादी सुविधाओं की घोर कमी से जूझ रहा है, जिससे यहां के निवासी रोजमर्रे की जरूरत के लिये संघर्ष कर रहे हैं।
उनकी जिंदगी के संघर्ष को लेकर वहां के वार्ड नंबर- 3 में लोगों से हिन्दुस्तान द्वारा संवाद किया गया, जिसमें उन्होंने अपना दर्द बयां किया। समस्याएं और उपेक्षा की स्थिति: संवाद में यहां के निवासियों ने बताया कि,शिवकुंड पंचायत में वर्ष- 2005 में बने नाले की आज तक कोई सफाई नहीं हुई है, जिससे जल निकासी की व्यवस्था पूरी तरह बाधित हो गई है और सड़कों पर जल जमाव की समस्या बनी रहती है। नल-जल योजना का लाभ भी सीमित लोगों तक ही सीमित है, कई घरों तक नल- जल योजना का पानी आज तक नहीं पहुंच पाया है, जिससे गर्मी के मौसम में लोगों को पानी के लिए भारी परेशानी उठानी पड़ रही है। उन्होंने कहा बताया कि, पंचायत में एक स्वास्थ्य केंद्र जरूर है, लेकिन वह केवल नाम का है। इलाज के लिए उचित व्यवस्था न होने के कारण मामूली बीमारी भी जानलेवा बन जाती है। हाल ही में एक युवक की बुखार से मौत हो गई। क्योंकि, उसे समय पर इलाज नहीं मिला। उसके पिता, जो पहले ही आर्थिक संकट में थे, अब 10 लाख रुपये के कर्ज में डूब गए हैं, लेकिन न जनप्रतिनिधियों ने मदद की और न ही प्रशासन ने कोई सहायता दी। उनका कहना था कि, सरकार द्वारा संचालित आवास योजना में भी भारी अनियमितताएं हैं। जरूरतमंदों को योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है। जबकि, पक्के मकान वालों को फिर से पक्का मकान दिया जा रहा है। मुखिया द्वारा अपने चहेते लोगों को ही इस योजना का लाभ दिलाया जा रहा है। लोगों ने कहा कि, बाढ़ इस क्षेत्र की एक नियमित समस्या है। हर वर्ष आने वाली बाढ़ में लोग प्रभावित होते हैं, लेकिन मुआवजा पाने के लिए भी उन्हें संघर्ष करना पड़ता है। कई पात्र लोगों का नाम सूची से हटा दिया गया है। वार्ड नंबर- 1, 2 और 3 में कहीं-कहीं सोलर लाइटें जरूर लगाई गई हैं, पर पूरे गांव में शाम होते ही अंधेरा छा जाता है। आंगनवाड़ी केंद्रों में बच्चों को पोषण आहार नहीं मिल पा रहा है। स्कूली बच्चों को पोशाक राशि तक नहीं मिली है, जिससे उनके अभिभावकों में आक्रोश है। यही नहीं, यहां बच्चों के खेलने के लिए मैदान नहीं है। जिससे वे शारीरिक और मानसिक रूप से विकसित नहीं हो पा रहे हैं। एनएच-80 पर तेज रफ्तार के कारण दुर्घटनाएं हो रही हैं, लेकिन न मुआवजा मिला है और न ही कोई नियंत्रण की व्यवस्था की गई है। हाई मास्ट लाइट की आवश्यकता लंबे समय से जताई जा रही है, लेकिन इसे भी अभी तक नहीं लगाया गया है। लोगों का कहना था कि, वार्ड नंबर- 3 में दो साल पहले शुरू हुई नल-जल योजना का काम अधूरा है। पाइप बिछा दिए गए हैं, लेकिन पानी आज तक घरों तक नहीं पहुंच पाया है। सड़क के बीचोंबीच बना नाला टूट चुका है, जिससे स्कूली बच्चों और राहगीरों को रोजाना जान जोखिम में डालकर आना-जाना पड़ता है। बकरी पालन से गुजारा करने वाली माला देवी ने बताया कि, मेरी छह बकरियों की मृत्यु हो गई, लेकिन अब तक मुझे कोई मुआवजा नहीं मिला। निष्कर्ष: शिव कुंड पंचायत की हालत प्रशासनिक उपेक्षा और भ्रष्टाचार का ज्वलंत उदाहरण बन चुकी है। यहां की बुनियादी जरूरतों को दरकिनार कर केवल दिखावटी कार्य किए जा रहे हैं। अब समय आ गया है कि प्रशासन और जनप्रतिनिधि मिलकर ईमानदारी से काम करें, ताकि इस पंचायत को विकास की मुख्यधारा से जोड़ा जा सके और यहां के निवासियों को एक सुरक्षित और सुविधायुक्त जीवन मिल सके। इंफोग्राफिक: 1. शिवकुंड पंचायत की आबादी लगभग 10000 है। 2. पंचायत में कुल 11 वार्ड हैं। 3. यहां मतदाताओं की संख्या लगभग 6000 है। समस्याएं: 1. वर्ष- 2005 में बने नल की सफाई न होने से जलजमाव की स्थिति है और नल-जल योजना भी अधूरी है। कई घरों तक पानी नहीं पहुंच रहा है। 2. पंचायत में स्वास्थ्य केंद्र तो है, लेकिन पर्याप्त सुविधाएं नहीं हैं, जिससे मामूली बीमारी भी जानलेवा साबित हो रही है। 3. जरूरतमंदों को योजना का लाभ नहीं मिल रहा है, जबकि संपन्न लोगों को प्राथमिकता दी जा रही है। 4. हर साल बाढ़ से नुकसान होता है, लेकिन प्रभावित लोगों को मुआवजा नहीं मिलता या उनका नाम सूची से हटा दिया जाता है। 5. सोलर लाइट सीमित इलाकों में, खेल के मैदान नहीं, पोशाक राशि नहीं मिलना और सड़क पर बने टूटे नाले के कारण दुर्घटनाएं होती हैं। सुझाव: 1. अधूरे कार्यों को पूरा किया जाए और नियमित सफाई एवं निगरानी सुनिश्चित की जाए। 2. पर्याप्त डॉक्टर, दवाएं और एम्बुलेंस सेवा उपलब्ध कराई जाए, ताकि स्थानीय लोगों को समय पर इलाज मिल सके। 3. योजनाओं के पात्र लाभार्थियों की सूची सार्वजनिक की जाए और शिकायत निवारण तंत्र को प्रभावी बनाया जाए। 4. वास्तविक बाढ़ पीड़ितों को त्वरित मुआवजा मिले और हर साल बाढ़ पूर्व तैयारी की जाए। 5. सोलर लाइट, हाई मास्ट लाइट, खेल के मैदान, बच्चों की पोशाक एवं पोषण सामग्री की नियमित आपूर्ति सुनिश्चित की जाए और टूटी सड़कों तथा नालों की मरम्मत कराई जाए। ------------------------------------------- वर्ष 2005 में बने नल की सफाई न होने से जल जमाव की स्थिति है और नल जल योजना भी अधूरा है कई घरों तक पानी नहीं पहुंच रहा है। - जमीदार राय शिव कुंड के वार्ड नंबर 3 में आवास योजना का लाभ नहीं मिला जबकि तीन बेटे परदेस में कमा रहे हैं और हम फुस के मकान में जिंदगी काट रहे हैं। मक्के मकान वाले को आवास योजना का लाभ मिलता है। फुस के मकान वाले को योजनाओं से वंचित रखा जाता है। - शीतल राय जैसे बिहार में नाम की शराबबंदी है ठीक वैसे ही बिहार में नाम की सुंदर-सुंदर योजनाएं हैं, धरातल पर लोगों का शोषण ही हुआ है, जितना लाभ ग्रामीणों को नहीं मिलता उससे कई अधिक अधिकारी और दलाल लूट लेते हैं। ऋतुराज बसंत, व्यवसायी गांव की सड़क ऊबड़-खाबड़ हो गई है, जल जमाव होता है, स्कूल जाने वाले बच्चे, बूढ़े और बाहर से गंगा स्नान को आने वाले होते हैं परेशान - गुड्डू कुमार गांव में का बुजुर्गों को स्वास्थ्य सेवा की जरूरत है, बहुत कष्ट में है लेकिन किसी से अपना हाल नहीं बता सकते, कोई देख नहीं पता, कोई चल नहीं पता और कितनों को तो अपनी बीमारी का भी पता नहीं है। - हर्षित राय गांव में का बुजुर्गों को स्वास्थ्य सेवा की जरूरत है, बहुत कष्ट में है लेकिन किसी से अपना हाल नहीं बता सकते, कोई देख नहीं पता, कोई चल नहीं पता और कितनों को तो अपनी बीमारी का भी पता नहीं है। - सिकंदर राय नल जल ठीक से नहीं लगाया गया है, आए दिन पानी का पाइप फट जाता है, दिन में एक आधे घंटे के लिए पानी मिलता है वह भी धीमी गति से, और कितने घरों को तो पानी का कनेक्शन भी नहीं मिला। - विक्रम राय हमारे गांव में हर साल बाढ़ का पानी घुस जाता है, गली गली नौका भी घूमती इससे निजात दिलाने के लिए अभी तक कोई प्रयास नहीं हुआ है हर वर्ष पूरा गांव बाढ़ के कारण कैद हो जाता है। - रामाशीष राय बाढ़ का जो मुआवजा आता है, वाजिद जरूरतमंद लोगों को नहीं मिलता है, कई जरूरतमंदों का नाम भी काट दिया गया, कुछ अविवाहित लोगों को भी बाढ़ का पैसा मिला है, मुआवजा राशि में नाम जोड़ने के लिए कई लोगों से पैसे भी लिए गए। - काजू देवी यहां बहुत से ऐसे जरूरतमंद लोग हैं, जो आवास योजना के लाभ से वंचित है, गरीब मजदूरों के दुख को देखने वाला कोई नहीं है। - फुलो मनरेगा वाले मजदूर पर्व त्योहार में कर्ज में डूब जाते हैं, रोजगार और बुनियादी कमाई का अभाव है गांव की युवा अब निराशा हो रहे हैं। - पार्वती देवी गांव का जो मुख्य रोड है , ट्रक बेलगाम स्पीड से लोगों को भयभीत और कई बार जख्मी करता हुआ निकलता कई मामले तो दर्ज भी नहीं हो पाए, बीच बाजार में जब ट्रक फसता है ,कान का पर्दा फाड़ने वाला होरन बजाता है, पिछले हफ्ते एनएचएम पर कई बार जाम लगा है। - आशा हमारे बच्चों के लिए अच्छी शिक्षा की जरूरत है, जिनसे उनका भविष्य सुधर सके उनका रोजगार मिल सके, यहां तो समय से भोजन और पोशाक भी उपलब्ध नहीं है। - बिजली देवी हर घर से पलायन हो गया है, रोजी रोजगार के अभाव में हमारे घर वाले मजबूरी में प्रदेश का मान्य चले जाते हैं यहां उनके बुजुर्ग मां-बाप को देखने वाला कोई नहीं रहता, और मोदी जी मजदूरों को बढ़ावा देने के लिए ट्रेन खोल रहे हैं, फैक्ट्री खोल देते तो यहीं पर रोजगार उपलब्ध हो जाता है। - अनिता यह बहुत से ऐसे जरूरतमंद लोग हैं, जो आवास योजना के लाभ से वंचित है, गरीब मजदूरों के दुख को देखने वाला कोई नहीं है। - माला देवी हमको भी कुछ दीजिए साहब दिनभर धूप में बैठे रहते हैं रहने के लिए पक्का मकान नहीं है। आवास योजना का भी लाभ नहीं मिल रहा है हुजूर हमको भी कुछ दीजिए। - ललिता देवी शिवकुंड पंचायत में कई समस्याएं हैं। इन समस्याओं को वरीय अधिकारियों तक पहुंचाया गया है। नल जल की समस्या पीएचडी के संज्ञान में लाया गया है। शिवकुंड पंचायत में जहां कहीं यह समस्या है उसका जल्द समाधान हो जायेगा। नाली जाम की समस्या पंचायत स्तर से करायी जायेगी। कई स्थानों पर हाई मास्ट लाइट की मांग है, उसे लगवायी जायेगी। इसके अलावा जितने भी कार्य उससे जिलाधिकारी अवनीश कुमार सिंह को अवगत कराया जायेगा। राकेश कुमार, बीडीओ, धरहरा
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