बोले जमुई : टेलवा के फेमस 'छेना मुरकी' को मिले जीआई टैग तो बढ़े कारोबार
सिमुलतला की 'छेना मुरकी' मिठाई देश-विदेश में प्रसिद्ध है। यह देसी गाय के दूध से बनी छेना और चीनी से तैयार होती है। इसकी कीमत 400 रुपये प्रति किलो है। यहां के मिठाई दुकानदार जीआई टैग की मांग कर रहे...
सिमुलतला में बनने वाली 'छेना मुरकी' मिठाई की पहचान देश-विदेश तक है। यह मिठाई देसी गाय के शुद्ध दूध से बने छेना और चीनी से बनाई जाती है। यह मिठाई सिमुलतला ही नहीं बिहार झारखंड सहित दिल्ली व कोलकाता जैसे बड़े शहरों में भी काफी लोकप्रिय है। यह 400 प्रति किलो बेची जाती है। इस धंधे से जुड़े लोगों की हालत बहुत अच्छी नहीं है। स्वरोजगार के नाम पर ये लोग वर्षों से यह काम कर रहे हैं। हिन्दुस्तान के साथ संवाद के दौरान यहां के कारीगरों ने मिठाई को जीआई टैग देने की मांग उठाई। साथ ही अपनी परेशानी बताई।
02 सौ 50 से अधिक दुकानों में बेची जाती है छेना मुरकी मिठाई
05 सौ एक हजार रुपये तक हो जाती है प्रतिदिन की कमाई
05 हजार लोग आश्रित हैं मिठाई बनाने के कारोबार पर
प्रकृति की गोद में बसा सिमुलतला जमुई की शान है। यहां पुराने खंडहर, लट्टू पहाड़ और बिहार सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट टॉपर्स की फैक्ट्री सिमुलतला आवासीय विद्यालय भी है। बिहार का मिनी शिमला के नाम से प्रसिद्ध सिमुलतला की शुद्ध प्राकृतिक आबोहवा के तरह यहां की मिठाई भी प्रसिद्ध है। देसी गाय की दूध से बने शुद्ध छेना से बनने वाली यह मिठाई छेना मुरकी के नाम से प्रसिद्ध है। यह मिठाई स्वाद और शुद्धता के लिए जाना जाता है। यहां की सुंदर वादियों का दीदार करने आने वाले सैलानी इस व्यंजन का लुत्फ उठाते हैं। जाते समय 'छेना मुरकी' ले जाना नहीं भूलते। सिमुलतला आने जाने वाले सभी सगे संबंधी एवं राहगीर इस मिठाई को ही संदेश के तौर पर ले जाते हैं।
सिमुलतला की मिठाई को मिले जीआई टैग :
सिमुलतला के प्रसिद्ध निर्मल मिठाई दुकान व मनोज मिठाई दुकान के दुकानदार कहते हैं कि इस मिठाई को बनाना बड़ा सरल है पर यह केवल शुद्ध देसी छेना (पनीर) से ही बनाई जाती है। इस मिठाई का सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इस मिठाई में देसी गाय की दूध से बनी छेना और चीनी के अलावा कुछ भी नहीं होता गौरतलब है कि इस मिठाई को सिमुलतला के अलावा और किसी अन्य स्थल पर अब तक नहीं बनाया जाता है। बुद्धिजीवियों की मानें तो इस मिठाई को अंतरप्रांतीय ख्याति मिल रही है। लेकिन सिमुलतला में ही इस मिठाई को बड़े पैमाने पर निर्मित कर आयात-निर्यात के मानक पर रखा जाए तो इसकी प्रसिद्धि का ग्राफ और स्थानीय दुकानदारों के आय में भी बढ़ोतरी होगी। जीआई टैग मिले। इससे सिमुलतला में जहां रोजगार का सृजन संभव हो सकेगा, वहीं युवा भी आत्मनिर्भरता की राह पर अग्रसर हो सकेंगे।
देसी गाय के दूध से ही बनती है मिठाई :
मिठाई दुकानदार निर्मल यादव कहते हैं कि बढ़ती महंगाई की मार से दुकानदारी पर भी काफी असर पड़ा है। लगातार गैस सिलिंडर, चीनी व पशु चारा की कीमत में बढ़ोतरी के कारण व्यवसाय में भी प्रभाव पड़ा है। रही बात छेना मुरकी की तो छेनामुरकी देसी गाय के दूध से बनी शुद्ध छेना और चीनी व पानी के मदद से बनाई जाती है। यह मिठाई सिमुलतला के दुकानदार ही बनते हैं। देश के किसी भी शहर में यह शुद्धता और स्वाद का प्रतीक छेनामुरकी नहीं बनाया जाता है। इसका मुख्य कारण है कि जर्सी गाय या भैंस के दूध से बने पनीर की यह मिठाई नहीं बनाई जाती है। छेना मुरकी की बिहार के साथ-साथ बंगाल व दिल्ली में भी डिमांड है। मिठाई दुकानदार मनोज यादव कहता है कि छेना मुरकी मिठाई की मांग हमेशा रहती है। ठंड के मौसम में आनंद विहार के लिए आने वाले सैलानी हो या फिर राज्य व देश के बड़े-बड़े नेता व सेलिब्रिटी, जो एक बार इस मिठाई का स्वाद चख लेता है, उसे वह भूल नहीं पाता। अपने घर जरूर ले जाते हैं।
शिविर लगाकर दी जाए योजनाओं की जानकारी :
इस कारोबार से जुड़े लोगों का कहना है कि हमें सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिलता है। इसका मुख्य कारण योजनाओं की जानकारी का अभाव है। वहीं दूसरी ओर हम कम पढ़े-लिखे हैं। इसके कारण भी हम लाभ से वंचित हैं। ऐसे में सरकारी योजनाओं के लाभ के लिए कैंप का आयोजन करना चाहिए ताकि हमें भी सरकारी योजनाओं का लाभ मिल सके। उन्होंने बताया कि उनकी आर्थिक स्थिति इतनी कमजोर है कि अपना बीमा नहीं कर सकते हैं। ऐसे में हमारे साथ हादसा होने पर परिवार आर्थिक रूप से बिखर जाता है। सरकार को इस कारोबार से जुड़े लोगों को चिह्नित कर बीमा करना चाहिए ताकि उनके साथ कोई अनहोनी होने पर परिवार के सदस्यों को बीमा का लाभ मिल सके। धंधे में मुनाफा इतना कम है कि इसका विस्तार नहीं हो पाता है।
सहायता मिले तो बढ़ेगा कारोबार :
नई पीढ़ी को इस काम से नहीं जोड़ा जा सकता है। यदि छोटे उद्योग के रूप में इसे स्थापित करने के लिए सहायता मिलती तो इसका विस्तार हो सकता था। इसके साथ ही नई मशीनों के बारे में जानकारी देने के साथ ही सब्सिडी पर उपलब्ध कराएं तो सहूलियत होती। इस काम में बहुत लोग जुटे हुए हैं लेकिन मुनाफा ज्यादा नहीं हो पा रहा है। देर रात तक जाग जाकर काम करने से आंखों की रोशनी पर भी प्रभाव पड़ता है। कई बार अनिद्रा के शिकार हो जाते हैं। सरकारी तंत्र की ओर से हमें कोई रियायत अथवा सुविधा नहीं मिलती। अच्छी शिक्षा की व्यवस्था नहीं होने से उनके बच्चे अशिक्षा का शिकार हो रहे हैं। घर की महिलाएं अभी दिन-रात उनके साथ रहकर काम करती हैं।
परंपरागत पेशा छोड़ रहे युवा:
समुदाय के लोग अब पारंपरिक पेशे तक सीमित नहीं हैं बल्कि अन्य क्षेत्रों में भी योगदान दे रहे हैं। फिर भी बड़ी तादाद में हलवाई मिठाई बनाने-बेचने का कारोबार करते हैं। उन्होंने बताया कि हलवाई की नई पीढ़ी परंपरागत पेशे के बजाय दूसरा कारोबार कर रहे हैं, जबकि युवाओं की चाहत पढ़-लिखकर नौकरी करने की है और दर्जनों प्रतिष्ठित पदों पर कार्यरत भी हैं। अधिकतर मध्यम वर्गीय हैं। रोज कमाने और खाने वाले हैं। सरकार की ओर से इस समाज के लिए कोई पहल नहीं हो रही है। वे अपने बलबूते पर संघर्ष कर आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने बताया कि हलवाई के परंपरागत कौशल को बचाने की पहल होनी चाहिए। इन्हें कारीगर मानकर प्रशिक्षण आदि देने की आवश्यकता है।
शिकायत
1. स्थानीय प्रशासन स्थाई दुकान नहीं देता है।
2. शिविर लगाकर स्मार्ट कार्ड नहीं बनाया जा सका है।
3. इस कार्य में जुड़े लोगों को प्रधानमंत्री आवास योजना से नहीं जोड़ा जा सका।
4. आज भी अशिक्षा का माहौल है जिससे परेशानी होती है।
5. सरकारी योजना से जोड़कर विशेष प्रशक्षिण नहीं दिया जाता है।
सुझाव
1. सरकार की ओर से चल रहे महत्वाकांक्षी योजनाओं का लाभ उपलब्ध कराया जाए।
2. कम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराया जाए।
3. ऋण उनके लिए बोझ नहीं बने बल्कि सार्थक बने, स्थाई दुकान का हो प्रबंध।
4. इस कारोबार से जुड़े लोगों को नई तकनीक से जोड़ने के लिए प्रशक्षिण दिया जाए।
5. उद्योग विभाग के अधिकारी जरूरतमंद लोगों को आसानी से ऋण उपलब्ध कराने की व्यवस्था करें।
सुनें हमारी बात
सिमुलतला स्वास्थ्यवर्धक क्षेत्र है। इसके साथ छेना मुरकी का आनंद सिर्फ सिमुलतला में ही मिलता है। मुझे यह मिठाई काफी पसंद है।
-संजय पांडेय, शिक्षक
छेना मुरकी सिमुलतला की प्रसिद्ध मिठाई है। जब भी कोई मेहमान सिमुलतला आते हैं तो छेना मुरकी की मांग करते हैं। जो लोग डायबिटीज से ग्रस्त हैं वे इसे धोकर आराम से खा सकते हैं।
-मनोज कुमार
छेना मुरकी मात्र सिमुलतला में बनाई जाती है। इसे जीआई टैग देना चाहिए। जिला अधिकारी को पहल करनी चाहिए। यह मिठाई गिने-चुने परिवारों के लोग ही बना पाते हैं, जिन्हें पूर्वजों ने सिखाया हो।
-आलोक राज
मिठाई की मांग तो काफी है लेकिन महंगाई के कारण गरीब लोग मिठाई खाने से वंचित हो रहे हैं। सिर्फ पेशेवर लोग ही इस मिठाई को खा पाते हैं।
-नागेश्वर यादव
मिठाई दुकानदार कहते हैं कि छेना मुरकी देहात की छोटी गायों के दूध से बने छेना से ही बनती है। बाजार में मिलने वाले पनीर से यह मिठाइयां नहीं बन पाती है।
-ब्रह्मदेव यादव
इस मिठाई को बड़े पैमाने पर बनाकर परदेस भेजा जाए तो यहां के लोगों का रोजगार बढ़ेगा। लेकिन इसके लिए सरकार को पहल करनी होगी।
-पंकज कुमार
शादी विवाह या कोई भी फंक्शन हो, छेना मुरकी मिठाई की डिमांड काफी रहती है। दिन-रात मेहनत कर मिठाई तो बनाने हैं लेकिन डिमांड के हिसाब से मुनाफा कम होता है।
-रामदेव यादव
सिमुलतला की छेना मुरकी की प्रसिद्धि दिल्ली से कोलकाता तक है। महंगाई के दौर में छेना मुरकी 400 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बिकती है।
-धर्मेंद्र कुमार यादव
यह मिठाई सिमुलतला ही नहीं बिहार-झारखंड सहित दिल्ली व कोलकाता जैसे बड़े शहरों में भी काफी लोकप्रिय है। इस धंधे से जुड़े लोगों की हालत बहुत अच्छी नहीं है।
- दीपू यादव
इस कारोबार से जुड़े लोगों को किसी प्रकार का अनुदान नहीं मिलता। लोन की सुविधा उपलब्ध कराने को पारदर्शी नीति बननी चाहिए। इस पर ध्यान नहीं दिया जाता है।
- सलाहउद्दीन अंसारी
मिठाई को तैयार करने वाला काम कम जोखिम वाला नहीं होता। कारीगरों के बेहतर इलाज की व्यवस्था होनी चाहिए। सरकारी योजना का लाभ हमलोगों के पास नहीं पहुंच पाता है।
-उमेश कुमार
अगर सरकार थोड़ी मदद करे तो आमदनी में सुधार हो सकता है। सरकार हमारे लिए योजना चलाए। उत्थान के लिए सरकार से चलने वाली योजनाओं का लाभ दिलाने का प्रयास किया जाए।
-चिंटू कुमार
छेना मुरकी मिठाई सिर्फ सिमुलतला में ही मिलती है क्योंकि यह देसी गाय के दूध से बने छेना से बनता है। जर्सी गाय या भैंस के दूध के छेना से यह मिठाई नहीं बन पाती है।
-हैदर अली
सरकार की ओर से मिलने वाले ऋण की सुविधा के बारे में जानकारी नहीं है। शिविर लगाकर सरकार सभी योजनाओं की जानकारी मुहैया कराए ताकि हम लाभ ले सकें।
-रामजतन लाल
इस कारोबार से जुड़े अधिकांश लोग अशिक्षा और अज्ञानता के कारण सरकार की ओर से मिलने वाली सुविधाओं को हासिल करने के तरीके से अनभिज्ञ हैं। कारोबारियों को इसका लाभ मिलना चाहिए।
- डॉ. नवनीत श्रीवास्तव
छेना मुरकी बेचने पर जो कमाई होती है, इसी पर पूरा परिवार निर्भर है। सरकार की ओर से हम सभी के कल्याण के लिए कोई कारगर कदम नहीं उठाया जा रहा है।
-इंद्रदेव यादव
बोले जिम्मेदार
हलवाई समाज के लिए उद्योग विभाग कई योजनाओं का संचालन कर रहा है। मुख्यमंत्री उद्यमी योजना, बिहार लघु उद्यमी योजना, प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्त्रम, प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यम औपचारीकरण योजना के माध्यम आवेदन मिलने पर हलवाई, होटल, रेस्टोरेंट से जुड़े लोगों को लाभ दिया जा रहा है। प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यम औपचारिकरण योजना नए उद्यम लगाने के साथ साथ जो पहले से अपना काम कर रहे उसके विस्तार के लिए भी इस योजना का लाभ ले सकते हैं। अधिकतम 50 लाख का ऋण ले सकते हैं। उद्योग विभाग के तरफ से अधिकतम 35% की सब्सिडी मिलती है। बिहार लघु उद्यमी योजना के तहत कई लाभार्थियों का चयन भी किया गया है। योजना का लाभ लेने के लिए ऑनलाइन आवेदन करना होगा।
-मितेश कुमार शांडिल्य, महाप्रबंधक, जिला उद्योग केंद्र, जमुई
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