Teli Community Demands Recognition and Representation in Bihar s Political Landscape बोले मुंगेर : भामाशाह जयंती पर राज्य में 23 अप्रैल को हो अवकाश, Bhagalpur Hindi News - Hindustan
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बोले मुंगेर : भामाशाह जयंती पर राज्य में 23 अप्रैल को हो अवकाश

भारत के तेली समाज ने मुंगेर में संवाद कार्यक्रम आयोजित किया, जिसमें उन्होंने अपनी समस्याओं और मांगों को साझा किया। भामाशाह की जयंती को राजकीय अवकाश घोषित करने, राजनीतिक प्रतिनिधित्व बढ़ाने और...

Newswrap हिन्दुस्तान, भागलपुरThu, 24 April 2025 11:07 PM
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बोले मुंगेर : भामाशाह जयंती पर राज्य में 23 अप्रैल को हो अवकाश

भारत के विकास, राष्ट्रनिर्माण और सामाजिक संरचना में अनेक जातियों और समुदायों का योगदान रहा है। इन्हीं में से एक है तेली समाज, जिसने न केवल आर्थिक विकास में बल्कि राष्ट्रीय आंदोलन और सामाजिक उत्थान में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आज यह समाज कई समस्याओं से ग्रसित है। उनकी समस्या को लेकर मुंगेर के बेकापुर में हिन्दुस्तान के 'बोले मुंगेर' अभियान के तहत एक संवाद कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसमें मुंगेर जिले के तेली समाज के लोगों ने अपनी समस्याओं और मांगों को मुखर रूप से प्रस्तुत किया। उनकी आवाज न केवल स्थानीय प्रशासन के लिए, बल्कि पूरे बिहार के लिए एक चेतावनी है कि इस समाज को अब और अनदेखा नहीं किया जा सकता।

01 लाख पांच हजार है जिले में तेली समाज के लोगों की जनसंख्या

28 हजार मतदाता हैं केवल मुंगेर विधानसभा क्षेत्र में तेली समाज के

01 सौ लोग तेल का जबकि पांच हजार अन्य व्यवसाययों से हैं जुड़े

संवाद कार्यक्रम में लोगों ने बताया कि हमारे समुदाय के गौरव, महान राष्ट्रभक्त भामाशाह का नाम आज भी इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में अंकित है। उन्होंने न केवल अपनी सम्पत्ति बल्कि अपने प्राणों से भी राष्ट्र की सेवा की, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत है। उनकी जयंती हर वर्ष 23 अप्रैल को हम तेली समाज पूरे देश में श्रद्धा और सम्मान के साथ मनाते है। यह तिथि हमारे केवल एक पर्व नहीं, बल्कि तेली समाज की चेतना, आत्मबल और योगदान का प्रतीक बन चुकी है। हमारे समाज एवं देश के लिए उनके योगदान को हम भुला नहीं सकते हैं। लेकिन, सरकारी स्तर पर आज तक उनके योगदान को सम्मानित नहीं किया जा सका है। उन्होंने कहा कि, हमारी पहली और प्रमुख मांग यह है कि, 23 अप्रैल को 'भामाशाह जयंती' के रूप में बिहार सरकार राजकीय अवकाश घोषित करे। यह न केवल एक ऐतिहासिक विरासत का सम्मान होगा, बल्कि इस समुदाय के गौरव को सरकारी स्तर पर पहचान देने का कार्य भी होगा।

राजनीतिक उपेक्षा और प्रतिनिधित्व की कमी:

उनका कहना था कि तेली समाज का प्रतिनिधित्व आज भी राजनीतिक मंचों पर नगण्य है। मुंगेर जिले में तेली समाज की जनसंख्या लगभग 1,05,000 है, जिसमें से केवल मुंगेर विधानसभा क्षेत्र में ही 28,000 से अधिक मतदाता इस जाति से आते हैं। पूरे बिहार में इस समाज की जनसंख्या लगभग 6 प्रतिशत है, फिर भी लोकसभा में एक भी सांसद इस समाज से नहीं है, जो लोकतांत्रिक सिद्धांतों का सीधा उल्लंघन है। अतः लोकसभा, विधानसभा, राज्यसभा एवं विधान परिषद में तेली समाज को जनसंख्या के अनुपात में उचित प्रतिनिधित्व मिले। बिहार विधानसभा में कम-से-कम 25 प्रतिशत सीटों पर हमारे समाज की भागीदारी सुनिश्चित की जाए।

व्यावसायिक वर्ग की सुरक्षा और सुविधाएं:

हम तेली समाज के लोग व्यवसाय, उत्पादन और सेवा क्षेत्र में सदैव अग्रणी रहे हैं। मुंगेर में तेल व्यवसाय से हमारे समाज के लगभग 100 व्यापारी सीधे जुड़े हैं, जबकि 5000 से अधिक व्यापारी अन्य व्यवसायों से भी संबंध रखते हैं। हम राज्य को सबसे अधिक टैक्स देने वाले वर्गों में शामिल हैं, इसके बावजूद बाजारों में हमारी सुरक्षा व्यवस्था नगण्य है। बाजार में कहीं भी सुरक्षा के मद्देनजर सीसीटीवी जैसी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं। लूटपाट, धमकी और आपराधिक घटनाएं आम हो चुकी हैं। हमारा तेली समाज भी दिन-प्रतिदिन हो रहे अत्याचार और हमलों का सामना कर रहा है। ऐसे में, सरकार एवं प्रशासन की यह संवैधानिक जिम्मेदारी है कि वह तैलिक साहू समाज एवं व्यावसायियों की सुरक्षा सुनिश्चित करे। इसके लिए हमारे व्यवसायिक वर्ग को सुरक्षा देने के लिए लाइसेंसी हथियार जारी किए जाएं। इसके साथ ही बाजारों में जगह-जगह सीसीटीवी कैमरे लगाए जायें और पुलिस गश्ती की समुचित व्यवस्था हो। व्यापारियों के लिए टैक्स के अनुपात में इंश्योरेंस और पेंशन योजनाएं लागू की जाएं।

तेली धानी बोर्ड की हो स्थापना :

उन्होंने कहा कि हमारे समाज के समग्र विकास के लिए कुछ विशेष संस्थागत संरचनाएं भी आवश्यक हैं। क्योंकि विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं का लाभ हमारे समाज के निचले स्तर के लोगों तक नहीं पहुंच पाता है। इसके तहत 'तेली धानी बोर्ड (बिहार राज्य)' की स्थापना की जाए, ताकि विभिन्न कल्याणकारी योजनाएं हमारे समाज के निचले स्तर तक पहुंच सके। इसके लिए व्यवसायिक आयोग का भी गठन किया जा सकता है, जिससे व्यवसायिक वर्ग की समस्याएं सीधे शासन तक पहुंचें और उसका समाधान हो।

सड़क एवं बुनियादी ढांचे की दुर्दशा:

मुंगेर बाजार की सड़कें आज जर्जर और दयनीय स्थिति में हैं। व्यापार, आवागमन और आमजन की दिनचर्या इस वजह से बुरी तरह प्रभावित हो रही है। इससे हमारे समाज के व्यवसाईयों का व्यवसाय भी प्रभावित होता है। अतः प्रशासन को चाहिए कि तत्काल सड़क मरम्मत का कार्य प्राथमिकता के आधार पर कराये। उनका कहना था कि, तेली समाज अब और उपेक्षा, अन्याय और अनदेखी सहन नहीं करेगा। यह समाज अब जागरूक, संगठित और निर्णायक है। यदि सरकार और राजनीतिक दल इस समाज की मांगों पर समय रहते ध्यान नहीं देते, तो आगामी चुनावों में तेली समाज अपनी शक्ति और एकता का प्रदर्शन अवश्य करेगा। राष्ट्रभक्त भामाशाह की विरासत को केवल स्मरण नहीं, सम्मान चाहिए और वह तभी संभव है जब तेली समाज को उसका अधिकार प्राप्त हो।

शिकायत

1. भामाशाह जैसे ऐतिहासिक राष्ट्रभक्त को सरकारी स्तर पर सम्मान नहीं मिला है। उनकी जयंती को अब तक राजकीय अवकाश घोषित नहीं किया गया है।

2. जनसंख्या के अनुपात में तेली समाज को लोकसभा, विधानसभा और अन्य राजनीतिक मंचों पर उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिल रहा है।

3. व्यापारिक स्थलों पर सीसीटीवी, पुलिस गश्ती जैसी बुनियादी सुरक्षा व्यवस्था नहीं है। लूट और धमकी जैसी घटनाएं आम हो चुकी हैं।

4. तेली समाज के निचले स्तर तक कल्याणकारी योजनाएं नहीं पहुंच पा रही हैं। क्योंकि, इनके लिए कोई विशेष संस्थागत ढांचा नहीं है।

5. मुंगेर बाजार की सड़कें जर्जर हैं, जिससे व्यापार और आम जनजीवन प्रभावित हो रहा है।

सुझाव:

1. भामाशाह जयंती को राजकीय अवकाश घोषित किया जाए, ताकि इस समुदाय के ऐतिहासिक योगदान को सरकारी मान्यता मिले।

2. राजनीतिक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जाए। विधानसभा, लोकसभा, राज्यसभा व परिषद में जनसंख्या के अनुपात में भागीदारी दी जाए।

3. व्यवसायिक सुरक्षा के लिए सीसीटीवी, पुलिस गश्ती और लाइसेंसी हथियारों की सुविधा उपलब्ध कराई जाए।

4. ‘तेली धानी बोर्ड की स्थापना की जाए और एक व्यवसायिक आयोग गठित किया जाए, ताकि योजनाओं का लाभ समाज के हर वर्ग तक पहुंचे।

5. मुंगेर बाजार की सड़कों की मरम्मत कार्य प्राथमिकता के आधार पर शुरू कराया जाए, जिससे व्यापार और आवागमन सुचारु हो सके।

सुनें हमारी बात

तैलिक समाज को सरकार में कोई भी भागीदारी नहीं मिलती है। बिहार विधानसभा, विधान परिषद या किसी भी आयोग में इस समुदाय की उपस्थिति नगण्य है, अपवाद छोड़कर।

-अमित कुमार आकाश

शहर की जर्जर सड़कों की मरम्मत आवश्यक है, क्योंकि थोड़ी सी बारिश में ही जलजमाव से राहगीरों को भारी परेशानी होती है।

-रघुवंश बबलू गुप्ता

बरसात के समय सड़कें कीचड़ में तब्दील हो जाती हैं और गड्ढों का अंदाजा लगाना मुश्किल हो जाता है, जिससे आवागमन बाधित होता है। जनप्रतिनिधियों को इस पर शीघ्र ध्यान देना चाहिए।

-रामप्रसाद साह

देश और समाज में महत्वपूर्ण योगदान के बावजूद तैलिक समाज लगातार उपेक्षित रहा है, जिस पर सरकार को गंभीरतापूर्वक विचार करना चाहिए।

-राजीव कुमार गुप्ता

निजी विद्यालयों में अतिरिक्त शुल्क के बोझ से आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।

-साहु जितेंद्र भूषण

ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध मुंगेर जिला आज विकास की दौड़ में पिछड़ता जा रहा है। कमिश्नरी मुख्यालय होने के बावजूद सुरक्षा और बुनियादी सुविधाओं की कमी से लोग गंभीर संकट में हैं।

-मनोज कुमार गुप्ता

तैलिक समाज पर हो रहे निरंतर हमलों और अत्याचारों पर रोक लगाई जाए तथा व्यवसायियों की सुरक्षा हेतु लाइसेंसी हथियार दिए जाएं।

-साहु अमित कुमार

लोकसभा, विधानसभा, राज्यसभा एवं विधान परिषद में तैलिक समाज को जनसंख्या के अनुपात में भागीदारी मिलनी चाहिए और समाज पर हो रहे अत्याचारों पर तुरंत रोक लगनी चाहिए।

-यज्ञदीप

शहर में पर्याप्त रोशनी की व्यवस्था नहीं है। अधिकांश क्षेत्रों में हाईमास्ट लाइटें या तो लगी नहीं हैं या खराब हैं, जिससे रात्रिकालीन सुरक्षा बाधित होती है।

-विकास आनंद

समाज द्वारा दिए गए योगदान के बावजूद यह समुदाय आज भी घोर उपेक्षा का शिकार है, जिस पर सरकार को तत्काल ध्यान देना चाहिए।

-कैलाश कुमार

राष्ट्रभक्त भामाशाह की जयंती 23 अप्रैल को राजकीय अवकाश घोषित किया जाए और राजनीतिक दलों को इस समाज को उचित प्रतिनिधित्व देने की दिशा में ठोस कदम उठाने चाहिए।

-वेद प्रकाश गुप्ता

आजादी के सात दशक बाद भी राजनीतिक भागीदारी में तैलिक समाज की उपस्थिति नगण्य है। जबकि हम सरकारें बनाते हैं और टैक्स से देश की अर्थव्यवस्था को गति देते हैं।

-दीपक कुमार

थोड़ी सी हवा या बारिश में बिजली के तार टूट जाते हैं, जिससे बिजली आपूर्ति बाधित होती है। यदि तारों को अंडरग्राउंड किया जाए, तो व्यापार निर्बाध रूप से चल सकेगा।

-अजीत कुमार छोटू

यदि मुंगेर स्टेशन पर सभी ट्रेनों का ठहराव सुनिश्चित किया जाए, तो शहर का विकास होगा, व्यापार बढ़ेगा और सरकार का राजस्व भी बढ़ेगा।

-राजेंद्र कुमार गुप्ता

व्यापारियों की सुरक्षा के लिए शहर में सीसीटीवी की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए और टैक्स के अनुपात में उन्हें इंश्योरेंस की सुविधा भी प्रदान की जानी चाहिए।

-आदित्य कुमार

बिहार में तैलिक समाज की जनसंख्या अधिक होने के बावजूद यह समाज मुख्यधारा से दूर है। अतः बिहार में 'तेल धानी बोर्ड' का गठन किया जाए।

-नीरज कुमार बंटी

बोले जिम्मेदार

राष्ट्रभक्त भामाशाह की जयंती पर सरकारी अवकाश घोषित किए जाने की मांग को लेकर साहू समाज के लोगों द्वारा इस विषय में अब तक हमसे कोई औपचारिक चर्चा नहीं की गई है। इस समाज के कई विधायक, सांसद और विभिन्न राजनीतिक दलों के पदाधिकारी हमारे दल में शामिल हैं। हम उनसे इस मुद्दे पर चर्चा करेंगे। सभी लोगों की सहमति से हम आगामी सत्र में इस विषय को विधानसभा में उठाएंगे और सरकार का ध्यान आकर्षित कराएंगे। भामाशाह जैसे राष्ट्रभक्त की विरासत को सम्मान देने के लिए हर संभव प्रयास किया जाएगा।

-प्रणव कुमार यादव, विधायक, मुंगेर विधानसभा क्षेत्र

बोले मुंगेर फॉलोअप

21 हजार मासिक वेतन व स्थायीकरण को ले आशा ने किया सत्याग्रह

मुंगेर, निज प्रतिनिधि। बोले मुंगेर के तहत बीते 23 जनवरी को आशा कार्यकर्ताओं की समस्याओं एवं उनकी मांग को लेकर हिन्दुस्तान ने संवाद कार्यक्रम आयोजित किया था। इसमें आशा कार्यकर्ताओं ने प्रमुखता से अपनी समस्या और मांग उठाई थी। उनकी समस्याओं एवं मांग के संदर्भ में संबंधित पदाधिकारी ने स्थानीय समस्याओं को यथाशीघ्र सुलझाने का आश्वासन दिया था। कहा था कि नीतिगत मामले में सरकार ही कोई निर्णय ले सकती है। अब आशा कार्यकर्ताओं की समस्याओं को उठाए हुए ढाई महीने से अधिक होने के बाद भी वह उनकी समस्याएं जस की तस हैं। ऐसे में गुरुवार को प्रधानमंत्री के मधुबनी जिला में आगमन के मौके पर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सदर, मुंगेर के प्रांगण में आशा ने शांति पूर्ण सत्याग्रह का आयोजन कर आवाज उठाई। यह प्रदर्शन बिहार राज्य आशा कार्यकर्ता संघ गोपगुट की मुंगेर जिला शाखा की अध्यक्षा उषा देवी के नेतृत्व में किया गया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मधुबनी के दौरे पर हैं लेकिन आशा के लिए कुछ भी नहीं किया जा रहा है और न ही बजट में ही कुछ रखा गया है। इससे राज्य की एक लाख आशा में भारी आक्रोश है। वहीं, संघ की नेता कल्याणी कुमारी ने कहा कि पिछली हड़ताल के दरम्यान आशा को मानदेय भुगतान करने जैसे हुए समझौते थे। लेकिन सरकार इन समझौते को लागू नहीं कर रही है। उल्टे सरकार ने 6 माह से सभी मदों की राशि बंद कर रखी है। ऐसे में हमारे समक्ष आर्थिक कठिनाई उत्पन्न हो गई है। सरकार से हमारी फिर से मांग है कि वह आशा कार्यकर्ता एवं आशा फैसिलिटेटर को 21000 रुपए मासिक मानदेय भुगतान करने के साथ-साथ सेवा स्थाई करे। अन्यथा इसका खामियाजा सरकार को भुगतना पड़ेगा। प्रदर्शन को मीना सरकार, मेहरुन्निसा, चंद्रा राय, फूलबती, पूनम कुमारी आदि ने भी संबोधित किया।

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