बिहार में जमीन मालिकों को राहत की आस, वंशावली घोषित करने की बढ़ सकती है समय सीमा
- मंत्री ने कहा कि अब तक आम लोगों के द्वारा की जा रही शिकायतों की निगरानी नहीं हो पा रही है। विभाग ने इसके लिए ऑनलाइन कम्प्लेन पोर्टल विकसित करने का निर्णय लिया है। इससे यह आसानी से पता चल सकेगा कि किसने शिकायत की और उनकी शिकायत पर क्या कार्रवाई की गई।

बिहार में रैयतों को स्वघोषणा और वंशावली घोषित करने की समय सीमा बढ़ाई जा सकती है। राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री संजय सरावगी ने बुधवार को विधानसभा में इसके संकेत दिए हैं। अब तक लगभग 84 लाख लोगों ने स्वघोषणा कर दी है। स्वघोषणा की समय सीमा एक बार पहले बढ़ाई जा चुकी है।
विधानसभा में विभागीय बजट पर हुए विमर्श के बाद उत्तर देते हुए सरावगी ने कहा कि सर्वे दिसम्बर 2026 तक होना है। रैयतों को 31 मार्च तक स्वघोषणा करनी है। लेकिन सॉफ्टवेयर में खराबी के चलते बीते कुछ महीनों में रैयतों को परेशानी हुई है। प्रमंडलों से इसकी रिपोर्ट मांगी गई है। इसके बाद समय सीमा बढ़ाने पर सरकार विचार करेगी। उन्होंने कहा कि राज्य में मठ-मंदिरों के पास कितनी जमीन है, इसका ब्योरा नहीं है। मठ-मंदिर की जमीन को ऑनलाइन पोर्टल पर अपलोड किया जाएगा।
शिकायत के लिए पोर्टल
मंत्री ने कहा कि अब तक आम लोगों के द्वारा की जा रही शिकायतों की निगरानी नहीं हो पा रही है। विभाग ने इसके लिए ऑनलाइन कम्प्लेन पोर्टल विकसित करने का निर्णय लिया है। इससे यह आसानी से पता चल सकेगा कि किसने शिकायत की और उनकी शिकायत पर क्या कार्रवाई की गई। इस सुविधा की शुरुआत 10-15 दिनों में हो जाएगी।