Minister Criticizes Hospital Mismanagement Demands Better Patient Care रिवाइज : सदर अस्पताल की कुव्यवस्था देख बिफरे मंत्री, लगायी फटकार, Biharsharif Hindi News - Hindustan
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रिवाइज : सदर अस्पताल की कुव्यवस्था देख बिफरे मंत्री, लगायी फटकार

सदर अस्पताल की कुव्यवस्था देख बिफरे मंत्री, लगायी फटकार सदर अस्पताल की कुव्यवस्था देख बिफरे मंत्री, लगायी फटकार

Newswrap हिन्दुस्तान, बिहारशरीफSun, 18 May 2025 10:12 PM
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रिवाइज : सदर अस्पताल की कुव्यवस्था देख बिफरे मंत्री, लगायी फटकार

सदर अस्पताल की कुव्यवस्था देख बिफरे मंत्री, लगायी फटकार कहा, मरीजों की सेवा नहीं करनी है तो दे दें इस्तीफा रात में गार्ड बन जाते हैं स्वास्थ्यकर्मी, डॉक्टर फरमाते हैं आराम मरीज को बिना हाथ लगाए गार्ड के बताए हाल पर डॉक्टर लिखते हैं दवाएं डीएम को सप्ताह में एक बार अस्पताल का निरीक्षण करने की दी सलाह फोटो : मंत्री सुनील : मॉडल हॉस्पिटल का रविवार को मुआयना करते वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉ. सुनील कुमार व अन्य। बिहारशरीफ, एक संवाददाता। अस्पतालों में मरीजों की सेवा नहीं करनी है तो आप (डॉक्टर) इस्तीफा दे दें। अगर यहां रहना है, तो हर हाल में रोगियों की इलाज व सेवा करनी होगी।

रविवार को मॉडल हॉस्पिटल की व्यवस्था देखने पहुंचे वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉ. सुनील कुमार ने यहां की अव्यवस्था देख स्वास्थ्यकर्मियों की जमकर क्लास ली। उन्होंने इस दौरान वहां तैनात स्वास्थ्यकर्मियों से कई जानकारियां भी लीं। इस दौरान वे काफी कड़े तेवर में दिखे। डॉ. सुनील कुमार ने कहा कि व्यवस्थाएं बदली हैं, अस्पतालों में भवन से लेकर मशीनें और दवाओं की उपलब्धता बढ़ी है। मानवबल भी बढ़े हैं। ऐसे में आपको (स्वास्थ्यकर्मी) रोगियों का सही तरीके से इलाज भी करना होगा। उन्होंने बताया कि कई रोगियों ने उनसे शिकायत की थी। रोगियों के परिजनों ने कहा था कि रात में गार्ड ही स्वास्थ्यकर्मी बन जाते हैं। रात में डॉक्टर अपने चैंबर में ही आराम फरमाते हैं। उस समय मरीज को बिना हाथ लगाए गार्ड के बताए हाल पर ही डॉक्टर रोगियों के पर्चे पर दवा लिख देते हैं। इस सूचना के बाद उन्होंने मॉडल हॉस्पिटल का रविवार को औचक निरीक्षण किया। वहीं लगे हाथों उन्होंने डीएम को सप्ताह में कम से कम एक बार अस्पताल का निरीक्षण करने की भी सलाह दी है। मंत्री ने कमियों की मांगी सूची : मरीजों के परिजनों ने कई ऐसे वीडियो बनाकर भेजे हैं, जिसमें वे अपने निजी क्लीनिकों में ले जाकर यहां आए रोगियों का इलाज करते हैं। उन्होंने साफ लहजे में कहा है कि मरीजों की सेवा करनी है, तो अपना समझकर करें। अन्यथा, इस्तीफा देकर घर चले जाएं। उपाधीक्षक व प्रबंधक को मॉडल हॉस्पिटल में आने के बाद डॉक्टर या अन्य सामानों की कमी है, उनकी सूची बनाकर देने को कहा है। ताकि उसकी व्यवस्था करायी जा सके। डॉक्टर रोगियों का न नब्ज टटोलते हैं न लगाते हैं आला : आपातकाल सेवा में डॉक्टर हाथ नहीं लगाते हैं, वैसे ही सामान्य दिनों में भी ओपीडी में डॉक्टर दूर से ही रोगियों से उनका हाल पूछकर दवाएं या जांच लिख देते हैं। वे रोगियों नब्ज टटोलना या आला लगाना तक भी उचित नहीं समझते हैं। मंत्री ने वैसे स्वास्थ्यकर्मियों को स्पष्ट निर्देश दिया है कि रोगियों की हर हाल में अच्छे से जांच कर ही दवाएं लिखें। मंत्री जी के आने की सूचना पहले से ही स्वास्थ्य महकमा को मिल चुकी थी। इस कारण आपातकालिन वार्ड में दो डॉक्टरों की तैनाती कर दी गयी थी। स्वास्थ्यकर्मी और पदाधिकारी भी चुस्त-दुरुस्त थे।

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