जहां नारी का सम्मान होता है वहां लक्ष्मी विराजमान रहती : डॉ पुंडरीक
जिले के सूर्य नरायण मंदिर में चल रहे नव दिवसीय नारायण विश्व शांति महायज्ञ में धार्मिक और नैतिक शिक्षा पर जोर दिया जा रहा है। प्रवचनकर्ता डॉ. पुंडरीक शास्त्री ने बताया कि सृष्टि का प्रारंभ नारी से हुआ...

गड़खा, एक संवाददाता। जिले के सुप्रसिद्ध सूर्य नरायण मंदिर कोठियां-नरावं परिसर में चल रहे नव दिवसीय नारायण विश्व शांति महायज्ञ में धार्मिक शिक्षा के साथ नैतिक शिक्षा पर भी बल दिया जा रहा है। गुरुवार को प्रवचनकर्ता डॉ. पुंडरीक शास्त्री ने मंच से बोलते हुए कहा कि भगवान ही मनुष्य जीवन के परमधेय और श्रेय हैं। संसार में विषमता आने पर परमात्मा के शरण में जाना चाहिए। संसार में कहीं शांति नहीं है केवल अशांति है। पूर्ण शांति तो परमात्मा के चरणों में ही है। उन्होंने सृष्टि के क्रम का वर्णन करते हुए कहा कि भगवान की नाभि से ब्रह्मा प्रकट हुये। ब्रह्मा जी ने संपूर्ण सृष्टि का सृजन किया, लेकिन उनके अनुकूल सृष्टि नहीं रही तब उनका शरीर दो भागों में फटा और मनु और शतरूपा के रूप में उपस्थित हो गया। मनु और शतरूपा से ही मानवीय सृष्टि का विस्तार हुआ। सृष्टि में मनु और शतरूपा के द्वारा सबसे पहले तीन पुत्रियाँ और दो पुत्र हुए। इसका अभिप्राय यह है कि सृष्टि के प्रारंभ में नारी की ही सृष्टि पहले हुई। नारी का सम्मान ही भारतीय संस्कृति का सर्वोत्कृष्ट औदार्य है। नारी का सम्मान ही भारतीय परंपरा है। जहां नारी का सम्मान होता है वहां महालक्ष्मी विराजमान होती है और जहां नारी का तिरस्कार होता है वहां से सुख समृद्धि सदा के लिए समाप्त हो जाती है। भारत भक्ति, शक्ति और मातृ प्रधान देश है। यज्ञ के पीठाधीश्वर श्री श्री श्री रामसुमीरन दास जी ने कोठियां-नरांव की सभी बेटियों को सूर्य मंदिर पर लाने का आग्रह किया ताकि उनकी उनकी पूजा हो सके।
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