Senior Citizens Find Relief as Long-Pending Bank Loans Resolved in Minutes at National Lok Adalat दस साल से बैंक लोन का मामला महज दस मिनट में निपटा, Chapra Hindi News - Hindustan
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दस साल से बैंक लोन का मामला महज दस मिनट में निपटा

लत में ही बुजुर्ग के चेहरे पर छायी मुस्कान छपरा कोर्ट कैंपस में राष्ट्रीय लोक अदालत का किया गया आयोजन आपसी सुलह समझौते के आधार पर मामलों का किया गया निपटारा ूबैंक से लोन लेने के आये वर्षों पुराने...

Newswrap हिन्दुस्तान, छपराSat, 10 May 2025 09:50 PM
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दस साल से बैंक लोन का मामला महज दस मिनट में निपटा

छपरा, नगर प्रतिनिधि। करीब दस साल से लंबित बैंक लोन का मामला शनिवार को महज दस मिनट में ही निपट गया। दस मिनट में बैंक लोन चुकता कर देने के बाद बुजुर्ग के चेहरे पर मुस्कान छा गई और उसने कहा कि अब बुढ़ौती में जेल या कोर्ट कचहरी का चक्कर लगाने से निजात मिल गयी है। बाकी की जिंदगी अब आराम से कटेगी। दरअसल, लोक अदालत में अधिकतर मामले र्बैंक लोन से जुड़े रहे और वर्षों से लंबित हैं। शहर के एक बुजुर्ग रामविलास को बैंक के 80 हजार रुपए कर्ज चुकाने थे, लेकिन आर्थिक तंगी के चलते वह कर्ज नहीं चुका पा रहा था।

इस पर वह राष्ट्रीय लोक अदालत में शनिवार को पहुंचे और बैंक अफसरों से कहा कि उसके पास कर्ज चुकाने के लिए 80 हजार रुपये नहीं हैं। बुजुर्ग की बात सुनते ही बैंक के अधिकारी से लेकर मैनेजर तक बुजुर्ग की बातों पर सकारात्मक पहल करते हुए सूद की राशि माफ कर लोन से मुक्ति के कागज पर दस्तखत कराया। कागज पर दस्तखत के बाद बुजुर्ग कोर्ट कैम्पस में ही फूट-फूटकर रोने लगा। इस पर बैंक अफसरों ने उसे चुप कराया। बैंक अफसरों ने तो इस संबंध में कुछ भी बोलने से मना कर दिया, लेकिन गरीब बुजुर्ग उनका धन्यवाद देते नहीं थक रहा था। वहीं एक बैंक से पांच साल पहले लोन लेने वाली गीता बैंक अफसरों से अपने पति के नाम पर लिये गए लोन को आज ही समाप्त करने के लिये गुहार लगा रही थी। इस पर बैंक अफसरों से कुछ जानकारी ली और समझौता राशि जमा करने के लिये संगीता को बोले। उन्होंने बिना देर किए कुछ मिनटों में ही राशि जमा कर दी पर उनकी आंखों से खुशी के आंसू निकल रहे थे। विधवा ने बताया कि पति ने लोन ली थी। आर्थिक स्थिति भी दिन-प्रतिदिन खराब होती गई। पति की मौत के बाद लोन को लेकर वह बराबर सोचती रहती थी, अब उन्हें काफी राहत महसूस हो रहा है। सालों से लोन का जो दंश झेल रही थी महज 15 मिनट में ही उसे दंश से उसे छुटकारा मिल गयी। इस तरह के कई मामले राष्ट्रीय लोक अदालत में देखने को मिले। आपसी सुलह से मामले के निष्पादन पर जोर राष्ट्रीय लोक अदालत के शुभारंभ के अवसर पर जिला जज पुनीत कुमार गर्ग ने लोगों से आपसी सुलह समझौते के आधार पर मामलों के अधिक से अधिक निष्पादन पर बल दिया। उन्होंने कहा कि सुलह ही राष्ट्रीय लोक अदालत का मुख्य उद्देश्य है। लोक अदालत की विशेषताओं के बारे में विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय लोक अदालत के समय-समय पर आयोजन से मुकदमों की संख्या में कमी आएगी। लोगों में अब जागरूकता भी आई है। ग्रामीण एसपी शिखर चौधरी ने कहा कि राष्ट्रीय लोक अदालत के माध्यम से अधिक से अधिक मामलों के निपटारे के लिए लोगों को आगे आने की जरूरत है । एडीएम मुकेश कुमार ने कहा कि इस तरह के आयोजन से लोगों का न्याय व्यवस्था के प्रति विश्वास जगेगा। लोगों से राष्ट्रीय लोक अदालत में मामलों के निपटारा पर जोर दिया।जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव ब्रजेश कुमार ने कहा कि लोक अदालत में सुनवाई पूरी तरह से नि:शुल्क होती है।इससे पहले जिला जज , न्यायिक पदाधिकारी, जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव व अन्य ने दीप जलाकर राष्ट्रीय लोक अदालत का शुभारंभ किया। इस अवसर पर न्यायिक पदाधिकारी के अलावा छपरा विधि मंडल के अध्यक्ष गंगोत्री प्रसाद समेत कई प्रशासनिक पदाधिकारी भी उपस्थित थे। एक करोड़ 32 लाख से अधिक की वसूली राष्ट्रीय लोक अदालत में एक करोड़ 32 लाख 36 हजार 454 रुपये की वसूली हुई।समझौता राशि दो करोड़ 42 लाख 12 हजार 607 रुपया तय हुई।राष्ट्रीय लोक अदालत में कुल 4440 मामलों का निष्पादन हुआ। शहर सहित ग्रामीण क्षेत्र से काफी संख्या में फरियादी कोर्ट परिसर पहुंचे हुए थे। सभी के चेहरे पर एक ही भाव था कि किसी तरह मामले का निपटारा हो जाए। केस 1 12 साल बाद ऋण मुक्त हुई सुनैना शहर के काशी बाजार की सुनैना को 12 साल बाद राष्ट्रीय लोक अदालत से राहत मिली। उसने बैंक से लोन लिया था लेकिन पति की मौत के बाद रुपया जमा नहीं कर पा रही थी। ब्याज भी काफी बढ़ गया था लेकिन राष्ट्रीय लोक अदालत में उसने अपने लोन चुकता कर नोड्यूज का सर्टिफिकेट भी ले ली। केस 2 विजय को भी 14 साल बाद राहत शहर के गांधी चौक के रहने वाले विजय कुमार 2011 में बैंक से व्यवसाय के लिये लोन लिया था। शुरू में व्यवसाय से ठीक-ठाक आमदनी हो रही थी लेकिन कोरोना काल के समय से व्यवसाय में घाटा होना लगा। लोन का ब्याज भी बढ़ रहा था। लोक अदालत में ब्याज माफ होने के बाद विजय को लोन से मुक्ति मिल गई।

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