जिन बच्चों के पापा नहीं या तलाकशुदा मां के साथ रहते हैं, उन्हें हर महीने 4000 रुपये की मदद करेगा आयोग
राज्य बाल संरक्षण आयोग उन बच्चों को पढ़ाई-लिखाई के लिए हर महीने चार हजार रुपये की आर्थिक मदद करेगा जिनके पिता गुजर गए हैं या पिता से तलाक के बाद वो अपनी मां के साथ रहते हैं।

जिन बच्चों के पिता नहीं हैं या तलाक के बाद वे मां के साथ रहते हैं, उन्हें आर्थिक मदद दी जाएगी। राज्य बाल संरक्षण आयोग ने ऐसे बच्चों की मदद के लिए अनूठी पहल शुरू की है। स्पॉन्सरशिप योजना के तहत इन बच्चों बच्चों को हर महीने चार हजार रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी। इस पैसे से बच्चे अच्छे से पढ़ाई कर सकेंगे। इसकी सूचना राज्य बाल संरक्षण आयोग के माध्यम से तमाम सरकारी और गैर सरकारी स्कूल के साथ किलकारी बाल भवन और बच्चों पर काम करने वाली संस्थाओं को दी गयी है। आयोग की कोशिश है कि अधिक से अधिक बच्चों को इस योजना का लाभ मिल सके।
पिता की मृत्यु होने पर, पिता के छोड़ देने, बच्चे के गंभीर बीमारी से ग्रसित होने के कारण काफी बच्चों की पढ़ाई छूट जाती है। ऐसे बच्चों की पढ़ाई के लिए यह पहल शुरू की गयी है। इसके लिए ऑफलाइन आवेदन करना होगा। आवेदन राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग कार्यालय में जमा करनी होगी। इसके बाद आवेदन की जांच भौतिक रूप से की जाएगी। जांच में सही पाये जाने पर बच्चों को प्रति माह चार हजार रुपये की राशि दी जाएगी।
किलकारी के कई बच्चों ने किया है आवेदन
इस योजना के तहत किलकारी, आंनगबाड़ी केंद्र के बच्चे भी शामिल हैं। किलकारी बाल भवन के कई बच्चों ने आवेदन किया है। सभी सरकारी स्कूलों को इसकी जानकारी बच्चों को देने को कहा गया है। इससे अधिक से अधिक बच्चे इससे लाभांवित हो सकेंगे।
राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य राकेश कुमार सिंह ने कहा कि कई बच्चे हैं जिनके पिता की मृत्यु के बाद उनकी पढ़ाई छूट जाती है। ऐसे बच्चे भी हैं जो तलाक के बाद मां के साथ रहते हैं। इन बच्चों की पढ़ाई ना छूटे, इसके लिए आर्थिक मदद दी जाएगी।
आयोग की ओर से तैयार हो रही जिलावार सूची
सरकारी, गैर सरकारी स्कूल, किलकारी और बच्चों पर काम करने वाली संस्थाओं से अभी तक 15 हजार 657 बच्चों को चिह्नित किया गया है। अभी और बच्चों को तलाशा जा रहा है। जितने भी बच्चे पात्र बच्चे मिलेंगे होंगे, उन्हें इस योजना का लाभ दिया जाएगा। इसके लिए आयोग जिलावार सूची भी तैयार कर रहा है। सूची के आधार पर बच्चों की कैटेगरी बनाई जाएगी। इसके बाद योजना से बच्चे लाभान्वित हो सकेंगे।