दिग्घी में भीखा शाह सैलानी का उर्स आज से होगा शुरू
दरभंगा के दिग्घी तालाब के पास स्थित दरगाह पर 10 से 14 जून 2025 तक हजरत मखदूम भीखा शाह सैलानी का 376वां उर्स मनाया जाएगा। यह आयोजन श्रद्धा और भाईचारे के साथ हर साल ईद-उल-अजहा के दौरान होता है। इस...

दरभंगा। शहर के दिग्घी तालाब के पश्चिम तट पर स्थित प्रसिद्ध दरगाह पर उर्स का आगाज मंगलवार से हो रहा है। सिलसिला-ए-मदारिया के महान सूफी संत हजरत मखदुम भीखा शाह सैलानी रहमतुल्लाह अलैह का 376वां सालाना उर्स मुबारक 10 जून से आरंभ होकर 14 जून को समाप्त होगा। यह ऐतिहासिक और रूहानी आयोजन प्रतिवर्ष इस्लामी कैलेंडर के अंतिम माह ईद-उल-अजहा की 13वीं से 17वीं तारीख के दौरान श्रद्धा, प्रेम और भाईचारे के साथ मनाया जाता है। इस वर्ष यह 10 जून से 14 जून 2025 तक आयोजित होगा। दरगाह के खादिम शाह मोहम्मद शमीम के मुताबिक इस पवित्र अवसर पर न सिर्फ संपूर्ण मिथिलांचल बल्कि पड़ोसी देश नेपाल और देश के विभिन्न राज्यों से भी हजारों की संख्या में अकीदतमंद और श्रद्धालु दरगाह शरीफ पहुंचकर अपनी हाजिरी दर्ज कराते हैं।
उर्स मुबारक के दौरान दरगाह परिसर में श्रद्धालुओं द्वारा चादर, फूल, प्रसाद आदि चढ़ाने का सिलसिला सुबह से रात्रि 10 बजे तक जारी रहता है। अपनी मुरादों को लेकर यहां आने वाले लोग कुरआन की तिलावत करते हैं, दुआ और मन्नत मांगते हैं। खादिम श्री शमीम ने बताया कि परंपरानुसार अंतिम दिन शनिवार को दरगाह परिसर में सूफियाना कव्वाली के साथ खादिम ए दरगाह की ओर से चादरपोशी की जाएगी। उलेमाओं की तकरीर और मिलाद शरीफ के बाद दुआ के साथ उर्स का सम्मान होगा। मालूम हो कि हजरत मखदुम भीखा शाह सैलानी रहमतुल्लाह अलैह का जीवन इंसानियत, मोहब्बत, भाईचारे और आध्यात्मिकता का प्रतीक रहा है। उनका संदेश आज भी इंसानों को एक-दूसरे के करीब लाने का माध्यम है। यही वजह है कि यहां सभी धर्म समुदाय के लोग आते हैं। दरगाह भी हिंदू बहुल क्षेत्र में होने के बावजूद हर साल आयोजन में स्थानीय लोगों का सहयोग सराहनीय रहता है।
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